व्यापार

मजबूत घरेलू मांग, आर्थिक नीतियों के कारण भारत बाहरी आर्थिक झटकों से निपटने में सक्षम: दास

पुणेः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रधान सचिव-2 शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत मजबूत घरेलू मांग और सतर्क व्यापक आर्थिक तथा वित्तीय नीतियों के दम पर वैश्विक जीडीपी वृद्धि में लगभग पांचवें हिस्से का योगदान करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि इन नीतियों की वजह से भारत ने बाहरी आर्थिक संकटों का सफलतापूर्वक सामना किया है। उन्होंने शनिवार को यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका और अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता वार्ता में भारत की अंतर्निहित प्राथमिकता भारतीय लोगों के सर्वोत्तम हित में निष्पक्ष और संतुलित समझौते सुनिश्चित करना है। दास ने कहा, ”अनिश्चित वैश्विक परिवेश के बीच भारत उल्लेखनीय गतिशीलता और लचीलापन प्रदर्शित कर रहा है।”

दास ने पुणे स्थित गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स के दीक्षांत समारोह के दौरान ‘बदलती वैश्विक व्यवस्था में भारतीय अर्थव्यवस्था’ विषय पर 85वें काले स्मारक व्याख्यान के दौरान यह बात कही। दास ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अभूतपूर्व अनिश्चितता और बुनियादी बदलाव के दौर से गुजर रही है। उन्होंने कहा कि आठ दशकों से अधिक समय से वैश्वीकरण और मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने वाला नियम-आधारित व्यापार ढांचा चुनौती का सामना कर रहा है। दास ने कहा कि वैश्विक व्यापार के संदर्भ में पहले यह माना जाता था कि दुनिया समतल है और इसे एक बाजार बनाना चाहिए लेकिन अब यह स्थिति बदल चुकी है। उन्होंने कहा, ”हालात बुनियादी रूप से बदल गए हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था और व्यापार व्यवस्था काफी हद तक खंडित हो चुकी है। स्थापित नियमों पर लगातार सवाल उठ रहे हैं, जबकि नए मानदंड अभी तक दृढ़ता से स्थापित नहीं हुए हैं। कोविड महामारी और यूक्रेन-रूस संघर्ष ने आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी लाई है।” 

आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की कमजोरी के कारण कई राष्ट्रों को अपनी बाहरी निर्भरता पर पुनर्विचार करना पड़ा है तथा लागत दक्षता की तुलना में आपूर्ति श्रृंखला के लचीलेपन को अधिक महत्व देना पड़ा है। उन्होंने कहा, “रणनीतिक स्वायत्तता अब एक शीर्ष प्राथमिकता है। यह परिवर्तन क्षेत्रीय व्यापार समझौतों के बढ़ते प्रभाव में भी स्पष्ट है, जो अधिक खंडित फिर भी व्यावहारिक व्यापार गठबंधनों की ओर बदलाव को दर्शाता है।” दास ने कहा कि एक दशक के संरचनात्मक सुधारों और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के तहत रणनीतिक वैश्विक स्थिति के बीच देश ने कई वैश्विक चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है। उन्होंने आगे कहा, ”मजबूत घरेलू मांग और विवेकपूर्ण व्यापक आर्थिक एवं वित्तीय नीतियों ने देश को कई बाहरी झटकों का सामना करने में सक्षम बनाया है। भारत अब वैश्विक जीडीपी वृद्धि में लगभग पांचवें हिस्से का योगदान करने के लिए तैयार है।” 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button