मनोरंजन

The Family Man 3 Review :फैमिली मैन वर्सेस फैमिली मैन वाली इस एंगेजिंग कहानी में मनोज और जयदीप शानदार

फैमिली मैन का तीसरा सीजन दस्तक दे चुका है. यह साढ़े चार साल के लम्बे अंतराल के बाद आया है. क्या वाकई इतना लंबा इंतजार पैसा वसूल साबित हुआ है या फिजूल, जानते हैं इस रिव्यु में

वेब सीरीज -फैमिली मैन 3 

क्रिएटर – राज एंड डीके 

निर्देशक -सुमन कुमार और तुषार 

कलाकार -मनोज बाजपेयी,जयदीप अहलावत,प्रियामणि,निमरत कौर,शारिब हाशमी, वेदांत सिन्हा,अश्लेषा ठाकुर ,गुल पनाग,जुगल हंसराज,विपिन शर्मा,श्रेया धन्वंतरि,सीमा विश्वास और अन्य 

प्लेटफार्म – अमेजॉन प्राइम 

रेटिंग -तीन 

the family man 3 review :ओटीटी प्लेटफार्म में मनोज बाजपेयी की वेब सीरीज द फैमिली मैन ने एक बेंचमार्क स्थापित किया है.पिछले दोनों सीजनों ने दर्शकों के दिलो दिमाग पर गहरी छाप छोड़ी है.कई यादगार किरदार से लेकर संवाद दिए हैं.रोमांच,एक्शन,इमोशन के साथ कॉमेडी इस सीजन भी कहानी से जुड़ी हैं,लेखन में थोड़ी खामियां भी हैं,लेकिन यह स्पाई एक्शन ड्रामा आपको एंगेज करके रखता है और कलाकारों का शानदार परफॉरमेंस इस सीजन भी इसकी यूएसपी है. कुल मिलाकर यह सीरीज बिंज वॉच करना बनता है.

फैमिली मैन वर्सेज फैमिली मैन की है कहानी

फैमिली मैन के दूसरे सीजन के खत्म होने के साथ ही अगले सीजन की कहानी को नॉर्थ ईस्ट में ले जाने का इशारा कर दिया गया था तो तीसरे सीजन में कहानी वहां पहुँच गयी है. सीरीज की शुरुआत में ही दिखाया जाता है कि एक के बाद एक बम धमाके नार्थ ईस्ट में हो रहे हैं. चीन ने किस तरह से नॉर्थ ईस्ट से सटे म्यांमार का इस्तेमाल करके प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भारत के खिलाफ एक अपरंपरागत युद्ध छेड़ रखा है. कहानी इस बात को भी रेखांकित करती है. टास्क फ़ोर्स के प्रमुख कुलकर्णी (दिलीप ताहिल )प्रोजेक्ट साहकार के जरिये नार्थ ईस्ट में शान्ति बहाल करवाना चाहते हैं और चीन के आतंकी मिशन का भी खात्मा चाहते हैं. यह प्रोजेक्ट प्राइम मिनिस्टर (सीमा विश्वास )का ड्रीम प्रोजेक्ट है. टास्क फोर्स के प्रमुख कुलकर्णी अपने पसंदीदा स्पाई ऑफिसर श्रीकांत (मनोज बाजपेयी )के साथ शांति समझौते के लिए नागालैंड पहुँचते हैं. वहां के प्रभावशाली सीनियर लीडर डेविड के साथ मिलकर यह शांति समझौता हकीकत बनता इससे पहले कॉन्ट्रैक्ट किलर रुक्मा (जयदीप अहलावत ) उन पर हमला कर देता है. हमले में टास्क फोर्स के प्रमुख कुलकर्णी और सीनियर लीडर दोनों की मौत हो जाती है. श्रीकांत पर भी जानलेवा हमला होता है ,लेकिन श्रीकांत की जान बच जाती है. श्रीकांत की जान तो बच जाती है लेकिन मुसीबत बढ़ जाती है.श्रीकांत रुक्मा को उसके अंजाम तक पहुंचा पाता इससे पहले खुद वह अपने टास्क फोर्स के लिए मोस्ट वांटेड क्रिमिनल बन जाता है. इन सब में श्रीकांत की फैमिली भी जुड़ जाती है. श्रीकांत को अपने दुश्मनों के साथ साथ अपनी ही टास्क फोर्स टीम से भी छिपना पड़ता है.प्रोफेशनल ही नहीं श्रीकांत की पर्सनल लाइफ में भी दिक्कतें कम नहीं हो रही है. सूची और श्रीकांत तिवारी की डिवोर्स की बात उनके बच्चों अश्लेषा और वेदांत को मालूम पड़ गयी है. इन सब से श्रीकांत किस तरह से निकलेगा और क्या रुक्मा का खात्मा कर नार्थ ईस्ट को आने वाले खतरे से बचा पायेगा.वैसे कहानी का एक पेंच यह भी है कि कॉन्ट्रैक्ट किलर रुक्मा भी श्रीकांत को ढूंढ रहा है.उसे श्रीकांत से बदला लेना है. कैसा बदला. रुक्मा के साथ कौन लोग जुड़े हैं और उनका मकसद क्या है. सात एपिसोड की इस सीरीज इन्हीं सवालों के जवाब खुद में समेटे हुए हैं.

सीरीज की खूबियां 

नायक ही फैमिली मैन होता है. इस धारणा को फैमिली का यह नया सीजन तोड़ता है.इस सीजन लेखन टीम ने खलनायक को भी फॅमिली मैन के तौर पर ही दिखाया है. फैमिली मैन वर्सेज फैमिली मैन यह मूल कहानी है. कहानी का बैकड्रॉप नार्थ ईस्ट है और उससे टेंशन को भी यह सीरीज हर फ्रेम में बखूबी दर्शाती है. यूक्रेन और रशिया के युद्ध में हथियार बेचने वाली कंपनियां मालामाल हुई हैं. यह आंकड़े अक्सर सामने आते हैं. यह सीरीज भी इस बात को पुख्ता करती है कि हथियार बेचने वाली कंपनियां चाहती हैं कि दुनिया में कहीं ना कहीं युद्ध चलता रहे ताकि उनकी दुकान भी चलती रही. अगर युद्ध नहीं हो रहे हैं तो वह हथियार बेचने के लिए खुद युद्ध की स्थिति बनाते हैं.इसके अलावा इसमें वो मुद्दे भी हैं ,जो हमारी रोजमर्रा की बहस का हिस्सा बनते रहते हैं.चीन के साथ तकरार ,चीनी सामान और एप्स को बैन करना ,डाटा चोरी , ट्रॉल्लिंग,डीपफेक,पुरुषों में फेमिन साइड ये सब भी कहानी से जुड़े हैं.कहानी और स्क्रीनप्ले सभी को साथ में लेकर चलती है.जिस वजह से यह पूरा अटेंशन मांगती है.सीरीज का रिसर्च वर्क अच्छा है.सीरीज म्यांमार से जुड़े तमिल इतिहास को भी संवाद के ज़रिये ही सही बताना नहीं भूलती है.क्रिएटर राज और डीके ने पिछले दो सीजन में जो जासूसी की दुनिया बसाई है.उसके कुछ रंग इस सीजन भी दिखते हैं. रिटायर्ड ख़ुफ़िया ऑफिसर चेल्लम इस सीजन भी नज़र आये हैं तो जोया, सलोनी और मेजर विक्रम भी इस बार मिशन का हिस्सा बने हैं.इस सीजन फर्जी सीरीज के माइकल (विजय सेतुपति )की एंट्री हुई है.राज एंड डीके की स्पाई यूनिवर्स में वह अपने अंदाज में सीरीज में रंग भरते हैं.दूसरे पहलुओं की बात करें तो नार्थ ईस्ट की बहुत कम एक्सप्लोर हुई लोकेशन शो को परफेक्ट मूड देती है. सीरीज के संवाद अच्छे बन पड़े हैं. मनोज बाजपेयी,शारिब हाशमी और वेदांत सिन्हा के बीच के सीन्स हर हाल में आपके चेहरे में मुस्कान लेकर ही आएंगे तो मारक वाले संवाद भी है. जो दिल पर लगते हैं. औकात बढ़ानी चाहिए लेकिन भूलनी नहीं चाहिए. बैकग्राउंड म्यूजिक उम्दा है. स्पाई थ्रिलर होने के बावजूद यह सीरीज ग्रेविटी के नियम की धज्जियां नहीं उड़ाती है.सीरीज का चेसिंग सीक्वेंस अच्छा बना पड़ा है.

कुछ खामियां भी हैं

 खामियों की बात करें तो सीरीज तीसरे एपिसोड में कहानी रफ़्तार पकड़ती है और रोमांच बढ़ता है. कहानी में रुक्मा का अचानक से अपनी प्रेमिका के साथ शादी के लिए राजी होना अखरता है. रुक्मा और बॉबी के बीच की बॉन्डिंग को थोड़ा और डिटेल में दिखाना था. मनोज बाजपेयी के साथ भी थोड़े और सीन्स होने चाहिए थे.फॅमिली मैन से उम्मीदें बहुत बढ़ी हुई थी इसलिए कहानी में ट्विस्ट एंड टर्न  का डोज भी इस सीजन कम लगता है. इसके साथ ही क्लाइमेक्स और बेहतर हो सकता था. तीसरा सीजन भी कुछ सवालों के जवाब नहीं दे पाया है. लोनावला में आखिर हुआ क्या था. इस सीजन भी उस बात से पर्दा नहीं उठ पाया है.कहानी में शरद केलकर के किरदार का जिक्र सिर्फ यह बताने के लिए किया गया है कि वह अब कनाडा में शिफ्ट हो चुका है. तीसरे सीजन का अंत क्लिफहैंगर पर हुआ है. श्रीकांत तिवारी का क्या हुआ. रुक्मा बच पाया.इस सवाल का जवाब चौथा सीजन देगा. यह चौथे सीजन में आपकी रूचि को बढ़ा जाता है लेकिन इस सीजन को देखते हुए थोड़ा मजा किरकिरा भी कर देता है. इससे इंकार नहीं किया जा सकता है.एडल्ट सीन इस बार नहीं है,लेकिन गालियों की वजह से फैमिली के साथ बैठकर यह सीरीज देखने में थोड़ी दिक्कत हो सकती है.सीरीज में कई संवाद नार्थ ईस्ट की ही लोकल भाषा में है.अंग्रेजी में सब टाइटल हैं तो हिंदी भाषी दर्शकों को थोड़ी परेशानी संवाद को समझने में हो सकती है.

मनोज बाजपेयी और जयदीप अहलावत शानदार

श्रीकांत तिवारी का किरदार मनोज बाजपेयी से बेहतर कोई भी नहीं निभा सकता है. यह बात एक बार फिर सीरीज देखते हुए शिद्दत से महसूस होती है. मनोज बाजपेयी ने सहजता के साथ-साथ श्रीकांत के आंतरिक संघर्ष को झुंझलाहट के साथ एक बार फिर जिया है.जो इस किरदार की पहचान है.जयदीप अहलावत का इंटेंस अभिनय तारीफ़ के काबिल है तो निमरत कौर ने भी अपनी छाप छोड़ी है.शारिब हाशमी एक बार फिर अपने अभिनय से दिल जीत ले जाते हैं .मनोज बाजपेयी के साथ उनके सीन्स सीरीज के हाईलाइट सीन्स में से हैं. प्रियामणि,अश्लेषा ठाकुर और वेदांत सिन्हा ने भी काबिले तारीफ एक्टिंग की है.नार्थ ईस्ट में बेस्ड किरदार निभा रहे सभी एक्टर्स ने कमाल का काम किया है. इसके साथ ही विपिन कुमार,सीमा विश्वास, जुगल हंसराज,दर्शन कुमार सहित बाकी के कलाकारों ने भी अपनी -अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button