उत्तरप्रदेश

‘अब यहां मेरा कुछ नहीं बचा’… बागपत में तिहरे हत्याकांड के बाद मौलवी ने छोड़ा गांव

Baghpat News: गांगनौली गांव की बड़ी मस्जिद में हुए दिल दहला देने वाले तिहरे हत्याकांड के बाद मौलवी इब्राहिम ने गांव छोड़ दिया है। अपने आंसुओं को मुश्किल से रोकते हुए उन्होंने कहा, “जिस जगह मैंने अपना परिवार खो दिया, वहां अब रहना मुमकिन नहीं।” तीन दिन पहले उनकी पत्नी इसराना (30) और मासूम बेटियां सोफिया (5) व सुमैया (2) की निर्मम हत्या कर दी गई थी। इस अपराध को अंजाम देने वाले कोई बाहरी नहीं, बल्कि मौलवी से ही तालीम लेने वाले दो नाबालिग छात्र (14 और 16 वर्ष) थे। पुलिस ने केवल छह घंटे में केस सुलझाते हुए दोनों को गिरफ्तार कर लिया।

“मैंने मेहनत की, लेकिन शायद उन्हें घर से संस्कार नहीं मिले”
मौलवी इब्राहिम ने गांव छोड़ने से पहले एक भावुक अपील की, “मदरसे में बच्चे कुरान पढ़ते थे, मैंने तालीम दी, लेकिन घर में संस्कार नहीं मिले। जब घरों में निगरानी और परवरिश खत्म हो जाती है, तब बच्चे राह से भटक जाते हैं।” उन्होंने कहा कि सिर्फ शिक्षा नहीं, संस्कार और निगरानी भी उतने ही जरूरी हैं।

पुलिस की त्वरित कार्रवाई, सरकार को जताया आभार
मौलवी ने उत्तर प्रदेश सरकार और बागपत पुलिस का आभार जताते हुए कहा, “बिना किसी दबाव या सिफारिश के पुलिस ने सच्चाई सामने रख दी। मैं प्रशासन का आभारी हूं।” पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल किया गया हथौड़ा और चाकू बरामद कर लिया है। दोनों किशोरों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है।

गांव छोड़ते समय ग्रामीण हुए भावुक
जब मौलवी इब्राहिम अपने सामान को टैम्पू में भरकर गांव छोड़ रहे थे, तो गांव के कई लोग, खासकर महिलाएं, भावुक हो उठीं। उन्होंने ग्रामीणों का धन्यवाद करते हुए कहा, “अब मेरा यहां कुछ नहीं रहा।” उन्होंने अपने पैतृक गांव मुजफ्फरनगर के सुन्ना लौटने का फैसला लिया है।

सांसद का बयान: शिक्षा के साथ संस्कार की भी जरूरत
इस दुखद घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए बागपत सांसद डॉ. राजकुमार सांगवान गांव पहुंचे और शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “यह केवल एक परिवार की नहीं, पूरे समाज की त्रासदी है। यह घटना इस बात की सीख है कि बच्चों को तालीम के साथ-साथ संस्कार देना भी जरूरी है।”

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button