संपादकीय

दो सौ आतंकी हमलों की साजिश

कैबिनेट की सुरक्षा समिति (सीसीएस) की बैठक के बाद केंद्र ने दिल्ली विस्फोट को ‘जघन्य आतंकी घटना’ करार दिया है। इसे देश-विरोधी ताकतों की आतंकी करतूत माना है, लिहाजा फिर दोहराया गया है कि आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति बरकरार रहेगी और आतंकियों तथा उनके आकाओं को बख्शा नहीं जाएगा। हमारी जांच और सुरक्षा एजेंसियों ने लगातार छापेमारी कर जो साक्ष्य, डायरियां, नोटबुक्स आदि बरामद की हैं, उनसे ‘डॉक्टर आतंकी गिरोह’ के खौफनाक, नरसंहारी मंसूबे बेनकाब हुए हैं। दरअसल आतंकी 26 जनवरी, 2025 को ही लालकिले पर हमला करना चाहते थे। डॉ. मुजम्मिल और डॉ. उमर नबी (दिल्ली विस्फोट में भस्म) ने कई बार लालकिले की रेकी की थी और सुरक्षा-व्यवस्था तथा यातायात की जानकारियां जुटाई थीं, लेकिन वह साजिश नाकाम रही। अब प्रभु श्रीराम की अयोध्या सबसे पहले निशाने पर है। 25 नवंबर को राम मंदिर के शिखर पर ‘भगवा ध्वज’ फहराने की रस्म प्रधानमंत्री मोदी निभाएंगे। जाहिर है कि वह एक भव्य आध्यात्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक समारोह होगा। आतंकी उस दौरान अपनी नापाक साजिश को अंजाम देने की सोच रहे हैं। इसका खुलासा बरामद दस्तावेजों और आरोपित आतंकियों से पूछताछ के दौरान सामने आया है। आतंकी 25 नवंबर के बजाय 6 दिसंबर को ‘राम मंदिर परिसर’ में ही आतंकी विस्फोट कर सकते हैं। 1992 में इसी तारीख पर कथित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया था। बहरहाल सिर्फ लालकिला ही नहीं, राजधानी दिल्ली का ‘इंडिया गेट’, गौरीशंकर मंदिर, कांस्टीट्यूशन क्लब (सांसदों की आवाजाही का स्थान), बड़े शॉपिंग मॉल्स, प्रमुख रेलवे स्टेशन आदि भी ‘व्हाइट कॉलर आतंकी गिरोह’ के निशाने पर हैं।

उनकी साजिश है कि 200 से अधिक विस्फोटक आईईडी बनाए जाएं और दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद में 26/11 आतंकी हमले की तर्ज पर नरसंहार किया जाए। आतंकी एक साथ करीब 200 आईईडी विस्फोट करने की साजिश पर काम कर रहे थे। फरीदाबाद में जो 2900 किग्रा. अमोनियम नाइटे्रट और आरडीएक्स बरामद किया गया था, वह इसी साजिश के मद्देनजर जमा किया जा रहा था। जनवरी, 2025 से ‘आतंकी डॉक्टर’ और जैश-ए-मुहम्मद के गुरगे फरीदाबाद के 3-4 कमरों में विस्फोटक जमा कर रहे थे, लेकिन उन बोरों में खाद बताई जाती थी। विस्फोटक सामग्री और रसायन बांग्लादेश के रास्ते, नेपाल रूट से, फरीदाबाद तक लाए गए। अब भी करीब 300 किग्रा. विस्फोटक की तलाश की जा रही है, क्योंकि जांच एजेंसियों को कुल 3200 किग्रा. विस्फोटक होने का खुलासा किया गया है। यह खुफिया-तंत्र की भी बहुत बड़ी नाकामी है, जो इतना विस्फोटक फरीदाबाद के दो गांवों तक पहुंच गया और उसकी भनक तक नहीं लग पाई। यह भी खुलासा अब सामने आया है कि डॉ. मुजम्मिल और डॉ. उमर 2021 से तुर्किए जा रहे थे। दोनों के पासपोर्ट में तुर्किए के स्टाम्प मिले हैं। जनवरी, 2025 में दोनों ने शैक्षणिक एवं पेशेवर यात्राएं कीं। जम्मू-कश्मीर पुलिस के जरिए यह खुलासा हुआ है कि तुर्किए में दोनों की मुलाकात जैश के हैंडलर से हुई। हैंडलर का कूटनाम ‘उकासा’ बताया गया है। उमर हैंडलर के निर्देशों पर काम कर रहा था और 2021 की यात्रा के बाद ही ‘जेहादी कट्टरवाद’ की ओर गया।

अब खुफिया एजेंसियां तुर्किए में रहने वाले करीब 2000 कश्मीरियों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। बहरहाल ‘डॉक्टर आतंकवाद’ का अनुभव भारत के लिए नया है। कोई यकीन भी नहीं कर सकता कि इनसान की जान बचाने वाले डॉक्टर ही ‘आतंकी’ बन सकते हैं, लेकिन यह आज का वीभत्स और कुरूप यथार्थ है। प्रधानमंत्री मोदी भूटान से लौटते ही लोकनायक अस्पताल में इलाजरत घायलों का हालचाल जानने गए। उन्होंने घायलों के प्रति हमदर्दी जताई, दिलासा दी और बातचीत की। उनसे पहले गृहमंत्री अमित शाह भी, विस्फोट के दिन ही, अस्पताल गए थे। आम आदमी की तकलीफ में हमारे सत्ताधीश नेताओं की यह मुद्रा सुकून देती है, लेकिन आतंकवाद की नई लड़ाई बहुत लंबी और पेचीदा है। उधर पाकिस्तानी फौज ने जैश के सरगना को सेना के ‘सेफ हाउस’ में भेज दिया है। पाकिस्तानी हुकूमत में दहशत और तनाव है कि भारत इस बार भी हमला कर सकता है, लिहाजा सरहद पर मोर्चेबंदी शुरू हो गई है। देखते हैं कि अब राजधानी में ही विस्फोट और हत्याओं के बाद भारत सरकार क्या फैसला लेती है? पाकिस्तान को कड़ा सबक सिखाया जाना चाहिए क्योंकि वह भारत में आतंकवादी गतिविधियों को फैलाने से बाज नहीं आ रहा है। वह भारत की चेतावनी को बार-बार अनदेखा कर रहा है।

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