मध्यप्रदेश

हरदा की भूमि से करणी सेना ने किया नए संघर्ष का आगाज, राजनीतिक दल का ऐलान, करणी सेना परिवार और राष्ट्रीय करणी सेना एक

(हरदा): हरदा जिले में अपनी मांगों को लेकर मैदान में उतरी करणी सेना परिवार का आंदोलन खत्म हो गया है।  ‘जनक्रांति न्याय आंदोलन में भारी संख्या में सर्व समाज के लोग उमड़े थे और 12 घंटे बाद ये समाप्त हो गया।

जानकारी के मुताबिक प्रशासन से हरदा से जुड़ी दो मांगें मान ली हैं तो वहीं लाठीचार्ज के दोषी 5 पुलिसकर्मियों को हटाने के साथ ही न्यायिक जांच की मांग पर भी सहमति हुई है। इसके बाद  जीवन सिंह शेरपुर ने जूस पीकर अनशन तोड़ दिया। करणी सेना का आंदोलन तो खत्म हो गया लेकिन यहां पर एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने का ऐलान हो गया है।

राजनीतिक दल बनाकर लड़ाई लडेंगे-शेरपुर

करणी सेना परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीवन सिंह शेरपुर ने राजनीतिक दल बनाने का ऐलान किया है। उन्होंने चुनाव में दल के प्रत्याशी उतारे जाएंगे। शेरपुर ने कहा है कि हको की लड़ाई के लिए राजनीतिक दल बनाया जाएगा और लड़ाई जारी रखी जाएगी। करणी सेना परिवार और राष्ट्रीय करणी सेना एक साथ होकर काम करेगी।

हमारा संघर्ष व्यर्थ नहीं गया ,  न्याय सच में मिला है-शेरपुर

मांगे माने जाने के बाद जीवन सिंह शेरपुर ने कहा है कि ये लगातार 8 दिनों की भूख हड़ताल के बाद न्याय की जीत हुई है। जिस बेटी के साथ पुलिस द्वारा अत्याचार किया गया था, उसे आज इंसाफ़ मिला है। उस बेटी के चेहरे पर आई मुस्कान और उसकी आँखों में दिखी संतुष्टि ने मेरे मन को गहरी तसल्ली दी है।

अन्याय के विरुद्ध हमारी आवाज़ और संघर्ष कभी समाप्त नहीं होगा-शेरपुर

शेरपुर ने कहा कि हमें ऐसा लग रहा है कि हमारा संघर्ष व्यर्थ नहीं गया और न्याय सच में मिला है। यह भूख हड़ताल किसी व्यक्तिगत उद्देश्य के लिए नहीं, बल्कि उस बेटी को न्याय दिलाने और व्यवस्था को जवाबदेह बनाने के लिए थी। आज जब पीड़िता स्वयं न्याय मिलने की बात कह रही है, तो यह हम सभी के लिए एक भावनात्मक और ऐतिहासिक क्षण है। बेटी के आग्रह और आवाहन पर, न्याय की इस जीत के सम्मान में, मैं अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर रहा हूँ। लेकिन यह स्पष्ट है कि अन्याय के विरुद्ध हमारी आवाज़ और संघर्ष कभी समाप्त नहीं होगा।

आपको बता दें नेहरू स्टेडियम में  भारी संख्या में जुटे करणी सैनिकों ने 21 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार को सख्त  संदेश दिया था । कई राज्यों से करनी सैनिक आंदोलन मे शामिल होने पहुंचे थे।

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