चुनौतियों के बीच अधिक विकास दर

अमेरिका की टैरिफ चुनौतियों सहित अन्य वैश्विक आर्थिक मुश्किलों के बीच भारत की अर्थव्यवस्था का क्षमता के मुताबिक प्रदर्शन बेहतर करने हेतु उद्योग-कारोबार को आर्थिक-वित्तीय सहारा जरूरी है। इसी प्रकार विश्व बैंक की वित्तीय क्षेत्र आकलन (एफएसए) रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत विकास की डगर पर आगे बढ़ रहा है। लेकिन अब भारत को 2047 तक 30000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए आर्थिक-वित्तीय क्षेत्र में सुधारों को और तेजी देने की जरूरत है…
हाल ही में 28 नवंबर को सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 2025-26 में जुलाई-सितंबर की तिमाही में 8.2 प्रतिशत बढ़ी है। पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 5.6 प्रतिशत थी। खास बात यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने विकास दर के मामले में दुनिया की सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ दिया है। स्थिति यह है कि चालू वित्त वर्ष में चुनौतियों के बावजूद जीडीपी की वृद्धि दर उम्मीद से अधिक रहने की संभावना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत की 8.2 प्रतिशत की विकास दर वृद्धि समर्थक नीतियों और सुधारों के प्रभाव को बताती है, वहीं वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार के द्वारा कारोबारी सुगमता और उत्पादकता बढ़ाने जैसे कदमों से जीडीपी बढ़ी है। गौरतलब है कि इन दिनों भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रकाशित हो रही विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व वित्तीय संगठनों की रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि भारत में महंगाई घटने और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दर में कटौती से उपभोग और घरेलू खपत में जोरदार इजाफा होने से विकास दर बढ़ी है।
जहां भारत की अर्थव्यवस्था ट्रंप के टैरिफ का प्रतिकूल असर झेल गई, वहीं निर्यात, पूंजीगत निवेश और निवेश रुझान पर प्रतिकूल असर की चुनौतियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ आगे बढ़ी है। साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक अनिश्चितताओं से निर्मित हो रही चुनौतियों से निपटने की स्थिति में है। निश्चित रूप से जब दुनिया के अधिकांश देशों में महंगाई तेजी से बढ़ रही है, वहीं भारत में महंगाई में तेज कमी भारत की एक बड़ी आर्थिक ताकत बन गई है। हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां अक्टूबर 2025 में खुदरा महंगाई घटकर पिछले 10 साल के न्यूनतम स्तर 0.25 प्रतिशत पर आ गई, वहीं थोक महंगाई 27 महीने के निचले स्तर शून्य से 1.21 प्रतिशत नीचे रही है। महंगाई में यह ऐतिहासिक कमी प्रमुखतया सब्जियां, फल, अंडे, फुटवियर, अनाज व उससे बने उत्पाद, बिजली, परिवहन और संचार आदि मदों की महंगाई में गिरावट के कारण हुई है। महंगाई में आई गिरावट के पीछे विगत 22 सितंबर से लागू वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधार की भी अहम भूमिका है। जीएसटी दरों में की गई कमी से खाने-पीने की सभी वस्तुएं सस्ती हुई हैं। क्रिसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर 2025 में शाकाहारी थाली सालाना आधार पर 17 फीसदी सस्ती होकर 27.8 रुपए और मांसाहारी थाली 12 फीसदी सस्ती होकर 54.4 रुपए के मूल्य स्तर पर पाई गई। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि इस समय विभिन्न शोध रिपोर्टों में यह भी कहा जा रहा है कि खाद्यान्न के रिकॉर्ड उत्पादन और अच्छे मानसून के बाद कृषि और औद्योगिक क्षेत्रों को मिली अनुकूलताओं के कारण आगामी महीनों में भी महंगाई में और कमी आने की उम्मीद है। अनुमान है कि इस वित्त वर्ष 2025-26 में औसतन खुदरा महंगाई दर 2.5 प्रतिशत रह सकती है, जो पिछले वर्ष के 4.6 प्रतिशत के मुकाबले काफी कम होगी। नि:संदेह भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती के मद्देनजर महंगाई घटने और जीएसटी सुधार के साथ-साथ कुछ और आर्थिक अनुकूलताएं उभरकर दिखाई दे रही हैं। यह कोई छोटी बात नहीं है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाए जाने के बाद भारत ने रूस और चीन के साथ आर्थिक-वैश्विक कूटनीति और नए निर्यात बाजारों में आगे बढऩे की जो रणनीति अपनाई, वह कारगर दिखाई दे रही है।
इस नीति से ट्रंप के टैरिफ के बीच पिछले अगस्त से अक्टूबर माह में अमेरिका को छोडक़र अन्य देशों में भारत के निर्यात बढ़े हैं। यह भी कोई छोटी बात नहीं है कि वैश्विक चुनौतियों के बीच रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने शिखर वार्ता के लिए भारत आना सुनिश्चित किया है। इस मौके पर भारत व रूस के बीच कारोबार सहित कई समझौते हुए। इन सबके साथ-साथ विभिन्न देशों के साथ तेजी से आकार लेते हुए दिखाई दे रहे भारत के मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) भारत के निर्यात के मद्देनजर मील का पत्थर बनते हुए दिखाई दे रहे हंै। इतना ही नहीं 21 नवंबर से देश में लागू नए श्रम कानून देश के आर्थिक विकास में नई प्रभावी भूमिका निभाएंगे। उल्लेखनीय है कि हाल ही में एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की अर्थव्यवस्था के 6.5 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष 2026-27 में 6.7 प्रतिशत की दर से बढऩे का अनुमान व्यक्त किया है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि सरकार के बड़े फैसले जैसे कि पहला टैक्स में कटौती और दूसरा मौद्रिक नीति में ढील से उपभोग आधारित बढ़ोतरी को बढ़ावा मिलेगा। यह आर्थिकी को तेजी से बढ़ाएगी। रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने कहा कि जीएसटी की कम दरें मध्यम वर्ग के उपभोग को बढ़ावा देंगी और इस वर्ष शुरू की गई आयकर कटौती एवं ब्याज दरों में कटौती का पूरक बनेंगी। इन बदलावों से चालू वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष में निवेश की तुलना में उपभोग वृद्धि का एक बड़ा चालक बन सकता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि यद्यपि चालू वित्त वर्ष 2025-26 में वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और व्यापार तनाव के बीच वैश्विक वृद्धि दर धीमी है, लेकिन इसके बावजूद भारत मजबूत घरेलू खपत के दम पर 6.6 फीसदी विकास दर प्राप्त करते हुए दुनिया की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओ में सबसे अधिक विकास दर की संभावनाएं रखता है।
साथ ही भारत की विकास दर चीन से भी अधिक अनुमानित है। नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनैंस ऐंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 की मध्यवर्ती आर्थिक समीक्षा में कहा कि जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाए जाने और महंगाई में कमी का लाभ भारत की अर्थव्यवस्था को मिला है। लेकिन अमेरिका की टैरिफ चुनौतियों सहित अन्य वैश्विक आर्थिक मुश्किलों के बीच भारत की अर्थव्यवस्था का क्षमता के मुताबिक प्रदर्शन बेहतर करने हेतु उद्योग-कारोबार को आर्थिक-वित्तीय सहारा जरूरी है। इसी प्रकार विश्व बैंक की वित्तीय क्षेत्र आकलन (एफएसए) रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत विकास की डगर पर आगे बढ़ रहा है। लेकिन अब भारत को 2047 तक 30000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए आर्थिक-वित्तीय क्षेत्र में सुधारों को और तेजी देने तथा उद्योग-कारोबार के लिए निजी पूंजी जुटाने को बढ़ावा देने की जरूरत है। निश्चित रूप से देश को वर्ष 2027 तक दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने और 2047 तक दुनिया का विकसित देश बनाने के मद्देनजर कई अहम बातों पर ध्यान देना होगा। जीएसटी के बाद अब ऊंची आर्थिक विकास दर के मद्देनजर नई पीढ़ी-अगली पीढ़ी के सुधारों के लिए आगे बढऩे की जरूरत है। इन सुधारों के तहत जीवन में आसानी, कारोबार सुगमता, बुनियादी ढांचा सुधार, प्रशासन को सशक्त बनाने और अर्थव्यवस्था को मजबूती देने संबंधी सुधार शामिल हैं। साथ ही देश को कृषि, बैंकिंग, बीमा, परिवहन और दूरसंचार, बिजली, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष और रक्षा, पेट्रोलियम, कोयला और अन्य खनिज आदि सुधारों की डगर पर भी आगे बढऩा होगा। तभी भारत विकसित देश बन सकेगा।-डा. जयंती लाल भंडारी




