भारत में बेअसर होगा ट्रंप कार्ड, तीन मुस्लिम देशों ने बढ़ाया मदद का हाथ, बढ़ाएंगे कच्चे तेल का निर्यात

एजेंसियां— वाशिंगटन
भारत की तेल शोधन कंपनियां लंबे समय से रूस से कच्चे तेल का आयात कर रही थीं, लेकिन अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को यह नागवार लगा। ट्रंप का मानना है कि तेल से प्राप्त पैसे का इस्तेमाल रूस यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में कर रहा है। इसलिए ट्रंप ने भारत पर टैरिफ बढ़ा दिया। बाद में भारत ने धीरे-धीरे रूस से कच्चे तेल का आयात करना कम कर दिया। इसे देखते हुए मिडिल ईस्ट के मुस्लिम देशों ने भारत की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया है। इन देशों ने भारत को कच्चे तेल की सप्लाई बढ़ाने का फैसला किया है। चार भारतीय रिफाइनरियों के सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि मिडिल ईस्ट के बड़े तेल उत्पादक देशों सऊदी अरब, इराक और कुवैत ने दिसंबर में भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ाने का फैसला किया है।
उनकी ये पहल ऐसे वक्त में हुई है, जब भारतीय रिफाइनरीज रूसी बैरल के विकल्प तलाश रही हैं। भारतीय तेल शोधन कंपनियां पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण रूस से तेल खरीद रोक रही हैं। इससे ओपेक उत्पादकों को दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता और आयातक देश यानी भारतीय बाजार में हिस्सेदारी हासिल करने में मदद मिली है।
पश्चिमी देशों ने लगा दिया था बैन
ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और अमरीका ने पिछले महीने रूस के शीर्ष तेल उत्पादकों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर बैन लगा दिया था, जिसके कारण भारत और चीन में खरीददारों को परेशानी हो रही थी। सूत्रों ने बताया कि भारतीय रिफाइनरियों को दो सबसे बड़े ओपेक उत्पादकों से उनके अनुरोध के अनुसार तेल का पूरा आबंटन प्राप्त हो गया है।
भारतीय कंपनियों को बढ़ी आपूर्ति
एक सूत्र ने बताया कि सऊदी अरामको ने एक अन्य रिफाइनर को भी आपूर्ति बढ़ा दी है। बहरहाल, सऊदी अरामको ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। इराक की सरकारी तेल विपणन कंपनी सोमो ने टिप्पणी के अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया। दो अन्य सूत्रों ने बताया कि कुवैत पेट्रोलियम भी नवंबर और दिसंबर में भारतीय रिफाइनरों को ज़्यादा कच्चे तेल की आपूर्ति कर रहा है।




