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टाटा और महिंद्रा को कड़ी टक्कर… चीनी कंपनियों की भारत में जोरदार एंट्री, बाजार पर कितना कब्जा?

नई दिल्ली: भारत और चीन के रिश्ते के बीच पिघलती बर्फ का असर बाजार में भी दिखाई दे रहा है। शायद यही कारण है कि भारत की इलेक्ट्रिक पैसेंजर व्हीकल मार्केट में भी तेजी से बदल रही है। पहले इस मार्केट में टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी भारतीय कंपनियों का दबदबा था, लेकिन अब चीन से जुड़ी कंपनियां भी जोरदार एंट्री मार रही हैं।

सिर्फ दो साल से भी कम समय में BYD, MG (जो ब्रिटिश मूल की है लेकिन अब चीन के मालिकाना हक वाली है) और वोल्वो (स्वीडिश विरासत वाली लेकिन चीन के स्वामित्व वाली) जैसी कंपनियों ने साउथ कोरियाई और जर्मन कंपनियों को पीछे छोड़ दिया है। इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार इन कंपनियों ने भारतीय इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) मार्केट का लगभग एक तिहाई हिस्सा अपने नाम कर लिया है। खरीदारों को इन कंपनियों की गाड़ियां इसलिए पसंद आ रही हैं क्योंकि इनमें बेहतर टेक्नोलॉजी, ज्यादा रेंज और भरोसेमंद परफॉरमेंस मिलती है।

और कंपनियां भी कतार में

अब Xpeng, Great Wall और Haima जैसी और भी चीनी ईवी कंपनियां भारत के इस बाजार में कदम रखने की सोच रही हैं। भारत और चीन के बीच पिछले पांच सालों में रिश्तों में आई नरमी से इन कंपनियों की योजनाओं को और भी बल मिल सकता है। एक्सपर्ट का कहना है कि चीन की ईवी कंपनियों ने न सिर्फ ग्राहकों को ज्यादा विकल्प दिए हैं, बल्कि भारत में लेटेस्ट बैटरी टेक्नोलॉजी, प्रीमियम फीचर्स और तेज प्रोडक्ट डेवलपमेंट को भी बढ़ावा दिया है।

चीन की इन कंपनियों की भारत में पकड़

एमजी मोटर इस रेस में सबसे पहले आगे बढ़ी। एक शुरुआती खिलाड़ी के तौर पर यह चीनी कंपनियों से जुड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों में सबसे ज्यादा योगदान देने वाली बन गई। इन्होंने कम कीमत में फीचर्स से भरपूर EVs पेश कीं। जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर इंडिया के चीफ कमर्शियल ऑफिसर विनय रैना ने कहा, ‘भारत में हमारी ग्रोथ की रफ्तार ग्राहकों की जरूरतों को ध्यान में रखकर किए गए इनोवेशन और लोकल मार्केट की गहरी समझ से तय होती है।’ रैना ने इस बात पर जोर दिया कि लोकल लेवल पर प्रोडक्शन (लोकेलाइजेशन) कॉम्पिटिटिव बने रहने के लिए बहुत जरूरी है।

लोकल और ग्लोबल का तालमेल

लोकल और ग्लोबल का तालमेल इन कंपनियों को भारतीय बाजार के हिसाब से अपनी गाड़ियों को ढालने में मदद कर रहा है। इसी वजह से वे कई भारतीय कंपनियों की तुलना में तेजी से नए मॉडल भारत में ला पा रही हैं। दुनिया की सबसे बड़ी EV निर्माता कंपनियों में से एक BYD भी इसके बाद आई और कमर्शियल और फ्लीट (कंपनियों द्वारा खरीदी जाने वाली गाड़ियां) की जबरदस्त डिमांड के चलते लगातार आगे बढ़ रही है।

प्रीमियम सेगमेंट में जगह

वोल्वो कार्स ने प्रीमियम सेगमेंट में अपनी एक खास जगह बनाई है। इस कंपनी की विरासत स्वीडन की है लेकिन मालिकाना हक चीन की Geely के पास है। वोल्वो की बिक्री की मात्रा भले ही कम हो, लेकिन यह लग्जरी ईवी सेगमेंट में बढ़त को दिखाती है। वोल्वो कार इंडिया की एमडी ज्योति मल्होत्रा ने कहा, ‘भारत में हमारी ग्रोथ एक मजबूत और इलेक्ट्रिफिकेशन पर हमारे तेज फोकस से प्रेरित है।’ लग्जरी इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में एक शुरुआती खिलाड़ी के तौर पर वोल्वो हर साल एक नई ईवी लॉन्च करने का वादा कर चुकी है।

मार्केट में कितनी हिस्सेदारी?

Jato Dynamics के मुताबिक साल 2019 में भारत में चीनी ब्रांड्स ने एक भी बैटरी इलेक्ट्रिक व्हीकल (BEV) नहीं बेची थी। लेकिन इस साल अक्टूबर तक उन्होंने 57,260 गाड़ियां बेचीं। इससे उन्होंने वॉल्यूम के हिसाब से 33% मार्केट पर कब्जा कर लिया।

इस तेज उछाल के बावजूद भारतीय कंपनियों का ही देश के ईवी ग्रोथ में बड़ा योगदान है। इस साल अक्टूबर तक उनकी BEV बिक्री 1,01,724 यूनिट तक पहुंच गई जो साल 2024 में 74,442 यूनिट थी। Jato Dynamics के प्रेसिडेंट रवि भाटिया का कहना है कि लोकेलाइजेशन, किफायती दाम, ज्यादा जगहों तक पहुंच और FAME-II और PLI जैसी सरकारी नीतियों के साथ तालमेल बिठाना काम आया है।

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