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अर्धसैनिक बलों को मिल रहा पूरा सम्मान

केंद्रीय सशस्त्र बलों के जवानों-अफसरों के लिए ई-आवास पोर्टल चालू है जिसके तहत उनके लिए आवास की सुविधा पाना आसान होगा। हर व्यक्ति चाहता है कि उसके बच्चे अच्छी शिक्षा पाएं और उनकी इस सोच को मूर्त करने के लिए पीएम स्कॉलरशिप स्कीम लॉन्च की गई है जिसमें लड़कियों के लिए हर महीने 3000 रुपए तथा लडक़ों के लिए 2500 रुपए दिए जा रहे हैं। ये सारी सुविधाएं देने का मकसद है कि देश के लिए लड़ रहे जवान अपने परिवार के भविष्य के प्रति आश्वस्त रहें और अपना कत्र्तव्य उसी जोश-खरोश से निभाएं। उनमें सुरक्षा की एक भावना घर कर जाए। गृह मंत्रालय का यह प्रयास रहा है कि भारतीय सेना की तरह अर्धसैनिक बलों को भी आर्थिक तथा अन्य रूप से सशक्त बनाया जाए। उनके परिवारों को अधिक से अधिक सहायता तथा विश्वास देकर उन्हें उनके भविष्य के प्रति आश्वस्त किया जाए…

भारतीय सेना दुनिया की सबसे बहादुर, शौर्यवान और साहसी जवानों की सेना है जिसने समय-समय पर अपना जौहर दिखाया है। उसने कई लड़ाइयां लड़ी हैं और शत्रु के छक्के छुड़ाए हैं और जरूरत पडऩे पर बलिदान भी दिया है। यह हमारा गौरव है। लेकिन हमारे अर्धसैनिक बल भी किसी से कम नहीं हंै। वे कठिन से कठिन अभियानों में भाग लेते रहते हैं। कई सारे तो खुद अपने बूते जीते हैं तो कइयों ने भारतीय सेना के साथ रहकर बड़ी लड़ाइयां लड़ी हैं। उन्होंने एक से बढक़र एक उपलब्धियां पाई हैं और दुश्मन को धूल चटाई है। सीआरपी, बीएसएफ, आईटीबीपी के अलावा एनडीआरएफ के जवान दिन-रात अपनी सेवा दे रहे हैं और प्रतिकूल परिस्थितियों में अपना काम कर रहे हैं। अपनी जान हथेली पर लेकर चलना कोई इनसे सीखे। इन्होंने देश के लिए दिए गए हर असंभव टास्क को भी पूरा किया है और जरूरत पडऩे पर अपना बलिदान भी दिया है। उन्होंने अपने-अपने बलों का नाम ऊंचा किया है। जब पहलगाम में 26 निहत्थे पर्यटकों और एक स्थानीय नागरिक को पाकिस्तानी आतंकवादियों ने क्रूरता से मार डाला तो गृह मंत्रालय ने सीआरपीएफ को सेना के साथ मिलकर उनके खात्मे के लिए अभियान चलाने का निर्देश दिया।

उस दिन से ही ये जवान दिन-रात आतंकवादियों के ठिकानों का पता लगाने में जुट गए। कुछ ही महीनों के अंदर वह दिन भी आया जब दुर्गम इलाके में उन आतंकवादियों से मुठभेड़ हुई और सेना के साथ मिलकर सीआरपीएफ के जवानों ने उन तीनों को यमलोक पहुंचा दिया। केंद्रीय गृह मंत्री ने लोकसभा में बताया कि सुलेमान, अफगान और जिब्रान लश्कर के आतंकी थे जिन्होंने बेगुनाह और निहत्थे भारतीयों को पहलगाम में मार दिया था। इसके लिए सेना, सीआरपीएफ और जे. एंड के. पुलिस ने दो महीने लंबा अभियान चलाया और फिर सही मुकाम पर पहुंचा दिया। हमारे सैनिकों और सीआरपीएफ ने उनकी तलाश में दिन-रात एक कर दिया। दुर्गम पहाड़ों में वे उनकी खोज करते रहे और समय आने पर उनका सफाया कर दिया। इस अभियान को ऑपरेशन महादेव का नाम दिया गया, जो साहस और वीरता की मिसाल बनी। दूसरी ओर देश के आंतरिक दुश्मनों को नेस्तनाबूद करने में उन्होंने बड़े-बड़े बलिदान दिए हैं। माओवादियों के खिलाफ उनका अभियान कई चरणों में रहा और इसका फल मिलने लगा है। बड़ी तादाद में माओवादी या तो सरेंडर करते दिखे या फिर मारे गए। गृह मंत्रालय ने हाल के वर्षों में एक बड़ा अभियान जिसके तहत सीआरपीएफ को पूरी छूट दी गई, उन्हें आधुनिक शस्त्रों से लैस किया गया, ड्रोन की मदद दी गई तथा चौकियों की संख्या बढ़ाई गई। गृह मंत्री अमित शाह ने व्यक्तिगत दिलचस्पी ली और इस अभियान को ऑपरेशन फॉरेस्ट का नाम दिया। नक्सलियों के खिलाफ यह अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन रहा है। सीआरपीएफ ने छत्तीसगढ़ पुलिस के साथ मिलकर तेलंगाना की सीमा पर स्थित कारेगुट्टालु पहाडिय़ों को घेर लिया। अपने अदम्य साहस और कौशल से उन्होंने सीपीआई-माओवादी गुट के महासचिव नांबाला केशव राव को मार गिराया। यह दुर्दांत माओवादी 2010 के दंतेवाड़ा नरसंहार तथा 76 सीआरपीएफ जवानों की हत्या के लिए जिम्मेदार था। वहां उसके कई और साथी भी मारे गए तथा बड़ी संख्या में माओवादियों ने सरेंडर कर दिया।

गृह मंत्री ने इसके साथ ही दावा किया है कि 31 मार्च 2026 तक उस पूरे इलाके को नक्सलियों से मुक्त करा दिया जाएगा। अर्धसैनिक बलों की इस वीरता और जुझारूपन के लिए उन्हें गृह मंत्री ने स्वयं सम्मानित किया, जबकि पहले ऐसी परंपरा नहीं थी और अर्ध सैनिक बलों की वीरता के किस्से कम सुनने को मिलते थे, क्योंकि पहले की सरकारें इसके बारे में ज्यादा ध्यान नहीं देती थीं। लेकिन वर्तमान सरकार ने इनकी सुध ली है और इनके कल्याण के लिए कई पहल भी किए हैं जिससे अर्धसैनिक बलों में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है तथा वे कहीं ज्यादा समर्पित भाव से सक्रिय हो गए हैं। गृह मंत्रालय ने 2021 में एक पहल की जिसे आयुष्मान सीएपीएफ का नाम दिया गया और जिसके तहत केंद्रीय सशस्त्र बलों, असम राइफल्स, नेशनल सिक्योरिटी गार्ड, एनडीआरएफ तथा उनके आश्रितों के लिए प्राइवेट तथा सरकारी अस्पतालों में पेपरलेस इलाज की व्यवस्था कर दी गई। अब तक लगभग 42 लाख कार्ड जारी किए जा चुके हैं। इतना ही नहीं, दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों में जान जाने पर निकटतम संबंधी को 25 लाख रुपए का भुगतान करने की व्यवस्था की गई है। अगर किसी तरह की हिंसा या आतंकी हमले में जवान शहीद होता है तो यह राशि 35 लाख रुपए होगी। अवकाश प्राप्त जवानों या अफसरों तथा उनके आश्रितों के लिए सीजीएचएस/सीपीएमएफ अस्पतालों में मुफ्त इलाज की व्यवस्था कर दी गई है। केन्द्रिय सशस्त्र बलों के लिए पहले से बेहतर पेंशन स्कीम लाई गई है।

शहीद अथवा विकलांग होने पर उनके परिवारों के लिए एक विशेष पेंशन स्कीम तैयार की गई है। जोखिम भरे इलाकों में काम करने वाले बलों के जवानों के लिए अलग भत्ते की व्यवस्था की गई है। केन्द्रिय सशस्त्र बलों के जवानों-अफसरों के लिए ई-आवास पोर्टल चालू है जिसके तहत उनके लिए आवास की सुविधा पाना आसान होगा। हर व्यक्ति चाहता है कि उसके बच्चे अच्छी शिक्षा पाएं और उनकी इस सोच को मूर्त करने के लिए पीएम स्कॉलरशिप स्कीम लॉन्च की गई है जिसमें लड़कियों के लिए हर महीने 3000 रुपए तथा लडक़ों के लिए 2500 रुपए दिए जा रहे हैं। ये सारी सुविधाएं देने का मकसद है कि देश के लिए लड़ रहे जवान अपने परिवार के भविष्य के प्रति आश्वस्त रहें और अपना कत्र्तव्य उसी जोश-खरोश से निभाएं। उनमें सुरक्षा की एक भावना घर कर जाए। गृह मंत्रालय का यह प्रयास रहा है कि भारतीय सेना की तरह अर्धसैनिक बलों को भी आर्थिक तथा अन्य रूप से सशक्त बनाया जाए। उनके परिवारों को अधिक से अधिक सहायता तथा विश्वास देकर उन्हें उनके भविष्य के प्रति आश्वस्त किया जाए। सबसे बड़ी बात यह है कि उग्रवाद तथा आतंकवाद के प्रति सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के कारण इन सशस्त्र बलों में एक अतिरिक्त विश्वास पैदा हुआ है कि वाकई सरकार इनका अंत चाहती है। अब यह विश्वास जवानों में भर गया है और उसके सकारात्मक परिणाम देखने में आ रहे हैं। आतंकवादी मारे जा रहे हैं और उग्रवादियों के लिए छुपने की जगहें कम होती जा रही हैं।

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