गाजा में कत्लेआम जारी

अमरीकी राष्ट्रपति टं्रप मसखरी करते रहें या विभिन्न देशों के राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों के सामने शेखी बघारते रहें अथवा दुनिया में शांति के नाम पर धौंस दिखाते रहें या रूस को ‘टॉमहॉक’ विनाशक क्रूज मिसाइलों की धमकी देते रहें, लेकिन फिलिस्तीन के गाजा में शांति फिलहाल अधूरी है। यह तब तक निरर्थक रहेगी, जब तक हमास के आतंकवादी हथियार नहीं डाल देते। राष्ट्रपति टं्रप ने यहां भी शेखी बघारी है कि यदि हमास ने हथियार नहीं छोड़े, तो हम उसे निरस्त्र कर देंगे। शांति-समझौते पर दस्तखत कर हमास ने निरस्त्रीकरण पर सहमति जताई थी। सह-अस्तित्व शांति की बात स्वीकार की थी। बेशक युद्धविराम हो गया। हमास ने 20 इजरायली बंधकों को रिहा कर दिया। 4 बंधकों के शव भी सौंपे हैं और 20 बंधकों के शव अभी लौटाने हैं। हमास उन लाशों को रख कर क्या करेगा? इजरायल ने भी करीब 2000 फिलिस्तीनी और हमास के कैदी रिहा किए हैं। उनमें करीब 250 कैदी आजीवन कारावास के सजायाफ्ता थे। शांति के 20-सूत्रीय समझौते को पूरी तरह लागू करना चाहिए था, लेकिन 11-13 अक्तूबर को हमास के आतंकियों ने चेहरे पर नकाब पहन कर, आईएसआईएस आतंकियों की तर्ज पर, कुछ लोगों को घुटनों के बल बिठाया और पीछे से गोलियों की बौछार कर दी। हमास इन दो दिनों में 60 से अधिक लोगों की हत्याएं कर चुका है। मृतकों पर जासूसी के आरोप चस्पां किए गए और कत्लेआम कर दिया। हम इसे ‘नरसंहार’ करार देते हैं। ऐसे में राष्ट्रपति टं्रप और कतर, मिस्र, तुर्किये सरीखे पर्यवेक्षक देशों के शांति-प्रयास बेमानी हैं। जब तक सभी हितधारक देश कानून नहीं बनाते और हमास के स्थान पर अरब एवं अंतरराष्ट्रीय सेना बल का गठन नहीं होता और फिलिस्तीनी प्राधिकरण के हाथों गाजा और पश्चिमी तट आदि का शासन नहीं दिया जाता, तब तक हमास का आतंकवाद जारी रहेगा। हमास के लिए शांति और स्थिरता के मायने ये हैं कि फिलिस्तीन में उनका वर्चस्व कायम रहे और नागरिक शासन उन्हीं के हाथों में रहे। क्या टं्रप और अरब देशों ने गाजा में शांति और पुनर्वास का यही मसविदा, समझौता तैयार किया था? क्या गाजा के मौजूदा हालात इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू को गाजा पर फिर हमले शुरू करने को विवश कर रहे हैं? फिर शांति को पलीता लगा दिया जाएगा? राष्ट्रपति टं्रप संयुक्त राष्ट्र से अभी तक ऐसा प्रस्ताव पारित नहीं करा पाए हैं, जो गाजा में हमास के निरस्त्रीकरण और सुरक्षा की निगरानी के लिए अंतरराष्ट्रीय शांति सेना का गठन कर सके। फिलिस्तीन सुरक्षा बल का गठन भी विचाराधीन है।
गाजा के पुनर्वास और पुनरोत्थान पर जो अरबों डॉलर खर्च किए जाने हैं, वह राशि कहां से आएगी और कौन देगा, यह भी अभी तक अस्पष्ट है। यह भी अभी तक अस्पष्ट है कि उस फिलिस्तीनी कैबिनेट की नियुक्ति और प्रबंधन कौन करेगा, जो अंतत: गाजा को चलाएगा? दरअसल राष्ट्रपति टं्रप की अध्यक्षता वाला शांति-बोर्ड अभी तक क्यों नहीं बन पाया, यह टं्रप ही जानते हैं। टं्रप को नेतन्याहू से अब यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह हमेशा उनके साथ ही रहेंगे अथवा खिलाफ भी जा सकते हैं! क्या नेतन्याहू इजरायली राजनीति के केंद्र में आकर एक ऐसा गठबंधन बना सकते हैं, जो नए फिलिस्तीनी प्राधिकरण के साथ मिल कर हमास की जगह ले सके और हमास को फिलिस्तीन से बाहर फेंका जा सके? क्या इस तरह इजरायल गाजा और पश्चिमी तट पर शासन करने की मंशा पूरी कर सकेगा? या नेतन्याहू वही खेल जारी रखेंगे, जो वह 1996 से अमरीकी राष्ट्रपतियों के साथ खेलते आए हैं? बहरहाल हमास के आतंकियों ने न केवल गाजा में कत्लेआम जारी रखा है, बल्कि वे सशस्त्र कई इलाकों में दिखाई दिए हैं। कहीं टै्रफिक को नियंत्रित करते, तो कहीं तलाशी लेते हुए उन्हें देखा गया है। विश्लेषक मानते हैं कि हमास यह दिखाना चाहता है कि गाजा पर अब भी उसका शासन और वर्चस्व है। इजरायल का मानना है कि कुछ फिलिस्तीनी कबीले हमास से भिडऩे की तैयारी में हैं। स्थानीय मिलिशिया समूहों ने ऐलान किए हैं कि हम आत्मसमर्पण नहीं करेंगे, मरना पसंद करेंगे। गाजा में ऐसा टकराव बढ़ता रहा, तो वहां ‘हैती जैसे हालात’ बन सकते हैं। कमोबेश शांति की बात जमीनी नहीं है।




