भारत-रूस व्यापार का नया दौर

ऐसे में अब भारत व रूस के बीच वार्ता के दौरान व्यापार असंतुलन कम करने के लिए जो प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है, उसके मद्देनजर अब रूस को ध्यान देना होगा कि भारत के कृषि निर्यातकों को लंबी रूसी प्रमाणन और लिस्टिंग प्रक्रियाओं से संबंधित गैर-शुल्क बाधाएं कम की जाए…
हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान 5 दिसंबर को नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में हुई 23वीं भारत-रूस शिखर बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े 16 महत्वपूर्ण समझौते किए और और चार महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं। ये घोषणाएं रूसी पर्यटकों को भारत के द्वारा 30 दिनों के लिए ई वीजा, रूसी नागरिकों को समूह में पर्यटन वीजा, वर्ष 2030 तक भारत-रूस आर्थिक सहयोग के तहत विशेष प्रोग्राम शुरू करने और 2030 तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार 64 से बढ़ाकर 100 अरब डॉलर किए जाने के मद्देनजर तैयार किए गए रणनीतिक आर्थिक रोडमैप से संबंधित हैं। इस तरह तेजी से बदलते वैश्विक परिवेश के बीच भारत और रूस ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को नया आयाम देने की नींव रखी है। दोनों देशों के नए व्यापार-आर्थिक आधारों की कई बातें उभर कर दिखाई दे रही हैं। रूस ने भारतीय निर्यात को बढ़ाने के लिए गैर-शुल्क बाधाओं और नियामकीय अड़चनों को दूर करने के जरूरी कदम आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जाहिर की है। दोनों देशों के बीच उर्वरक की आपूर्ति, धु्रवीय क्षेत्रों में भारतीय नाविकों के प्रशिक्षण में सहयोग के लिए भी समझौता किया गया है। अब भारतीय कंपनियों की तरफ से रूस में उर्वरक संयंत्र लगाने का रास्ता साफ हो गया है। दोनों देशों ने श्रम गतिशीलता समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसका लाभ यह होगा कि रूसी उद्योगों की जरूरत के मुताबिक भारत से प्रशिक्षित श्रमिकों की आपूर्ति हो सकेगी। खासतौर से भारत से रूस को निर्माण, इंजीनियरिंग और आईटी क्षेत्रों को श्रमिकों की नियुक्ति करने में मदद मिलेगी। रूस में भारत से करीब 50 लाख कुशल श्रमिकों की आपूर्ति की संभावनाएं हैं।
गैर कानूनी तौर पर श्रमिकों की आवाजाही पर रोकने में सहयोग करने संबंधी समझौता भी महत्वपूर्ण है। खाद्य उत्पादों की सुरक्षा और गुणवत्ता में सहयोग संबंधी समझौते से भारत से रूस को निर्यात बढ़ सकेगा। रूस द्वारा समर्थित परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए भारत में अन्य स्थल संबंधी चर्चा की गई है। दोनों देशों ने भारत-यूरेशियाई आर्थिक संघ मुक्त व्यापार समझौते को पूरा करने की जरूरत पर बल दिया है। दोनों देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे, उत्तरी समुद्री मार्ग तथा चेन्नई-व्लादिवोस्तोक गलियारे के माध्यम से संपर्क बढ़ाने पर भी जोर दिया गया है। यह भी महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-रूस दोस्ती को धु्रव तारा बताया और कहा कि यह दोस्ती दुनिया में आए उतार-चढ़ावों के बीच विगत आठ दशक से मजबूत है। पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और वे नियमित रूप से द्विपक्षीय संबंधों पर नजर रखते हैं। उन्होंने इस बात पर भी फोकस किया कि वर्ष 2024 -25 में भारत-रूस व्यापार 12 फीसदी बढक़र लगभग 64 अरब डॉलर हो गया, जिसमें से 96 फीसदी दोनों देशों की राष्ट्रीय मुद्राओं में है। पुतिन ने कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र के शेष रिएक्टरों को पूरा करने, चिकित्सा और कृषि जैसे गैर-ऊर्जा अनुप्रयोगों में सहयोग का विस्तार करने संबंधी विशेष वक्तव्य भी दिया है। पुतिन ने कहा कि रूस भारत की ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करने के लिए तेल, गैस, कोयला और हर चीज का एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता बना रहेगा। पुतिन ने यह भी कहा कि दोनों देश शुल्क और गैर-शुल्क व्यापार बाधाओं को दूर करने, लॉजिस्टिक्स में सरलता लाने, सुचारू भुगतान तंत्र सुनिश्चित करने और बीमा के मुद्दों के समाधान खोजने संबंधी मुद्दों पर भी प्राथमिकता से ध्यान देंगे। निश्चित रूप से अब भारत-रूस व्यापार की अनुकूलताएं बढ़ी हैं। ऐसे में भारत को व्यापार अंसुतलन को दूर करने के लिए रणनीतिक रूप से आगे बढऩा होगा। रूस के साथ संतुलित व्यापार के लिए रूस को भारत से निर्यात को बढ़ाने की जरूरत है।
वित्त वर्ष 2022-23 में रूस से भारत का आयात 5.48 अरब डॉलर से बढक़र वित्त वर्ष 2024-25 में 63.8 अरब डॉलर हो गया, जबकि रूस को भारत से निर्यात 3.5 अरब डॉलर से बढक़र केवल 4.88 अरब डॉलर हुआ है। परिणामस्वरूप रूस के साथ भारत का व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2022-23 में 1.98 अरब डॉलर से बढक़र वित्त वर्ष 2024-25 में 58.92 अरब डॉलर हो गया। ऐसे में अब भारत व रूस के बीच वार्ता के दौरान व्यापार असंतुलन कम करने के लिए जो प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है, उसके मद्देनजर अब रूस को ध्यान देना होगा कि भारत के कृषि निर्यातकों को लंबी रूसी प्रमाणन और लिस्टिंग प्रक्रियाओं से संबंधित गैर-शुल्क बाधाएं कम की जाएं। कृषि निर्यात के मामले में रूस जिस तरह भारतीय इकाइयों के पंजीकरण और निरीक्षण की प्रणाली का पालन करता है, उसकी गति बढ़ाई जाए। फार्मास्युटिकल निर्यातकों को यूरेशियन मानकों से संबंधित बाधाओं को दूर करने के लिए कदम उठाए जाएं। इसके साथ-साथ लॉजिस्टिक्स में अड़चनों को दूर करने, कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने, सुचारू भुगतान तंत्र सुनिश्चित करने, बीमा व पुनर्बीमा के मुद्दों के समाधान के साथ-साथ रूस के द्वारा समुद्री उत्पाद, डेरी, पोल्ट्री और औषधि क्षेत्रों में गैर-शुल्क बाधाओं को दूर करने की दिशा में प्रभावी कदम आगे बढ़ाए जाएं, ताकि भारत से रूस को निर्यात बढ़ाने की नई राह प्रशस्त की जा सके। निश्चित रूप से भारत-रूस शिखर वार्ता अत्यधिक सफल रही है और इससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार की नई संभावनाओं के साथ-साथ आने वाले वर्षों में दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की संभावनाओं को भी आगे बढ़ाया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि भारत के द्वारा एक के बाद एक अत्यधिक प्रभावी द्विपक्षीय और मुक्त व्यापार समझौतों को आकार दिया जा रहा है । मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ऑस्ट्रेलिया के साथ किए गए एफटीए की प्रगति से संबंधित जो नए आंकड़ें प्रकाशित हुए हैं, उनके मुताबिक जहां इन देशों के साथ व्यापार तेजी से बढ़ा है, वहीं इन देशों में निर्यात भी बढ़ रहे हैं।
एक अक्टूबर से भारत और चार यूरोपीय देशों आइसलैंड, स्विट्जरलैंड, नॉर्वे और लिकटेंस्टाइन के समूह यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन (एफ्टा) के बीच एफटीए लागू हो गया है। भारत और एफ्टा देशों के बीच लागू हुआ यह व्यापार समझौता यूरोप के एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक ब्लॉक के साथ भारत के विदेश व्यापार को नई दिशाएं देगा। इसी वर्ष अक्टूबर माह में भारत दौरे पर आए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीएर स्टार्मर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए के विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण रणनीतिक विचार मंथन किया है। भारत में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एफटीए को मंजूरी दे दी है। अब ब्रिटेन के द्वारा संसद की मंजूरी ली जाएगी। इसी तरह भारत और ओमान के बीच एफटीए को लेकर बातचीत पूरी हो चुकी है और जल्द ही दोनों के बीच एफटीए पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। इतना ही नहीं वर्ष 2025 के अंत तक अमेरिका व यूरोपीय यूनियन के साथ एफटीए लागू होने की पूरी संभावना है। इनके अलावा भारत के द्वारा कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड, इजराइल, भारत गल्फ कंट्रीज काउंसिल सहित अन्य प्रमुख देशों के साथ भी एफटीए शीघ्र ही आकार लेते हुए दिखाई देंगे। उम्मीद करें कि 5 दिसंबर को रूस के साथ व्यापार असंतुलन कम करने तथा 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने के लक्ष्य और विभिन्न देशों के साथ एफटीए के लाभ व आर्थिक विकास की नई संभावनाओं को मुठ्ठी में लिए जाने से भारत 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और 2047 तक विकसित देश बनने की डगर पर आगे बढ़ते हुए दिखाई देगा। भारत-रूस के बीच साझेदारी अब जरूर बढ़ेगी।-डा. जयंती लाल भंडारी




