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शीतकालीन सत्र में संसद में सौ फीसदी से ज्यादा काम, विकसित भारत-जी राम जी सहित आठ विधेयक किए गए पारित

ब्यूरो — नई दिल्ली, लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई, जिसके साथ ही संसद का शीतकालीन सत्र संपन्न हो गया। मानसून सत्र की तुलना में शीतकालीन सत्र में दोनों सदनों में कम व्यवधान हुआ और दोनों सदनों में कामकाज सौ फीसदी से ज्यादा दर्ज किया गया। शीत सत्र में लोकसभा में 111 प्रतिशत और राज्यसभा में 121 प्रतिशत कामकाज हुआ। मानसून सत्र में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण के मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के कारण ज्यादातर समय कार्यवाही बाधित रही थी। पहली दिसंबर से शुरू हुए इस सत्र के दौरान कुल 15 बैठकें हुईं और इसमें मनरेगा का स्थान लेने वाले विकसित भारत-जी राम जी विधेयक तथा परमाणु ऊर्जा क्षेत्र के उदारीकरण से संबंधित शांति विधेयक सहित आठ विधेयक पारित किए गए। सत्र में चुनाव सुधारों और वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में दो विशेष चर्चाएं भी हुईं। हालांकि सहमति बनने के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में प्रदूषण की विकराल स्थिति पर चर्चा नहीं हो सकी।

लोकसभा ने दो विधेयकों ‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक’ और ‘प्रतिभूति बाजार संहिता विधेयक-2025’ को विस्तृत अध्ययन के लिए संयुक्त समिति को भेज दिया। दोनों सदनों ने मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (दूसरा संशोधन) विधेयक 2025, केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक 2025, स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक-2025, नाभिकीय ऊर्जा का सतत दोहन तथा उन्नयन विधेयक, 2025 (संक्षिप्त नाम शांति विधेयक, 2025), सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा विधि संशोधन विधेयक) 2025, विकसित भारत रोजगार और आजीविका के लिए गारंटी मिशन-ग्रामीण (विकसित भारत जी राम जी) विधेयक 2025 और निरसन एवं सशोधन विधेयक 2025 पारित किए। इसके अलावा दोनों सदनों ने जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) संशोधन अधिनियम को मणिपुर में लागू करने संबंधी सांविधिक संकल्प को भी मंजूरी दी। राज्यसभा के सभापति सीपी राधाकृष्णन ने अपने समापन वक्तव्य में कहा कि यह सत्र काफी सार्थक रहा और सदस्यों ने जरूरी विधायी कामकाज पूरा कराने में अच्छा सहयोग दिया। उन्होंने कहा कि राज्यसभा का 269वां सत्र उपलब्धियों भरा रहा है।

कांग्रेस बोली, शुरुआत टैगोर के और अंत महात्मा गांधी के अपमान से हुआ

कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि शीतकालीन सत्र की शुरुआत रवींद्रनाथ टैगोर के अपमान से हुई और अंत महात्मा गांधी के अपमान के साथ हुआ। पीएम मोदी की रणनीति साफ थी, जो आधुनिक भारत बनाने वाले तीन लोगों (टैगोर, महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू) का अपमान करना था। जयराम रमेश ने कहा कि वंदे मातरम् पर बहस सरकार की नेहरू को बदनाम करने और इतिहास को तोडऩे-मरोडऩे पर थी। 1937 में टैगोर की सिफारिश पर ही सीडब्ल्यूसी ने फैसला किया था कि वंदे मातरम् के पहले दो छंदों को राष्ट्रगीत के रूप में गाया जाएगा। मनरेगा की जगह वीबी-जी राम जी बिल लाना महात्मा गांधी का अपमान है।

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