अमेरिका जाने वालों के लिए बड़ा झटका: अब लॉटरी नहीं, सैलरी तय करेगी किसे मिलेगा H-1B वीजा

नेशनल डेस्क: वाशिंगटन से आई एक बड़ी खबर ने उन लाखों भारतीयों की नींद उड़ा दी है जो अमेरिका में करियर बनाने का ख्वाब देख रहे हैं। ट्रंप प्रशासन ने दशकों पुराने ‘लॉटरी सिस्टम’ को विदा करने का मन बना लिया है। अब अमेरिकी वर्क वीजा (H-1B) ‘लक’ (किस्मत) से नहीं, बल्कि ‘लक्स’ (लक्जरी सैलरी) से मिलेगा।
यहाँ इस बड़े नीतिगत बदलाव का पूरा विश्लेषण और नया ड्राफ्ट दिया गया है:
H-1B वीजा का नया अध्याय: अब ‘किस्मत’ नहीं, ‘काबिलियत और कीमत’ तय करेगी अमेरिका का रास्ता
अमेरिका जाने वाले विदेशी प्रोफेशनल्स के लिए अब नियम पूरी तरह बदलने जा रहे हैं। अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने एक क्रांतिकारी बदलाव का ऐलान किया है, जिसके तहत रैंडम लॉटरी के बजाय अब ‘वेज-वेटेड सिस्टम’ (Salary-Based Selection) को अपनाया जाएगा। सरल शब्दों में कहें तो, जो कंपनी विदेशी कर्मचारी को जितनी ज्यादा सैलरी देगी, उसे वीजा मिलने की संभावना उतनी ही अधिक होगी।
क्यों खत्म हो रही है दशकों पुरानी लॉटरी?
यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) का मानना है कि मौजूदा सिस्टम में कई खामियां थीं। आरोप है कि कई कंपनियां कम वेतन पर विदेशी युवाओं को लाने के लिए लॉटरी सिस्टम का दुरुपयोग कर रही थीं, जिससे स्थानीय अमेरिकी कर्मचारियों के वेतन और नौकरी पर नकारात्मक असर पड़ रहा था।




