ये जीते कैसे ?

आजकल देश में कोई भी चुनाव पैसे उड़ाने का खेल बन गया है। जो जितना पैसा उड़ाता है चुनाव मैदान में वही टिक पाता है इसलिए राज्य में नगरपालिका और नगराध्यक्ष चुनावों में भाजपा और उसके दो चमचों को भारी सफलता मिली। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। २८८ नगराध्यक्ष पदों के लिए चुनाव हुए। इनमें भाजपा ने सौ से अधिक सीटें जीतीं। अभी पूरी गिनती बाकी है। अमित शाह की शिंदे सेना और अजीत पवार की एनसीपी ने चालीस-चालीस से अधिक सीटें जीतीं। कांग्रेस, शरद पवार की एनसीपी, खरी शिवसेना और अन्य दलों ने मिलकर लगभग साठ सीटें जीतीं। विधानसभा चुनावों के परिणामों में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला था। तब भी भाजपा ने १३२, शिंदे गुट ने ५७ और अजीत पवार की एनसीपी ने ४१ सीटें जीती थीं यानी भले ही चुनाव बदल जाए, लेकिन परिणामों का पैटर्न पहले से ही ‘सेट’ था। इस सेटिंग के अनुरूप नगरपालिका और नगराध्यक्ष पद के चुनाव के नतीजे सामने आए हैं। दरअसल, इन चुनावों में असली मुकाबला सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच था ही नहीं। तीनों सत्ताधारी दलों के भीतर प्रतिस्पर्धा और संघर्ष तेज हो गया था। यह लड़ाई शिंदे सेना व अजीत पवार बनाम भाजपा के बीच थी। अब सबूतों के साथ यह खुलासा हुआ है कि यह मुकाबला धन और सत्ता के लिए जोर जबरदस्ती का था। कई नगरपालिका क्षेत्रों में प्रति वोट का भाव चार हजार से दस हजार रुपए था। यह भाव शिंदे सेना और अजीत पवार ने तय किया था, लेकिन जब भाजपा ने वोट का भाव बढ़ाकर २० हजार से २५ हजार रुपए कर दिया तो उनके बीच
आपस में विवाद
शुरू हो गया। सिंधुदुर्ग में शिंदे सेना विधायक नीलेश राणे और भाजपा अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण के बीच विवाद की चिंगारी इसी वजह से भड़की। घरों में पैसों के पैकेट बांटे गए और उसी के अनुसार मतदान कराया गया। नांदेड़ जिले के धर्माबाद का उदाहरण देखिए। धर्माबाद में २० तारीख को मतदान हुआ। भाजपा पदाधिकारियों ने महिलाओं समेत करीब १,५०० मतदाताओं को बंधक बना लिया। इन मतदाताओं को २,००० से ४,००० रुपए की रिश्वत देने की कोशिश की गई। जब कुछ मतदाताओं ने रिश्वत लेने से इनकार कर दिया तो उन्हें धमकाया गया। मतदाताओं को बंधक बनाकर जबरन पैसे बांटे जा रहे थे, उसी दौरान मानो राज्य निर्वाचन आयोग कुंभकर्ण की तरह खर्राटे भर रहा था। धर्माबाद की तरह ही राज्य के २८८ नगरपालिका चुनावों में भी आतंक, अपहरण और धन का खुला खेल चला। पहले खुलेआम वोटों की चोरी हुई, फिर मतदाताओं को बेखौफ अगवा कर बंधक बना लिया गया। कई मतदान केंद्रों पर ईवीएम में खराबी के कारण लोग चार-पांच घंटे इंतजार करने के बाद भी वोट डाले बिना लौट गए। विदर्भ-मराठवाड़ा में इस तरह की घटनाएं बड़े पैमाने पर हुईं, लेकिन अगर चुनाव आयोग इस तरह की चीजों पर जरा भी ध्यान देने को तैयार नहीं है तो क्या कर सकते हैं? भारतीय जनता पार्टी ने बेईमानी से हर चुनाव जीतने का यह अनोखा धंधा शुरू कर दिया है। अंग्रेजों के बाद भाजपा और उसके मित्रदलों ने देश को सबसे ज्यादा लूटा है। चुनाव उसी लूटे हुए पैसे से लड़े और जीते जाते हैं। फिर, चुनावों में बड़े पैमाने पर ‘ड्रग्स’ के पैसे का भी इस्तेमाल किया गया तो हमारा लोकतंत्र क्या कर रहा है और मतदाता राजा आखिर
किस तरीके से वोट देता
है? यही सवाल उठ रहा है। पड़ोसी राज्य तेलंगाना में स्थानीय निकाय चुनाव हुए और राज्य चुनाव आयोग ने ये चुनाव ईवीएम के जरिए नहीं कराए यानी चुनाव ‘बैलेट पेपर’ पर हुए और इन चुनावों में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। तेलंगाना में कांग्रेस ने भारी बहुमत से स्थानीय निकाय चुनाव जीते। पंजाब में स्थानीय निकाय चुनावों में ‘आप’ ने भाजपा और कांग्रेस को पछाड़ते हुए भारी बहुमत से जीत हासिल की। भाजपा के इन दोनों राज्यों में पैसों का बड़ा खेल खेलने के बावजूद वहां मतदाता बिके नहीं, लेकिन पिछले कुछ सालों से महाराष्ट्र में हालात अलग हैं। भाजपा ने महाराष्ट्र में कौन-सा बड़ा तीर मारा है, किस तरह का विकास किया, किस तरह का जनहितकारी काम किया कि महाराष्ट्र की जनता भाजपा, शिंदे सेना और अजीत पवार को भारी बहुमत से वोट दे रही है? अगर मतदाता भ्रष्टाचार, बेईमानी और धोखाधड़ी को उनकी उपलब्धियां मानकर उनके पीछे मजबूती से खड़े रहेंगे तो यह महाराष्ट्र के स्वाभिमान के साथ विश्वासघात है। बेशक, यही जनता नतीजों के बाद खुलेआम कहती है, ‘हम उनके प्रशासन और भ्रष्टाचार से परेशान हैं। हमने उन्हें वोट नहीं दिया था। तो वे वैâसे जीते, यह रहस्य ही है।’ विधानसभा चुनावों में भी लोगों ने यही सवाल पूछा था और अब नगरपालिका चुनावों में भी लोग इसी सवाल का जवाब ढूंढ़ रहे हैं। आखिर उन्हें वोट दिया किसने? किसने उन्हें जिताया? अगर यह जीत पैसों से खरीदी गई है तो इस महाराष्ट्र की आन, बान और शान धूल में मिल गई है और शिवाजी महाराज का महाराष्ट्र अडानी और शाह के पैसों पर बेबस होकर रेंगता नजर आ रहा है। यह तस्वीर देश के लिए खतरनाक है!




