मध्यप्रदेश

दशहरा का दर्द दशकों नहीं भुला पाएगा खंडवा! मरने वालों में 5 नाबालिग बच्चियां और 3 लड़के !

खंडवा (मुश्ताक मंसूरी): खंडवा में विजयदशमी पर हुए दर्दनाक हादसे से प्रदेश और देश को हिलाकर रख दिया है। इस भयानक त्रासदी को भुलाए नहीं भुलाया जा सकता है। दशहरा का दर्द दशकों तक जख्मों को कुरेदता रहेगा। पीड़ित परिवार तो घटना को याद करके ही सिहर रहे हैं।

मृतकों के परिवारों को 4-4 लाख की आर्थिक सहायता

शासन ने आरबीसी 6-4 के तहत सभी मृतकों को चार-चार लाख की आर्थिक सहायता दी है।  कल तक ही राशि को पीड़ित परिवारों को मुहैया करवा दिया जाएगा।

तालाब में ज्यादा आगे न जाने से रोका गया था,लेकिन अति उत्साह में युवा नहीं माने

हादसा खंडवा जिला मुख्यालय से करीब 36 किमी दूर पंधाना क्षेत्र में हुआ है। सभी मृतक ग्राम राजगढ़ के रहने वाले थे। वहीं जानकारी ये भी सामने आई है कि कोटवार ने तालाब में गहरे पानी को देखते हुए लोगों को आगे न जाने के लिए भी कहा था,लेकिन कुछ युवा अति उत्साह में आगे चले गए और ट्राली अनियंत्रित होकर पलट गई जिससे भीषण हादसा हो गया।

जानकारी के मुताबिक हादसा दोपहर करीब पांच बजकर तीस मिनट का है, जब नवदुर्गा उत्सव के समापन पर ग्राम पाडलफाटा के रहने वाले लोग ट्रैक्टर ट्राली से विसर्जन करने जामली क्षेत्र के अर्दला तालाब पहुंचे।  लेकिन इसी दौरान ट्राली गहरे पानी में पलटने से उसमें बैठे लोग डूब गए। घटना की जानकारी मिलते ही खंडवा कलेक्टर ऋषव गुप्ता, एसपी मनोज राय समेत जिला प्रशासन की टीम भी मौके पर पहुंचीं। रेस्क्यू अभियान चलाकर तालाब से लोगों को निकालने कार्य शुरू किया। एसडीआरएफ की टीम भी घटनास्थल पर पहुंची। शवों और घायलों को एम्बुलेस के माध्यम से पंधाना स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल खंडवा भेजा गया।लिहाजा मृतकों के पीएम रात में ही करवाया जाएगा।

जिन  11 लोगों की मौत हुई है उनके नाम इस इस तरह हैं-

1-शर्मिला, पिता प्यार सिंह बारेला (16)

2-आरती, पिता प्यार सिंह (18)

3-दिनेश, पिता शांतिलाल बारेला (16)

4-उर्मिला, पिता रेलसिंग बारेला (16)

5-गणेश, पिता तेर सिंह (16)

6-किरण, पिता रेलसिंग (14)

7-पातलीबाई, पिता कैलाश बारेला (22)

8-रेव सिंह, पिता मोहन सिंह बारेला (12)

9-आयुष, पिता भारत भिलाला (10)

10-संगीता, पिता ज्ञान सिंह भिलाला (16)

11-चंदा, पिता जुदा, ( 8)

लिहाजा इस हादसे ने कई परिवारों को ऐसे जख्म दिए हैं जो लंबे समय तक दुख देते रहेंगें। जिस गांव में उत्सव की खुशियां थीं वहां अब चीख-पुकार और मातम पसरा है। 

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