उत्तरप्रदेश

यूपी के इन स्कूलों में 10 दिन बिना बस्ते के ‘आनंदम’, बैगलेस दिनों में बच्चों की मौज के साथ होगी पढ़ाई

UP schools 10 bagless days: नई शिक्षा नीति में बच्चों को व्यावसायिक विषयों की जानकारी देने, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पर्यटन महत्व के स्मारकों के प्रति जागरूक करने की बात कही गई है। उसी के तहत बच्चों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए ‘वैगलेस डे’ की व्यवस्था लागू की गई है।

लखनऊ: बेसिक स्कूलों के बच्चों को साल में 10 दिन बस्ता नहीं ले जाना होगा। बेसिक शिक्षा विभाग ने इन स्कूलों में ‘बैगलेस डे’ व्यवस्था लागू कर दी है। इन 10 दिनों में खेल, क्विज और एक्सपोजर विजिट जैसी गतिविधियों के जरिए बच्चों को सिखाया जाएगा। इसके लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद ( SCERT ) ने स्कूलों के लिए एक रेफरेंस युक जारी की है। ‘आनंदम’ नाम की इस किताब में पूरी जानकारी दी गई है कि ‘बैगलेस’ दिनों में बच्चों को कैसे और क्या सिखाएं ?

महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी ने इसका आदेश जारी कर दिया है। आदेश में SCERT की रेफरेंस बुक आनंदम के बारे में भी बताया गया है। यह बुकलेट सभी स्कूलों को भेजी जाएगी। मकसद यह है कि बच्चों को आनंदमय वातावरण में सीखने का अवसर दिया जाएगा। विद्यार्थियों के शारीरिक, मानसिक विकास के साथ ही

आदेश में कहा गया है कि इस पर होने वाले खर्च के लिए आर्थिक खर्च कंपोजिट ग्रांट और टीचिंग लर्निंग मटीरियल (TLM) ग्रांट का उपयोग किया जा सकेगा। स्कूल के प्रधानाध्यापक यह व्यवस्था करेंगे। सभी ब्लॉक एजुकेशन अफसर (BEO) इस व्यवस्था को लागू करने के लिए शिक्षकों के साथ बैठके करेंगे और इसकी जानकारी देंगे।

उनमें निष्पक्ष विश्लेषण और मूल्यांकन की समझ विकसित होगी। विद्यार्थियों में स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों, स्थानीय व्यवसायों की समझ विकसित की जाएगी। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सार्वजनिक कार्यालय, स्थानीय उद्योग, कला, संस्कृति और इतिहास की गतिविधियों को व्यावहारिक ढंग से सिखाया जाएगा।

तय किए दिन
नई व्यवस्था इसी सत्र से लागू कर दी गई है। दिन भी निश्चित कर दिए गए है। नवंबर में तीसरा और चौथा शनिवार, दिसंबर में चार शनिवार, जनवरी में तीसरा और चौथ शनिवार, फरवरी में पहला और दूसरा शनिवार ‘बैगलेस डे’ होगा।

आदेश में कहा गया है कि इस पर होने वाले खर्च के लिए आर्थिक खर्च कंपोजिट ग्रांट और टीचिंग लर्निंग मटीरियल (TLM) ग्रांट का उपयोग किया जा सकेगा। स्कूल के प्रधानाध्यापक यह व्यवस्था करेंगे। सभी ब्लॉक एजुकेशन अफसर (BEO) इस व्यवस्था को लागू करने के लिए शिक्षकों के साथ बैठके करेंगे और इसकी जानकारी देंगे।

उनमें निष्पक्ष विश्लेषण और मूल्यांकन की समझ विकसित होगी। विद्यार्थियों में स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों, स्थानीय व्यवसायों की समझ विकसित की जाएगी। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सार्वजनिक कार्यालय, स्थानीय उद्योग, कला, संस्कृति और इतिहास की गतिविधियों को व्यावहारिक ढंग से सिखाया जाएगा।

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