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झारखंड के मां पाउड़ी मंदिर में 16 दिनों तक होती है दुर्गा पूजा, नुआखाई पर लगता है चावल का भोग, जलती है अखंड ज्योत

: झारखंड के सरायकेला में दुर्गा पूजा काफी धूमधाम से मनायी जाती है. राजपरिवार की ओर से सदियों से मां पाउड़ी मंदिर में 16 दिनों तक दुर्गा पूजा की जाती है. जिउतियाष्टमी से लेकर महाष्टमी तक मां दुर्गा की पूजा होती है. इस दौरान अखंड ज्योत जलती है. नवमी के दिन नुआखाई के बाद राजपरिवार मां पाउड़ी को नयी फसल से तैयार चावल का भोग अर्पित करता है. राजपरिवार की 64वीं पीढ़ी आज भी उसी भक्ति-भाव से परंपरा का निर्वहन कर रही है.

सरायकेला, शचिंद्र कुमार दाश-झारखंड के सरायकेला जिले में राजवाड़ी की दुर्गा पूजा कई मायने में खास है. राजवाड़ी में 16 दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की परंपरा है. राजवाड़ी के पाउड़ी मंदिर में मां दुर्गा की पूजा जिउतियाष्टमी से लेकर महाष्टमी तक होती है. 16 दिनों तक माता के दरबार में अखंड ज्योत जलती रहती है. 14 सितंबर की रात जिउतिया पर यहां पूजा शुरू होगी. जिउतिया से षष्टी तक यह पूजा राजमहल के अंदर स्थापित मां पाउड़ी के मंदिर में होती है. फिर षष्टी के दिन शस्त्र पूजा के बाद बाकी दिनों की पूजा राजमहल के सामने स्थित दुर्गा मंदिर में होती है. षष्टी के दिन राजा एवं राजपरिवार के सदस्य खरकई नदी के तट पर शस्त्र पूजा करते हैं. फिर राजा राजमहल के सामने स्थित दुर्गा मंदिर में जाकर मां दुर्गा का आह्वान कर पूजा करते हैं.

नवपत्रिका दुर्गा पूजा का भी होता है आयोजन


दुर्गा पूजा के दौरान राजवाड़ी के अंदर नवपत्रिका दुर्गा पूजा का भी आयोजन किया जाता है. सदियों से चली आ रही इस परंपरा को सरायकेला के राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव और रानी अरुणिमा सिंहदेव के साथ-साथ राजपरिवार के सदस्य श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ निभाते हैं.

64 पीढ़ियों से की जा रही है मां दुर्गा की पूजा


सरायकेला राजपरिवार की 64 पीढ़ियां मां दुर्गा की पूजा करती आ रही हैं. 1620 में राजा विक्रम सिंह द्वारा सरायकेला रियासत की स्थापना के बाद से ही राजमहल परिसर में मां दुर्गा की पूजा शुरू हुई थी. सरायकेला रियासत की स्थापना से लेकर देश की आजादी तक सिंह वंश की 61 पीढ़ियों ने राजा के रूप में राजपाट चलाया और माता दुर्गा की पूजा की. देश की आजादी के बाद सिंह वंश की 62वीं पीढ़ी के राजा आदित्य प्रताप सिंहदेव और 63वीं पीढ़ी के राजा सत्य भानु सिंहदेव ने मां दुर्गा पूजा की परंपरा को आगे बढ़ाया. वर्तमान में सरायकेला रियासत के राजा और सिंह वंश की 64वीं पीढ़ी के राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव इस रियासती परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. यहां मां भगवती की पूजा आज भी उसी परंपरा के साथ होती है, जो कभी राजा-राजवाड़े के समय हुआ करती थी.

नुआखाई पर राजपरिवार के सदस्य करते हैं मां के दर्शन


शक्ति की देवी और राजघराने की इष्टदेवी मां पाउड़ी का मंदिर राजमहल के अंदर स्थित है. दुर्गा पूजा में नवमी के दिन नुआखाई का आयोजन किया जाता है. दुर्गा पूजा के दौरान नवमी के दिन नुआखाई के बाद राजपरिवार के सदस्य मां पाउड़ी मंदिर जाते हैं. इस दिन साल की नयी फसल से तैयार चावल का भोग देवी को समर्पित किया जाता है. इसके बाद राजपरिवार के सदस्य नुआखाई का प्रसाद ग्रहण करते हैं. इस मंदिर में स्त्री को केवल साड़ी पहनकर तथा पुरुष को केवल धोती और गमछा पहनकर जाने की परंपरा है. साल में एक बार दुर्गा पूजा के दौरान नवमी के दिन नुआखाई पर राजपरिवार के सदस्य मां पाउड़ी के मंदिर में जाकर उनका दर्शन करते हैं.

16 दिनों तक दुर्गा पूजा की है परंपरा-राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव


सरायकेला राजघराने के राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव ने बताया कि सरायकेला में राजपरिवार की स्थापना के समय से ही जिउतियाष्टमी से लेकर महाष्टमी तक 16 दिनों तक मां दुर्गा की पूजा करने की परंपरा चली आ रही है. सरायकेला राजपरिवार आज भी भक्ति-भाव के साथ इस परंपरा को पूरी निष्ठा के साथ निभा रहा है. दुर्गा पूजा के दौरान सभी कार्यक्रम सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार ही होते हैं.

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