अब अर्थव्यवस्था की ताकत सेवा क्षेत्र

हमें देश के कोने-कोने में विशेषतया ग्रामीण और पिछड़े हुए क्षेत्रों में सेवा निर्यात बढ़ाने के मद्देनजर एआई स्किल्स से जुड़ी प्रोग्रामिक भाषाएं प्रमुख रूप से पायथन, जावा, सी प्लस प्लस, आर और जूलिया में बड़ी संख्या में युवाओं को कुशल बनाने के कई गुना प्रयास करने होंगे…
हाल ही में प्रकाशित नीति आयोग की सेवा क्षेत्र (सर्विस सेक्टर) से संबंधित रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सेवा क्षेत्र का योगदान 55 फीसदी से अधिक है और लगभग 18.8 करोड़ लोगों या देश के कार्यबल के लगभग 30 फीसदी को रोजगार देता है। रिपोर्ट दर्शाती हैं कि सेवा क्षेत्र ने पिछले छह वर्षों में 4 करोड़ अतिरिक्त रोजगार पैदा किए हैं। देश का सेवा निर्यात 14.8 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक दर से बढ़ रहा है। यह वस्तु निर्यात के 9.8 प्रतिशत से कहीं ज्यादा है। ऐसे में यह उभरकर दिखाई दे रहा है कि देश के वस्तु निर्यात की चुनौतियों के बीच सेवा क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था की ताकत बन गया है। गौरतलब है कि देश में बढ़ता हुआ सेवा क्षेत्र बढ़ते हुए सेवा निर्यात (सर्विस एक्सपोर्ट) का आधार है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का अहम पहलू सेवा निर्यात बन गया है। इनसे न केवल विदेश व्यापार घाटे को थामे रखने में मदद मिल रही है बल्कि इनसे देश में रोजगार निर्माण में सहारा मिल रहा है। इस समय भारत सेवा निर्यात (सर्विस एक्सपोर्ट) की ऐतिहासिक ऊंचाई हासिल करते हुए वैश्विक सेवा निर्यात का एक प्रमुख केंद्र बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। हाल ही में वाणिज्य मंत्रालय के द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2025-26 में अप्रैल से सितंबर 2025 के बीच भारत का सेवा निर्यात 193.18 अरब डॉलर के ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है। उम्मीद है कि यह इस चालू वित्त वर्ष के अंत तक 475 अरब डॉलर की रिकॉर्ड नई ऊंचाई पर पहुंच जाएगा। पिछले वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान सेवा निर्यात 387.5 अरब डॉलर का ही रहा था। वर्ष 2013-14 में सेवा निर्यात का आकार महज 152 अरब डॉलर था।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के मुताबिक भारत ने वैश्विक सेवा निर्यात में 4.3 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ अब दुनिया में सातवां स्थान हासिल कर लिया है। वर्ष 2001 में सेवा निर्यात के मामले में भारत 24वें स्थान पर था। यह उपलब्धि मुख्य रूप से टेलीकॉम, आईटी और बिजनेस सेवाओं की बदौलत संभव हो पाई है। ये क्षेत्र देश के कुल सेवा निर्यात का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा रखते हैं। इनके साथ-साथ भारत सांस्कृतिक और मनोरंजन सेवा निर्यात में भी आगे हैं। सेवा निर्यात की मौजूदा प्रगति देश में हो रहे सेवा क्षेत्रों में संरचनात्मक सुधारों, तकनीकी विकास और नई पीढ़ी की उच्च कौशल युक्त क्षमताओं के लाभों का परिणाम भी है। गौरतलब है कि सेवा निर्यात के तहत कंप्यूटर नेटवर्क का इस्तेमाल कर अमूर्त सेवाएं सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग, बैंकिंग, फाइनेंस, इंश्योरेंस, पर्यटन, आतिथ्य, शिक्षा, मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन, गेमिंग, मनोरंजन, एआई आदि से संबंधित सेवाओं का निर्यात शामिल है। खासतौर से भारत में बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (जीसीसी) की तेजी से नई स्थापनाओं के कारण भी सेवा निर्यात तेजी से बढ़ रहा है। नैसकॉम और जिनोव की ओर से जारी इंडिया जीसीसीए लैंडस्केप रिपोर्ट के मुताबिक जीसीसी के लिए भारत दुनिया का सबसे बड़ा हब बनते हुए दिखाई दे रहा है। फिलहाल देश में 1800 से अधिक जीसीसी हैं जिनसे 21 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है। दुनिया के करीब 50 प्रतिशत जीसीसी सिर्फ भारत में हैं। भारतीय जीडीपी में भारत के जीसीसी का योगदान 1.5 प्रतिशत से अधिक है और 2030 तक यह 3.5 प्रतिशत हो जाएगा। ज्ञातव्य है कि ग्लोबल कैपैबिलिटी सेंटर या जीसीसी जॉब मार्केट में नया चलन है। जीसीसी प्रमुख रूप से आईटी सपोर्ट, कस्टमर सर्विस, फाइनेंस, एचआर और रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
यह बात भी महत्वपूर्ण है कि भारत में एआई इंटरनेट ऑफ थिंग्स, कृत्रिम बुद्धिमता और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में शोध एवं विकास और जबरदस्त स्टार्टअप माहौल के चलते अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों की बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने ग्लोबल इन हाउस सेंटर तेजी से शुरू करते हुए दिखाई दे रही हैं। ऐसे में भारत को सेवा क्षेत्र को मजबूत करते हुए सेवा निर्यात को तेजी से बढ़ाने की नई रणनीति के साथ आगे बढऩा होगा। इस बात पर ध्यान देना होगा कि अभी भी भू-राजनीतिक रूप से भारत का सेवा क्षेत्र देश की व्यापक आर्थिक असमानता को ही दर्शाता है। देश में कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और तमिलनाडु उच्च मूल्य वाली सेवाओं मसलन सूचना प्रौद्योगिकी, वित्त और अचल संपत्ति में दबदबा रखते हैं। जबकि देश के अधिकांश राज्य अभी भी सेवा क्षेत्र में तुलनात्मक रूप में पीछे बने हुए हैं। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि देश अपने संरचनात्मक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, और अर्थव्यवस्था के औपचारिक और शहरीकृत होने के साथ-साथ अभी भी सेवा क्षेत्र में और भी ज्यादा कर्मचारियों को शामिल करने की क्षमता है। सेवा क्षेत्र में लैंगिक यानी स्त्री-पुरुष के अंतर पर भी ध्यान देना जरूरी है। ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 10.5 फीसदी महिलाएं सेवा क्षेत्र में कार्यरत हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 60 फीसदी है। यह बात ध्यान में रखी जानी होगी कि अब सेवा निर्यात के क्षेत्र में भी लगातार प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। ऐसी स्थिति में भारत से सेवा निर्यात में तेजी से वृद्धि के लिए सेवाओं की गुणवत्ता, दक्षता, उत्कृष्टता तथा सुरक्षा को लेकर और अधिक प्रयास करने होंगे। भारत को अपने सेवा निर्यात में विविधता लाने और अन्य उभरते क्षेत्रों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। अब हमें सॉफ्टवेयर निर्यात के लिए अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम करके सेवा निर्यात की संभावनाओं वाले अन्य देशों में भी कदम बढ़ाना होंगे। अब हमें नई पीढ़ी को सेवा निर्यात की नए दौर की शिक्षा देने के लिए समुचित निवेश की व्यवस्था करना होगी। हमें नए दौर की तकनीकी जरूरतों और इंडस्ट्री की अपेक्षाओं के अनुरूप कौशल प्रशिक्षण से नई पीढ़ी को सुसज्जित करना होगा। भारत की आईटी सेवा कंपनियों को गैर-अंग्रेजी भाषी देशों में कारोबार में आगे बढऩे के लिए कार्मिकों को संबंधित देशों की भाषाओं में प्रशिक्षण देने पर निवेश किया जाना होगा, ताकि इन देशों के बाजारों तक भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स की पहुंच बनाई जा सके।
जहां सेवा निर्यात क्षेत्र के उपक्रमों को संगठित स्वरूप प्रदान करना और गिग कर्मियों तथा छोटे एवं मझोले उपक्रमों से जुड़े लोगों का संरक्षण आवश्यक है, वहीं महिलाओं और कमजोर वर्ग के लोगों के डिजिटल कौशल में निवेश, तकनीक और हरित कौशल को प्रशिक्षण और छोटे एवं मझोले शहरों को नए सेवा क्षेत्र केंद्रों के रूप में विकसित करने के मद्देनजर अहम कदम जरूरी हैं। हमें सेवा निर्यात बढ़ाने के लिए शोध, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के मापदंडों पर आगे बढऩा होगा। हमें देश के कोने-कोने में विशेषतया ग्रामीण और पिछड़े हुए क्षेत्रों में सेवा निर्यात बढ़ाने के मद्देनजर एआई स्किल्स से जुड़ी प्रोग्रामिक भाषाएं प्रमुख रूप से पायथन, जावा, सी प्लस प्लस, आर और जूलिया में बड़ी संख्या में युवाओं को कुशल बनाने के कई गुना प्रयास करने होंगे। इनके साथ-साथ मशीन लर्निंग, वर्चुअल रियल्टी, रोबोटिक प्रोसेस, ऑटोमेशन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, बिग डाटा एनालिसिस, क्लाउड कम्प्यूटिंग, ब्लॉक चेन और सायबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में बड़ी संख्या में युवाओं को कुशल बनाना होगा। हम उम्मीद करें कि ऐसे प्रयासों से देश का सेवा क्षेत्र और सेवा निर्यात रफ्तार से बढ़ेगा और इससे देश को वर्ष 2027 तक दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था और वर्ष 2047 तक विकसित देश बनाने के बड़े लक्ष्य को हासिल करने में भी मदद मिलते हुए दिखाई दे सकेगी।
डा. जयंती लाल भंडारी




