छत्तीसगढ़

1 करोड़ की हायब्रिड कार में मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट, टोयोटा किर्लोस्कर मोटर को गाड़ी बदलने या ब्याज सहित पूरी रकम लौटाने का राज्य उपभोक्ता आयोग ने दिया आदेश

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने रायपुर स्थित शिवालिक इंजीनियरिंग लिमिटेड के सी.एम.डी. के लिए खरीदी गई हायब्रिड कार लेक्सस RX350H में मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट पाए जाने पर बड़ा फैसला सुनाया है। आयोग ने लेक्सस इंडिया और टोयोटा किर्लोस्कर मोटर को आदेश दिया है कि उत्तरवादी कंपनी 45 दिनों के भीतर परिवादी को समान मॉडल की नई कार प्रदान करे या 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ कार की पूरी कीमत सहित पंजीयन शुल्क लौटाए।

छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने इसके अलावा परिवादी को मानसिक पीड़ा और प्रताड़ना के लिए ₹50,000 और वाद व्यय के रूप में ₹15,000 भी भुगतान करना होगा।

जानिए क्या है पूरा मामला

कंपनी ने 13 अक्टूबर 2023 को यह कार खरीदी थी, जो छत्तीसगढ़ में पहली ऐसी हाइब्रिड कार थी। लेकिन खरीदने के तुरंत बाद ही स्टार्टिंग प्रॉब्लम, चलते-चलते अचानक बंद हो जाना और बैटरी से करंट लीकज जैसी गंभीर खराबियां सामने आने लगीं। पंजीयन में भी छह महीने की देरी हुई, क्योंकि निर्माता ने आवश्यक दस्तावेज समय पर उपलब्ध नहीं कराए। सर्विस के दौरान कार को भुवनेश्वर भेजा गया, लेकिन चार महीने बाद लौटी कार में डेंट्स, स्क्रैच थे और समस्याएं जस की तस बनी रहीं। आयोग ने इन खराबियों को मालिक की सुरक्षा के लिए खतरा माना, क्योंकि चलते समय गाड़ी अचानक रुक जाना हादसे का कारण बन सकता था।

आयोग ने जांच में पाया कि कार में मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट था, जिसे कंपनियां ठीक करने में असफल रहीं। शीवालिक इंजीनियरिंग ने स्वतंत्र सर्विस सेंटर का सर्टिफिकेट भी पेश किया, जिसका कंपनियों ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। टोयोटा किर्लोस्कर ने दावा किया कि कंपनी उपभोक्ता नहीं है और बैटरी वारंटी के तहत समस्या ठीक हो गई थी, लेकिन आयोग ने इन दावों को खारिज कर दिया।

आयोग के आदेश के अनुसार, कंपनियों को 45 दिनों के अंदर या तो उसी मॉडल की नई कार उपलब्ध करानी होगी (पंजीयन शुल्क सहित) या कार की कीमत 1,01,31,174 रुपये और पंजीयन पर खर्च 9,95,000 रुपये लौटाने होंगे। यह राशि 26 सितंबर 2024 से 6% ब्याज के साथ होगी। यदि 45 दिनों में पालन नहीं किया गया, तो ब्याज दर 9% हो जाएगी। इसके अलावा, मानसिक परेशानी के लिए 50,000 रुपये और मुकदमे के खर्च के लिए 15,000 रुपये का मुआवजा भी देना होगा।

आयोग ने स्पष्ट किया कि मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट, सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार के मामलों में कंपनियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा।

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