राजनीति

नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ रहा NDA, फिर सीएम को लेकर दुविधा क्यों

नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार जोरों पर है। महागठबंधन अपने सीएम कैंडिडेट का ऐलान कर चुका है, लेकिन एनडीए का मुख्यमंत्री होते हुई भी एनडीए की तरफ से आधिकारिक तौर पर मुख्यमंत्री उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया गया है। महागठबंधन जहां इसे लेकर एनडीए को घेर रहा है वहीं एनडीए के नेता अपने तरीके से बयान दे रहे हैं।

नेतृत्व या मुख्यमंत्री पद

अगर एनडीए फिर से बिहार की सत्ता में आती है तो क्या नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे, जहां एनडीए का अहम दल जेडीयू बार बार यह कर रहा है कि नीतीश ही सीएम होंगे। वहीं, बीजेपी के केंद्रीय नेताओं की तरफ से इस पर साफ तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। कभी बीजेपी नेताओं की तरफ से कहा गया कि सीएम का फैसला संसदीय बोर्ड करता है तो कभी कहा गया कि चुनकर आए हुए विधायक सीएम को चुनते हैं। हालांकि, बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से यह बार बार कहा गया है कि बिहार में एनडीए नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है। सीएम उम्मीदवार को लेकर यह दुविधा अब से नहीं है, बल्कि कई महीनों पहले से ही इसे लेकर बयानबाजी तेज हो गई थी।

साल की शुरूआत से ही बयानबाजी

विपक्ष की तरफ से बार बार कहा जाता रहा कि बीजेपी नीतीश कुमार को सीएम नहीं बनाएगी। शिवसेना (यूबीटी) के विधायक और उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने भी बयान दिया था कि जो हमारे साथ हुआ वो बिहार में नीतीश कुमार के साथ भी हो सकता है। उनकी भी सीट चली जाएगी और बीजेपी सत्ता प्राप्त कर लेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी का यही सपना है कि हर रीजनल पार्टी को तोड़ा जाए और खत्म किया जाए। तब से अब तक जेडीयू की तरफ से और फिर बीजेपी के बिहार नेताओं की तरफ से इस पर सफाई दी जाती रही।

लगातार जारी है बयानबाजी का दौर

अमित शाह ने कहा था कि बिहार में अगला चुनाव किसके चेहरे पर लड़ा जाएगा इसका फैसला बीजेपी और जेडीयू की बैठक में लिया जाएगा। हालांकि, तुरंत बाद ही बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और जेडीयू नेताओं की तरफ से बयान जारी कर कह दिया गया कि एनडीए का चेहरा नीतीश ही होंगे। फरवरी से अब तक लगातार बिहार बीजेपी के नेता कह कर रहे हैं कि नीतीश कुमार ही एनडीए के सीएम होंगे। एक बार फिर बीजेपी नेता और बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने कहा है कि नीतीश ही सीएम होंगे।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद से ही बिहार को लेकर सवाल उठने लगे थे। दरअसल महाराष्ट्र में बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस के सीएम और पूर्व सीएम एकनाथ शिंदे के डिप्टी सीएम बनने के बाद महाराष्ट्र और बिहार की तुलना होने लगी। हालांकि बीजेपी नेता अनौपचारिक बातचीत में लगातार कहते रहे कि महाराष्ट्र और बिहार की स्थितियां एक जैसी नहीं हैं। इसलिए एक जगह का समीकरण दूसरे जगह फिट नहीं बैठता है। नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू केंद्र में भी एनडीए के साथ है और सरकार में शामिल है। बीजेपी का अपने दम पर बहुमत नहीं है और जेडीयू के 12 सांसद हैं।

बड़े भाई की भूमिका में नहीं है जेडीयू

इस बार बिहार में बीजेपी और जेडीयू बराबर सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि 2020 में जेडीयू को चुनाव लड़ने के लिए ज्यादा सीटें दी गई थीं। हालांकि, तब भी जेडीयू बीजेपी के मुकाबले कम सीटों पर ही जीती थी। कम सीटों पर जीतने के बाद भी बीजेपी ने नीतीश कुमार को सीएम बनाया। बीजेपी सीएम उम्मीदवार को लेकर आधिकारिक तौर पर स्थिति एकदम साफ नहीं कर रही है तो इसके पीछे की वजहों पर भी चर्चा होने लगी है।

BJP के कई नेता चाहते थे बूते पर चुनाव

माना जा रहा है कि बीजेपी अपने कैडर को एकजुट करने के लिए और संगठन को मजबूत करने के लिए सीएम के चेहरे का ऐलान नहीं कर रही है। बीजेपी में कई ऐसे स्थानीय नेता हैं, जो चाहते थे कि बीजेपी अपने बूते पर चुनाव लड़े और उनका कहना था कि सीएम बीजेपी का होना चाहिए। साथ ही नीतीश कुमार ने जिस तरह कई बार पाला बदला है उसे देखते हुए भी चुनाव से पहले बीजेपी आधिकारिक तौर पर उन्हें सीएम उम्मीदवार घोषित करने से बच रही है। हालांकि, बीजेपी के लिए जेडीयू बिहार में भी मजबूरी है और केंद्र में भी बीजेपी को जेडीयू की जरूरत है।

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