क्या भूत और भविष्यकाल में जाया जा सकता है? जानिए समय यात्रा पर क्या कहता है विज्ञान

अल्बर्ट आइंस्टाइन ने अपने सापेक्षतावाद के सिद्धांत में इस बारे में बताया था कि समय हर जगह एक समान नहीं है बल्कि यह गति और गुरुत्वाकर्षण से प्रभावित होता है।
समय यात्रा करना हमेशा से हमारी जिज्ञासा के केंद्र में रहा है। हॉलीवुड की कई फिल्मों में हमने किरदारों को समय यात्रा करते हुए देखा है? ऐसे में सवाल उठता है कि क्या समय यात्रा करना संभव है? या ये केवल एक कोरी कल्पना मात्र भर है। विज्ञान ने इस विषय पर करीबी से अध्ययन किया है। अध्ययन के बाद ऐसे कई सिद्धांत सामने निकलकर आए हैं, जो यह बताते हैं कि सैद्धांतिक रूप से तो समय यात्रा की जा सकती है।
समय को हम घड़ी की सुइयों या दिन-रात के बदलाव से जोड़कर देखते हैं, लेकिन समय एक आयाम है। अल्बर्ट आइंस्टाइन ने अपने सापेक्षतावाद के सिद्धांत में इस बारे में बताया था कि समय हर जगह एक समान नहीं है बल्कि यह गति और गुरुत्वाकर्षण से प्रभावित होता है।
अगर कोई वस्तु प्रकाश की गति से चलती है तो समय उसके लिए काफी धीमा हो जाएगा। वहीं जो व्यक्ति सामान्य गति पर चल रहा है उसके लिए समय सामान्य रहेगा। इसके अलावा गुरुत्वाकर्षण भी समय को प्रभावित करने का काम करता है।
पृथ्वी के मुकाबले स्पेस में समय तेज चलता है। अगर एक घड़ी को पृथ्वी पर रख दिया जाए और दूसरी घड़ी को स्पेस में तो पृथ्वी पर रखी गई घड़ी स्पेस में रखी गई घड़ी के मुकाबले धीमीं चलेगी। इसकी मुख्य वजह पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण है, जिसकी वजह से पृथ्वी पर समय अंतरिक्ष के मुकाबले धीमा है। हालांकि, यह अंतर बहुत सूक्ष्म है।
वहीं अतीत में यात्रा करना विज्ञान के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। सोचिए अगर भविष्य में कोई टाइम मशीन बना ली जाए और कोई व्यक्ति अतीत में जाकर अपने ग्रैंडफादर को मार दे तो इससे उसका वर्तमान प्रभावित हो सकता है। इस स्थिति में टाइम ट्रैवल करने वाले शख्स का अस्तित्व नहीं होना चाहिए।
इसे ही ग्रैंडफादर पैराडॉक्स कहा जाता है। यह अतीत में समय यात्रा करने की सबसे बड़ी पहेली है। इसमें कोई व्यक्ति समय में पीछे सफर करके अपने वर्तमान को बदल सकता है। आज की वैज्ञानिक दुनिया यह जरूर कहती है कि भविष्य की यात्रा तो संभव हो सकती है, लेकिन अतीत में जाना थोड़ा धुंधला है।




