छत्तीसगढ़

थाने में आत्मसमर्पित नक्सली जोड़े की शादी, गांव बना गवाह

कांकेर :  कांकेर में एक उम्मीदों भरी तस्वीर सामने आई है.यहां के पखांजुर में आत्मसमर्पित नक्सली जोड़े का विवाह संपन्न हुआ. जो समाज के अंदर हो रहे बड़े बदलाव का उदाहरण है. जो महिलाएं जंगलों में बंदूक लेकर भटका करती थीं, वो आज हाथों में मेहंदी लगाकर आने वाले कल का सपना बुनने को तैयार हैं. जिस नक्सली जोड़े ने शादी की है उनके नाम सागर हिरदो और सचिला मांडवी है. जिन्होंने सरकार की योजनाओं से प्रभावित होकर सरेंडर किया है. इसके बाद इन्होंने शादी करने की इच्छा जताई. लिहाजा पुलिस प्रशासन ने पखांजुर थाने में ही मंडप सजाया और पुलिसकर्मी बाराती बन . इसके बाद अग्नि को साक्षी मानकर दोनों ने सात जन्मों तक साथ निभाने का संकल्प लिया.

हमने 2024 में सरेंडर किया. इसके बाद साथ में पुलिस के लिए काम कर रहे थे.बातचीत हुई और फिर शादी करने का फैसला किया- सचिला मांडवी, दुल्हन

हम लोगों ने साथ में ही सरेंडर किया था.उसने मुझे शादी करने के लिए कहा.इसके बाद हम लोग तैयार हुए-सागर हिरदो,दूल्हा

नवनिर्मित पखांजूर थाना में मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा थी.इसी दौरान हम लोगों ने सोचा कि जो लोग एक दूसरे को पसंद कर रहे हैं उनका गठबंधन करा दिया जाए.दोनों थाने के लोगों से इसके लिए बात की गई.इसके बाद शुभ घड़ी में दोनों की शादी करा दी गई –लक्ष्मण केंवट, थाना प्रभारी, पखांजुर

2024 में सरेंडर के बाद बढ़ी नजदीकियां : सागर 2014 में नक्सल संगठन से जुड़ा था.इसके बाद पखांजुर पुलिस के सामने दिसम्बर 2024 को सरेंडर किया. वहीं सचिला 2020 में नक्सल संगठन से जुड़ी और 2024 को हथियार डाले. इसके बाद दोनों पुलिस बल के हिस्सा बन गए. इसी दौरान दोनों की मुलाकात हुई. फिर दोनों एक साथ जीवन जीने का फैसला लिया.

नक्सलमुक्त छत्तीसगढ़ के लिए नया संदेश : पखांजुर में हुई ये शादी नक्सलमुक्त छत्तीसगढ़ के लिए नया संदेश लेकर आई है. जिसमें शांति,विश्वास और प्रेम की दास्तां हैं. इस शादी से दोनों नक्सली अपने पिछले जीवन को भूलकर आने वाले कल को संवारेंगे. सागर और सचिला की शादी ये साबित करती हैं कि इंसान चाहे कितना भी भटककर गलत रास्तों में चला जाए ,यदि वो चाहे तो कभी भी सही मार्ग पर आ सकता है.

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