दिल्ली

ग्रीन पटाखों के लिए कितनी तैयार है दिल्ली? सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर छिड़ी बहस, जान लीजिए एक्सपर्ट्स की राय

नई दिल्ली: सात साल बाद दिल्ली-एनसीआर वालों को सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के साथ दिवाली मनाने की मंजूरी दी है। हालांकि 18 से 21 अक्तूबर तक यह छूट सिर्फ ग्रीन क्रैकर्स के लिए और वह भी सीमित समय के लिए दी गई है। लेकिन ग्रीन क्रैकर्स के इस्तेमाल को लेकर पर्यावरण एक्सपर्ट, पर्यावरण कार्यकर्ताओं और आरडब्ल्यूए तक में बहस छिड़ गई है।

एक्सपर्ट्स के अनुसार, 2018 में दिल्ली में इसी तरह की दिवाली मनाई गई थी और अब भी स्थिति लगभग वैसी ही है। उनका कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में सिर्फ ग्रीन क्रैकर्स की बिक्री और जलाने के लिए पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होगी। फिलहाल न तो इनके लिए कोई लैब है, न सर्टिफिकेशन सिस्टम। इतना ही नहीं, दिल्ली-एनसीआर में इस प्रक्रिया के लिए पर्याप्त मैनपावर और तकनीकी ज्ञान भी नहीं है। पर्यावरण कार्यकर्ता भवरीन कंधारी का कहना है कि कुछ साल पहले भी ग्रीन क्रैकर्स वाली दिवाली मनाने का नियम था, लेकिन बाजार में ये पटाखे उपलब्ध नहीं थे। लोगों ने जो भी पटाखे मिले, वे ही जलाए और उसके बाद कई दिनों तक स्मॉग की चादर में छाई रही।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की एयर लैब के पूर्व प्रमुख दीपांकर साहा का कहना है कि जो भी चीज धुआं करती है, वह इको-फ्रेंडली नहीं हो सकती। ग्रीन क्रैकर्स कम धुआं छोड़ते हैं क्योंकि इनमें बेरियम और ऐल्युमिनियम जैसे खतरनाक रसायनों की मात्रा कम होती है।

क्रैकर्स जलाना प्रदूषण को बढ़ाता है

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की प्रोग्राम मैनेजर शांभवी शुक्ला का कहना है कि क्रैकर्स के नाम पर कुछ भी जलाना प्रदूषण को बढ़ाता है। भले कहा जा रहा हो कि ग्रीन क्रैकर्स प्रदूषण कम करते हैं, लेकिन यह तय करना भी जरूरी है कि आखिर कितने पटाखे शहर में जलाएं जाएंगे। एनवायरो कैटलिस्ट्स के लीड एनालिस्ट और फाउंडर सुनील दहिया ने कहा कि यह फैसला त्योहार के वक्त ग्रीन पटाखों के निर्माण और उन्हें जलाने की छूट देता है। इस छूट का पर्यावरण पर क्या असर पड़ेगा, इसकी अनदेखी की गई है। उनके अनुसार, औसतन देखा जाए तो इससे राजधानी में धुआं बढ़ना तय है।

नियमों का पालन अब भी मुश्किल

ग्रीन पटाखों से जुड़े नियमों का पालन दिल्ली-एनसीआर में करना अब भी ‘दूर की कौड़ी’ है। पर्यावरण विशेषज्ञ सुधांशु जैन के अनुसार, राजधानी में ग्रीन क्रैकर्स की जांच के लिए कोई टेस्टिंग सुविधा नहीं है। नियमों को लागू करने वाले विभाग जैसे दिल्ली पुलिस, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) और अन्य सिविक एजेंसियां पहले से ही दिवाली के समय कई तरह की निगरानी में लगी होती हैं। दिल्ली पुलिस नकली और पारंपरिक पटाखों की खेप पकड़ रही है।

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