संपादकीय

क्रिकेट में ‘ऑपरेशन सिंदूर’

‘एशिया कप’ में टीम इंडिया ने 9वीं बार ट्रॉफी जीती है। अपराजेय चैंपियन..! ‘प्लेयर ऑफ टूर्नामेंट’ अभिषेक शर्मा बने, जिन्होंने अप्रतिम, अभूतपूर्व 314 रन बनाए और कुछ शानदार कैच भी लपके। पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल मुकाबले में तिलक वर्मा ने नाबाद 69 रन ठोंक कर ‘प्लेयर ऑफ दि मैच’ का सम्मान अर्जित किया। कुलदीप यादव कुल 18 विकेट लेकर ‘सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज’ आंके गए। मैच में वरुण चक्रवर्ती, बुमराह, अक्षर पटेल की गेंदबाजी ने भी मैच पलटे। ये सभी भारतीय युवा और हुनरमंद क्रिकेटर हैं। आज टीम इंडिया टी-20 की विश्व चैंपियन, नंबर वन और एशिया चैंपियन टीम है। ‘एशिया कप’ का अंतिम मुकाबला वाकई रोमांचक, धडक़नें बढ़ा देने वाला रहा। टीम इंडिया ने इसी टूर्नामेंट में पाकिस्तान की टीम को लगातार तीन बार रौंदा, नतीजतन पाकिस्तान की अवाम ही मजाक उड़ाने लगी है-‘इतना क्यों मारते हो डैडी?….जब पता है कि इंडिया बाप है, तो उसके खिलाफ खेलते क्यों हो?…हार गई, हार गई, फिर टीम हार गई।’ टीम इंडिया ने उसे 7 विकेट, 6 विकेट और 5 विकेट से पराजित किया। बेशक फाइनल में एक वक्त टीम पाकिस्तान एक विकेट खोकर 113 रनों की ‘पहाड़ी चुनौती’ पेश कर चुकी थी। विशेषज्ञ आंक रहे थे कि पाकिस्तान 200 रन तक भी पहुंच सकता है, लेकिन हमारे गेंदबाजों ने अत्यंत सटीक, धारदार और रहस्यमयी गेंदबाजी कर शेष 9 विकेट मात्र 33 रनों पर ही बिखेर दीं। यह धोना, रौंदना नहीं हुआ, तो क्या है? बेशक भारत ने भी पहली तीन महत्वपूर्ण विकेट बहुत जल्द गंवा दीं। पूरे मैच के दौरान आंखें मूंदनी, फिर खोलनी पड़ीं, सांसें रुकती सी रहीं, निराश भी हुए, लेकिन चौका-छक्का लगता, तो उम्मीद बंधने लगती। रन गति 5-6 के बीच ही रही। अनिवार्य रनों का औसत बढ़ता रहा, लेकिन तिलक वर्मा ने, संजू और शिवम दुबे के साथ, कुछ खूबसूरत पारियां खेलीं। रिंकू सिंह के हिस्से एक ही गेंद आई, जिस पर उन्होंने जीत का चौका जड़ कर टीम इंडिया को ‘एशिया का चैंपियन’ बना दिया। खेल के मैदान पर इससे भी रोमांचक पल तब सामने आए, जब भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने एसीसी के अध्यक्ष मोहसिन नकवी के हाथों ‘चैंपियनशिप की ट्रॉफी’ लेने से इंकार कर दिया।

मोहसिन पाकिस्तान के गृहमंत्री और क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं। टीम इंडिया ने स्पष्ट कर दिया कि वह हत्यारों और जंग छेडऩे वालों के हाथों ‘चैंपियनशिप का सम्मान’ कबूल नहीं करेगी। काफी देर तक मैदान पर ‘हाईवोल्टेज ड्रामा’ जारी रहा, टीम इंडिया को मनाने की कोशिशें की गईं, लेकिन जो राष्ट्रवादी फैसला हमारे क्रिकेटरों ने आपसी विमर्श में लिया था, उस पर वे अडिग रहे। कप्तान सूर्य ने अपनी कुल फीस ‘पहलगाम नरसंहार’ के पीडि़तों और सेना को समर्पित करने की घोषणा की। अन्य खिलाडिय़ों के फैसले अभी सामने नहीं आए हैं, लेकिन ऐसा परिदृश्य सामने घूमने लगा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की भावना और शहीदों के प्रति सम्मान क्रिकेट में भी जिंदा है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने अकाउंट पर टिप्पणी की-‘खेल के मैदान पर भी ऑपरेशन सिंदूर…भारत इसमें भी जीत गया।’ बहरहाल एसीसी प्रमुख मोहसिन ने यह शर्मनाक हरकत की कि वह ट्रॉफी और खिलाडिय़ों के पदक लेकर होटल चले गए। उस पर बीसीसीआई के सचिव देवजीत सैकिया ने भी कहा कि जंग छेडऩे वालों के हाथों हम ट्रॉफी नहीं ले सकते, लेकिन एसीसी अध्यक्ष ट्रॉफी और पदक लेकर भाग भी नहीं सकते। नवंबर में आईसीसी की बैठक है, जिसमें हम एसीसी अध्यक्ष की इस शर्मनाक हरकत का विरोध करेंगे। उम्मीद है कि ट्रॉफी और पदक हमें जल्दी ही मिल जाएंगे। बहरहाल टीम के खिलाडिय़ों ने ट्रॉफी के बिना ही खूब जश्न मनाया। देश में शहर-दर-शहर रात भर जश्न की आतिशबाजियों की रोशनी और पटाखों की आवाज महसूस कराती रही कि हमने कोई बड़ी उपलब्धि हासिल की है। प्रधानमंत्री के अलावा, राष्ट्रपति मुर्मू, गृहमंत्री अमित शाह और विपक्ष के कई नेताओं ने भी टीम इंडिया को ‘चैंपियन’ बनने पर बधाई दी है। सचमुच यह खेल के मैदान में भी एक और शानदार सर्जिकल स्ट्राइक है। विजेता भारतीय टीम को बधाइयों का तांता लग गया है, जबकि पाकिस्तानी टीम को उसके प्रशंसकों ने खूब लताड़ लगाई है। पाकिस्तानी टीम का वहां पर बुरे तरीके से स्वागत किया गया।

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