बलौदाबाजार आगजनी-तोड़फोड़ मामला : अब 29 नवंबर को होगी अहम सुनवाई

बलौदाबाजार: जिले में 10 जून 2024 को आग और हिंसा की घटना हुई थी. इस मामले पर अदालत में आज फिर से सुनवाई होनी थी. सुनवाई में उस दिन मौके पर मौजूद इंस्पेक्टर अमित पाटले की पहली महत्वपूर्ण गवाही दर्ज होनी थी, लेकिन जब केस की पुकार हुई, तो पता चला कि 10 आरोपी अदालत में नहीं आए. उनकी गैरमौजूदगी की वजह से अदालत गवाही नहीं ले सकी.
न्यायालय ने इस मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर 2025 के लिए तय कर दी. इस केस पर पूरे प्रदेश की नजर इसलिए रही है क्योंकि इस घटना में भीड़ ने न सिर्फ सरकारी संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया था, बल्कि पुलिस पर जानलेवा हमला भी किया था.
कैसे भड़की थी 10 जून की हिंसा: 10 जून 2024 को सतनामी समाज की ओर से किए जा रहे प्रदर्शन के दौरान हालात अचानक बिगड़ गए थे. प्रदर्शन के शुरुआती घंटे शांतिपूर्ण थे, लेकिन जैसे ही भीड़ बढ़ी, तनाव की स्थिति बन गई. इसके बाद जो कुछ हुआ, वह छत्तीसगढ़ प्रदेश में सबसे गंभीर घटनाओं में से एक बन गई.
उस दिन हुई प्रमुख घटनाएं-
- पुलिस टीम पर हमला
- फायर ब्रिगेड की गाड़ियों और दूसरे वाहनों में आगजनी
- पंडित चक्रपाणि शुक्ल स्कूल चौक के पास बड़े पैमाने पर तोड़फोड़
- कलेक्टर कार्यालय और एसपी कार्यालय में आगजनी
- सरकारी फाइलें, दस्तावेज, फर्नीचर को नुकसान
- कई पुलिसकर्मी घायल, जिनमें निरीक्षक अमित पाटले भी शामिल
- इस घटना में जिला प्रशासन को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ था.
- घटना के वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे
- कौन थे मुख्य गवाह और क्यों था उनका बयान महत्वपूर्ण?: आज अदालत में सबसे पहले निरीक्षक अमित पाटले को बयान के लिए बुलाया गया था. वे उन अधिकारियों में से थे जो घटना स्थल पर सबसे पहले पहुंचे थे और भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे थे. उनके बयान से अदालत को यह समझने में मदद मिल सकती थी कि भीड़ कितनी बड़ी थी.
साथ ही हमला कैसे शुरू हुआ, कौन लोग हिंसा में सबसे सक्रिय थे, पुलिस और प्रशासन को कैसे निशाना बनाया गया, किन-किन आरोपियों को उन्होंने घटनास्थल पर पहचाना. निरीक्षक पाटले उन पुलिसकर्मियों में शामिल थे जो घटना के दौरान घायल हुए थे. न्यायालय में उनका बयान ‘मुख्य और प्रत्यक्षदर्शी गवाही’ के रूप में देखा जा रहा था. लेकिन आरोपी खुद ही अदालत नहीं पहुंचे, जिसके कारण इसे आगे बढ़ाना संभव नहीं हो पाया.
आज की अदालती कार्यवाही की पूरी कहानी: सुबह तय समय पर अदालत में इस केस की सुनवाई शुरू हुई. अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक मुकुंद देशपांडे मौजूद थे. पुलिस की ओर से आवश्यक दस्तावेज और केस डायरी भी पेश कर दी गई थी. लेकिन जैसे ही जज ने आरोपियों की उपस्थिति की सूची देखी, पता चला कि 10 आरोपी गैरहाजिर हैं.
अहम बात यह है कि, सभी आरोपी पहले गिरफ्तार किए जा चुके हैं. वर्तमान में ये जमानत पर बाहर हैं. अदालत ने जमानत की शर्त में उपस्थित होना अनिवार्य रखा है. गैरहाजिरी को अदालत ने गंभीरता से लिया और मुकदमे की प्रक्रिया रोक दी.
अदालत का निर्देश: अदालत ने साफ कहा है कि सभी आरोपी 29 नवंबर को हर हाल में उपस्थित रहें. बिना उचित कारण अनुपस्थित रहने पर उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है. गवाहों की सुरक्षा और केस की प्रगति सर्वोच्च प्राथमिकता है. अदालत ने निरीक्षक अमित पाटले को भी अगली तारीख पर गवाही के लिए तलब किया है.
अगली सुनवाई में मुख्य गवाहों के बयान दर्ज किए जाएंगे, जो इस मामले की दिशा तय करेंगे.– मुकुंद देशपांडे, विशेष लोक अभियोजक
यह मामला कई बड़े सवाल उठाता है-
प्रदर्शन कैसे हिंसक हुआ?
संगठनात्मक भूमिका क्या थी?
भीड़ का स्वभाव अचानक क्यों बदल गया?
प्रशासनिक सुरक्षा व्यवस्था में कहाँ कमी रही?
क्या भीड़ उकसाई गई थी?
अगली तारीख 29 नवंबर क्यों महत्वपूर्ण है?
29 नवंबर की सुनवाई इस केस का सबसे महत्वपूर्ण मोड़ बन सकती है. क्योंकि, मुख्य गवाह का बयान इसी दिन होगा. पहली गवाही केस की नींव रखती है. अभियोजन पक्ष आरोपियों की पहचान को मजबूत करेगा. जज के सामने पहली बार घटना की प्रत्यक्ष कहानी रखी जाएगी. अगर आरोपी इस बार भी गैरहाजिर हुए तो उनके खिलाफ वारंट या कठोर कार्रवाई संभव है.



