आप बैंकों काे समझा दें वरना…राज ठाकरे की सीएम फडणवीस को चिट्ठी, सुझावों के साथ दी चेतावनी

मुंबई: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के चीफ राज ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को खुला खत लिखा है। इस खत में मनसे चीफ ने राज्य में भारी बारिश से हुई तबाही की ओर सीएम का ध्यान खींचने हुए पांच सुझाव दिए हैं। मानसून की विदाई के साथ बीड़, धाराशिव और मराठवाड़ा के दूसरे जिलों में बारिश से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। बादल फटने जैसे हालत में करीब 10 लोगों की मौत भी हुई है। इस बीच मनसे चीफ से मुख्यमंत्री को पांच सुझाव दिए हैं। राज ठाकरे का यह पत्र फडणवीस के बाढ़ प्रभावित दौरे के बाद सामने आया है। इसमें उन्होंने कहा है कि कई जगहों पर ज़मीन पूरी तरह बह गई है। कृषि को भारी नुकसान हुआ है। ग्रामीण महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से तबाह हो गई है।
राज ठाकरे ने दिए पांच सुझाव
1. तुरंत सूखा घोषित कर दें: बिना कोई मानदंड तय किए, सूखा घोषित कर दें। 7 और 8 हजार रुपये प्रति एकड़ के मामूली मुआवजे से कुछ नहीं होगा। इसके बजाय, कम से कम 30 हज़ार रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा घोषित करें। क्योंकि अब किसान को बसने में कम से कम 1 साल लग जाएगा।
2. राज्य की नाजुक है स्थिति: पिछले कुछ सालों की बेतहाशा फिजूलखर्ची के कारण राज्य की आर्थिक स्थिति नाजुक हो गई है, फिर भी सरकार को हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठना चाहिए। उसे समय रहते केंद्र से संपर्क करना चाहिए और केंद्र से राहत पैकेज प्राप्त करना चाहिए। केंद्र सरकार बिहार को ऐसा पैकेज दे चुकी है, इसलिए महाराष्ट्र को देने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। और इसके लिए दिल्ली से भी संपर्क करना चाहिए। राज्य को यह देखना चाहिए कि हम सिर्फ अपनी व्यक्तिगत शिकायतों या घटक दलों के आपसी झगड़ों के लिए ही दिल्ली न जाएं, बल्कि सरकार में शामिल सभी दल भी राज्य के लिए दिल्ली दौड़े।
3. किसी भी पढ़ाई नहीं रुके: ऐसी आपदा की सबसे पहली मार लड़के-लड़कियों की शिक्षा पर पड़ती है। किसी भी बच्चे की पढ़ाई नहीं रुकेगी। उसे जरूरी किताबें-कॉपी मिल जाएंगी, और ऐसे में सरकार को यह सोचना चाहिए कि जब बच्चे अर्धवार्षिक परीक्षा देंगे तो उनकी मनःस्थिति क्या होगी और तुरंत कोई कदम उठाना चाहिए। उम्मीद है कि हिंदी भाषा को लागू करने में दिखाई गई चुस्ती और जिद यहां भी दिखाई देगी।
4. आपदा के बाद महामारी का प्रकोप: ऐसी आपदा के बाद महामारी का प्रकोप बहुत बढ़ जाता है, जिसके लिए सरकार को यह भी देखना चाहिए कि राज्य का स्वास्थ्य विभाग सतर्क रहे। जिला अस्पतालों से लेकर स्वास्थ्य केंद्रों तक सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर जगह दवाओं की कमी न हो।
5. नहीं तो कार्यकर्ता समझा देंगे: ऐसे संकट के बाद बैंकों पर कर्ज चुकाने का दबाव एक बहुत ही ज्वलंत मुद्दा है। या तो सरकार बैंकों को अभी से समझा दे, वरना हमारे महाराष्ट्र के कार्यकर्ता उन्हें समझा देंगे।
आंसू पोंछना सरकार का जिम्मेदारी
राज ठाकर ने पत्र के अंत में महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस से कहा है कि किसानों के आंसू पोंछना सरकार का काम है। लेकिन उसका विज्ञापन करना महाराष्ट्र की संस्कृति नहीं रही। इसलिए इन सब प्रलोभनों से दूर रहकर सरकार और प्रशासन को अब कम से कम 30 से 40 हजार प्रति एकड़ की सहायता की घोषणा करनी चाहिए और देखना चाहिए कि किसान और उसका परिवार फिर से खड़ा हो जाए।




