नीतीश को सीएम फेस बनाने से क्यों बच रही है BJP? तेजस्वी के ‘बाहरी बनाम बिहारी’ दावे में कितना दम

नई दिल्ली: महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया है, जिसके बाद अब यह सवाल फिर केंद्र में आ गया है कि अगर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) एक बार फिर सत्ता में लौटता है तो बिहार का नेतृत्व कौन करेगा। एनडीए ने अब तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपना सीएम उम्मीदवार घोषित करने से परहेज किया है, जिससे विपक्ष को नया हथियार मिल गया है।
चुनाव से पहले रैलियों को संबोधित करते हुए तेजस्वी ने दावा किया कि एनडीए के जीतने पर भी नीतीश दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। अमित शाह ने स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव के बाद निर्वाचित विधायक ही बिहार के मुख्यमंत्री का फैसला करेंगे। तेजस्वी ने आरोप लगाया कि जेडी(यू) नेता को बीजेपी ने हाईजैक कर लिया है।
एनडीए ने नीतीश को नहीं घोषित किया सीएम फेस
तेजस्वी ने चुटकी लेते हुए कहा कि हमारे ‘चाचा’ नीतीश कुमार नियंत्रण में नहीं हैं। गुजरात के दो लोग, नरेंद्र मोदी और अमित शाह दिल्ली से बिहार चला रहे हैं। उन्होंने मतदाताओं से ‘बाहरी’ की बजाय ‘बिहारी’ को चुनने का आग्रह किया। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समस्तीपुर और बेगूसराय में दो रैलियों के साथ एनडीए के बिहार अभियान की शुरुआत की। हालांकि उन्होंने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए पिछले सभी चुनावी रिकॉर्ड तोड़ देगा।
2015 में बीजेपी के साथ मिलकर एनडीए को दिलाई जीत
बता दें कि नीतीश कुमार (73) बिहार के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्रियों में से एक हैं, जिन्होंने 2005 से लगातार तीन विधानसभा चुनावों, 2010, 2015 और 2020 में बिहार का नेतृत्व किया है। 2010 में उन्होंने भाजपा के साथ मिलकर एनडीए को भारी जीत दिलाई। 2015 में उन्होंने भाजपा को हराने के लिए महागठबंधन के बैनर तले लालू प्रसाद की राजद और कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया और 2020 में एक और राजनीतिक बदलाव के बाद वे एनडीए में वापस आ गए।
एनडीए की पार्टियों का अलग-अलग जातिगत आधार
हालांकि, जेडी(यू) की ताकत लगातार कम होती जा रही है। 2010 में 115 सीटों से घटकर 2020 में सिर्फ 43 रह गई हैं, जबकि गठबंधन के भीतर भाजपा और मजबूत होती जा रही है। यह गिरावट, सत्ता विरोधी लहर, मतदाताओं की थकान और तेजस्वी जैसे युवा प्रतिद्वंद्वियों के उदय के साथ मिलकर, नीतीश के लिए बिना किसी मुकाबले के अपनी केंद्रीय भूमिका बनाए रखना मुश्किल बना रही है। इस बीच, एनडीए इस सच्चाई का सार्वजनिक रूप से सामना करने से हिचकिचाता दिख रहा है। बिहार में एनडीए गठबंधन में भाजपा, जेडी(यू), लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक का अलग-अलग जातिगत आधार और राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हैं।




