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झंझट में फंसा कपिल शर्मा, क्या मिलेगा उसे असली प्यार? कहानी है मजेदार

Kis Kisko Pyaar Karoon 2 Review: कपिल शर्मा की फिल्म ‘किस किसको प्यार करूं 2’ बड़े पर्दे पर आज रिलीज हो गई. फिल्म में कपिल के अलावा त्रिधा चौधरी, पारुल गुलाटी और आयशा खान हैं. मूवी की कहानी काफी मजेदार है, जिसमें कपिल की तीन शादी हो जाती है.

फिल्म: किस किसको प्यार करूं 2
निर्देशक: अनुकल्प गोस्वामी
अवधि: 2 घंटे 24 मिनट
कलाकार: कपिल शर्मा, मंजोत सिंह, हीरा वरीना, त्रिधा चौधरी, पारुल गुलाटी, आयशा ख़ान, अखिलेंद्र मिश्रा, विपिन शर्मा, सुशांत सिंह और जैमी लीवर
रेटिंग: 3.5 स्टार
प्लेटफॉर्म: थिएटर्स

Kis Kisko Pyaar Karoon 2 Review: कपिल शर्मा, त्रिधा चौधरी, पारुल गुलाटी और आयशा खान स्टारर फिल्म ‘किस किसको प्यार करूं 2’ आज रिलीज हो गई. फिल्म का ट्रेलर काफी फनी था और इसे दर्शकों ने अच्छा रिस्पांस दिया था. फिल्म की कहानी मोहन (कपिल शर्मा) की है, जिसे तीन-तीन शादियां करनी पड़ती है. इस बीच उसकी लाइफ में उसकी अधूरी मोहब्बत सानिया (हीरा वनिया) वापस आ जाती है. अब यही सवाल खड़ा होता है- क्या तीन-तीन शादियों की इस अफरातफरी के बाद मोहन को उसका सच्चा प्यार मिल पाएगा? क्या वह इस पेचीदा हालात से बाहर निकल सकेगा?

कपिल का दमदार अभिनय और स्टारकास्ट की शानदार परफॉर्मेंस

फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है कपिल शर्मा की बेहतरीन कॉमिक टाइमिंग. उनकी हाजिरजवाबी जहां दर्शकों को हंसते-हंसते लोटपोट कर देती है. वहीं कई सीन में उनका भावुक अभिनय भी हैरान कर देता है. कपिल ने केवल हास्य नहीं परोसा, बल्कि मोहन के दर्द, उलझन और रोमांटिक लम्हों को भी प्रभावी तरीके से निभाया है. हीरा वनिया, त्रिधा चौधरी, पारुल गुलाटी और आयशा खान-चारों ने अपने-अपने किरदारों में पूरा दमखम दिखाया है. कपिल के साथ उनकी जोड़ी भी पर्दे पर अच्छी जमती है. मंजोत सिंह दोस्त की भूमिका में माहौल हल्का-फुल्का बनाए रखते हैं. इसके अलावा अखिलेंद्र मिश्रा, विपिन शर्मा, सुशांत सिंह और जैमी लीवर अपनी मौजूदगी से कहानी में और जान डालते हैं.

फैमिली एंटरटेनमेंट के साथ पुरानी यादों का तड़का

फिल्म ‘किस किसको प्यार करूं 2’ में कई ऐसे सीन हैं जो दर्शकों को खुलकर हंसने पर मजबूर कर देते हैं और उसके संवाद भी काफी असर छोड़ते हैं. संगीत ऐसा है कि फिल्म खत्म होने के बाद भी उसके धुनें मन में गूंजती रहती हैं. तकनीकी स्तर पर फिल्म अच्छी तरह संभली हुई है-कई शॉट्स बेहद खूबसूरत हैं, एडिटिंग टाइट है और बैकग्राउंड स्कोर कहानी को और गहराई देता है. फिल्म की प्रस्तुति में शुरुआती 2000 के दशक की झलक मिलती है, जिससे एक हल्की-सी पुरानी यादों वाली फील भी आ जाती है.

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