छत्तीसगढ़

इलाज के लिए गुजरात भेजी गई बिजली बाघिन की मौत 

रायपुर: रायपुर जंगल सफारी की शान और छत्तीसगढ़ के वन्यजीव संरक्षण का प्रतीक रही बाघिन बिजली का निधन हो गया. गंभीर किडनी बीमारी के चलते उसे बेहतर इलाज के लिए रायपुर से हजारों किलोमीटर दूर गुजरात के जामनगर वनतारा वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर भेजा गया था. वन्यजीव प्रेमियों और सफारी टीम के लिए यह खबर बेहद दुखद और संवेदनशील पल लेकर आई है. बिजली बाघिन का यह आखिरी सफर केवल चिकित्सा तक सीमित नहीं था, बल्कि उम्मीद, प्यार और संवेदना की कहानी भी बन गया.

बिजली की साहसिक जीवन यात्रा: जंगल सफारी में आने वाले पर्यटकों और वन्यजीव प्रेमियों के लिए वह हमेशा आकर्षण का केंद्र रही. स्थानीय स्तर पर इलाज के बावजूद, उसकी किडनी की गंभीर समस्या ने उसे अंतिम बार अपने जंगल से दूर इलाज के लिए भेजने की स्थिति में ला दिया.

रायपुर से जामनगर तक,उम्मीद और संवेदना का सफर: बिजली के लिए विशेष ट्रेन कोच तैयार किया गया, जिसमें एयर-कूलिंग, वेंटिलेशन और सुरक्षित केज की व्यवस्था की गई. वन विभाग, रेलवे और डॉक्टरों की टीम ने दिन-रात मेहनत की ताकि बिजली को सुरक्षित और आरामदायक यात्रा मिल सके. इस सफर में हर कदम पर वन्यजीव प्रेमियों की प्रार्थनाएं और आशाएं उसके साथ थीं. बच्चे, पर्यटक और जंगल सफारी की टीम की आंखों में उस पल की चिंता और उम्मीद साफ दिख रही थी.

वन मंत्री का जायजा और केंद्र की तत्परता: वन मंत्री केदार कश्यप ने बिजली को रवाना किए जाने से पहले उसकी स्वास्थ्य स्थिति का व्यक्तिगत रूप से जायजा लिया. केंद्रीय प्रशासन ने 24 घंटे के भीतर विशेष रेलवे कोच की अनुमति दी. इस पूरी प्रक्रिया में बिजली की सुरक्षा और स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई, जिससे यह सफर केवल एक चिकित्सा मिशन नहीं, बल्कि मानवता और संवेदनशीलता का प्रतीक बन गया.

गुजरात में अंतिम प्रयास: जामनगर के ग्रीन्स वाइल्डलाइफ रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर में विशेषज्ञ डॉक्टरों ने बिजली की किडनी की गंभीर समस्या का गहन परीक्षण किया. हर संभव प्रयास और चिकित्सा देखभाल के बावजूद कल रात बिजली हमें छोड़ गई. उसकी वीरता, संघर्ष और अदम्य साहस ने वन्यजीव प्रेमियों के दिलों में हमेशा के लिए अपनी छाप छोड़ दी.

हमने बाघिन बिजली को बचाने की पूरी कोशिश की. उचित उपचार मिल सके, इसके लिए उसे गुजरात भी भेजा गया, लेकिन आखिर में उसका निधन हो गया, यह काफी दुखद रहा- अरुण कुमार पांडे,प्रधान मुख्य वन संरक्षक, छत्तीसगढ़

वनतारा ने बिजली की देखभाल और संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास किए. वन्यजीव प्रेमियों, सफारी टीम और शुभचिंतकों की प्रार्थनाएं इस मिशन में उसके साथ थीं.बिजली की वीरता और साहस ने वन्यजीव संरक्षण और प्रकृति के प्रति प्रेम को नई ऊर्जा दी. उसका जाना केवल एक जीव का नहीं, बल्कि एक प्रेरणा और उम्मीद की कहानी का अंत है.

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