टाटा ट्रस्ट विवाद: सरकार के हस्तक्षेप के बाद बैठक में नरमी का रुख

Tata Group: टाटा ट्रस्ट में विवाद के बाद सरकार के दखल से माहौल में नरमी आई है। बैठक में सभी पक्षों ने सकारात्मक रवैया अपनाया और विवाद को सुलझाने की दिशा में कदम बढ़ाए। सदस्यों ने आपसी सहमति से मामले को निपटाने और ट्रस्ट के कार्यों को सुचारू रूप से चलाने पर जोर दिया। भविष्य की योजनाओं पर भी चर्चा हुई।
नई दिल्ली। सरकार के हस्तक्षेप के बाद शुक्रवार को होने वाली टाटा ट्रस्ट बोर्ड की बैठक में सदस्यों का रुख नरम रहा और ट्रस्ट के सामान्य कामकाज को लेकर चर्चा की गई। ट्रस्ट के सदस्यों के बीच नरमी से लाखों निवेशक और देश के उद्योग जगत को राहत मिलने की उम्मीद है। दूसरी तरफ, टाटा ट्रस्ट में 18.37 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाले शापूरजी पालोनजी समूह ने टाटा संस को शेयर बाजार में सूचीबद्ध करने की मांग को फिर से दोहराया है। कंपनी का कहना है कि टाटा समूह से जुड़ी सूचीबद्ध कंपनियों के 1.2 करोड़ शेयरधारकों के लिए यह हितकारी होगा।
सरकार पिछले कुछ दिनों से टाटा ट्रस्ट में जारी विवाद पर नजर रख रही थी। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि लगभग 25 लाख करोड़ के बाजार पूंजीकरण वाले टाटा समूह से दो दर्जन से अधिक कंपनियां जुड़ी हैं जहां से लाखों लोगों की जीविका चलती है। देश के जीडीपी में समूह का पांच प्रतिशत का योगदान है। वैश्विक रूप से आर्थिक उथल-पुथल के इस काल में भारत के ब्रांड के रूप में दुनिया के 100 से अधिक देशों में काम करने वाला टाटा समूह के विवाद को सरकार किसी भी सूरत में बढ़ने नहीं देना चाहती है।




