रोखठोक : गांधी! गांधी! गांधी! जी रामजी!

गांधी जी ने राष्ट्र की सेवा में अपना शरीर न्योछावर किया और राष्ट्र की सेवा के लिए ही बलिदान दिया। यही कारण है कि उनकी मृत्यु के बाद भी पूरी दुनिया उन्हें याद करती है, लेकिन भारत के मौजूदा हुक्मरान गांधी जी को स्वीकार नहीं करते। मोदी के शासनकाल में हर जगह गांधी जी के नाम को हटाने की होड़ लगी है। यह सत्ता का नशा है। जिनके सामने पूरी दुनिया नतमस्तक होती है ऐसे गांधी का तिरस्कार करने और उनके अस्तित्व को मिटाने में ही मोदी खुद को धन्य समझते हैं। मोदी सरकार ने अब गांधी जी के मामले में एक नया पराक्रम कर दिखाया है। भाजपा ने ‘मनरेगा’ नामक बड़ी योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाने और योजना को नया नाम देने का प्रस्ताव रखा, वह गांधी द्वेष के चलते।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अब ‘जी रामजी’ के नाम से नए रंग-रूप में सामने लाया जाएगा। ‘‘मनरेगा’’ का अर्थ है ‘जी रामजी’ योजना। यह आश्चर्य की बात है कि अयोध्या में इतना भव्य राम मंदिर बनाने के बाद भी भाजपा को रामनाम के सहारे की जरूरत पड़ती है। राम के नाम पर इसका नामकरण करने से पहले इसे ‘पूज्य बापू योजना’ नाम देने का निर्णय लिया गया था। इसे ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना’ नाम देने का प्रस्ताव खारिज कर दिया गया, क्योंकि गुजरात में ‘आसाराम बापू’ से लेकर सर्वत्र ‘बापू’ की भरमार है। बापू योजना का नाम मोदी के एक जमाने के गुरु महाराज ‘आसाराम बापू’ से जोड़कर ‘जी रामजी’ पर मुहर लग गई। यह बापू और राम के प्रति प्रेम का मामला नहीं है, बल्कि इसमें ‘गांधी’ नाम का भय अधिक साफ है। यह भय केवल महात्मा गांधी का ही नहीं, बल्कि सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी का भी है। मोदी-शाह की नींद गांधी का नाम सुनते ही उड़ जाती है। ‘मनरेगा’ से गांधी का नाम हटाना उसी ‘गांधी’ के नाम से उत्पन्न भय की ही परिणति है। गांधी का संबंध ग्राम स्वराज योजना से है। इसीलिए ‘मनरेगा’ का नाम गांधी के नाम पर रखा गया। भाजपा या संघ परिवार नेहरू, गांधी, पटेल, सुभाष चंद्र बोस जैसे महान व्यक्तित्वों को पैदा नहीं कर सका। इसी हीन भावना से ग्रस्त लोगों ने महात्मा गांधी और पंडित नेहरू के नाम मिटाने की मुहिम शुरू कर दी है। यह ऐसी घटना है, जिसकी पूरे देश को निंदा करनी चाहिए। अगर प्रभु श्री राम होते, तो वे भी मोदी को इस पाप के लिए आजीवन वनवास भेज देते।
महाराष्ट्र की योजना
रोजगार गारंटी योजना, जिसकी शुरुआत महाराष्ट्र में हुई थी, ने राष्ट्रीय स्वरूप ले लिया। यह योजना महात्मा गांधी के नाम पर २००५ में देशभर में लागू की गई। इस योजना को ‘कांग्रेस की सफल योजना’ के रूप में प्रसिद्धि मिली, लेकिन किसी भी गैर-कांग्रेसी सरकार ने इसका नाम बदलकर इसका श्रेय लेने के बारे में नहीं सोचा। इस योजना को ‘कम से कम १०० दिनों के रोजगार की गारंटी’ कहा जाता है। वर्तमान में, इस योजना के माध्यम से लगभग साढ़े आठ करोड़ लोगों को रोजगार मिल रहा है। यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को रोजगार प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी और सफलतापूर्वक लागू की गई। जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने इस योजना की आलोचना की, लेकिन केंद्र की सत्ता में आते ही यह योजना ग्रामीण रोजगार का आधार बन गई। अब मोदी को इस ‘कांग्रेसी’ योजना से इतना लगाव हो गया है कि उन्होंने इसका नाम बदलकर ‘जी रामजी’ योजना रख दिया है। ये सब प्रपंच क्यों? मोदी और उनके लोग ‘गांधी’ को नहीं चाहते। महात्मा गांधी ने आजादी के समय अंग्रेजों को देश से भागने पर मजबूर कर दिया था और अब संसद के ‘गांधी’ मोदी सरकार और उसके लोगों का पर्दाफाश कर रहे हैं। उनका बदला उन्होंने महात्मा गांधी से ले लिया है। उन्होंने ‘मनरेगा’ से गांधी जी को हटाया और चैन की नींद ली। अब उन्होंने इसका नाम बदलकर ‘पूज्य बापू’ रख दिया है। गुजरात में गली-गली में बापू हैं। अगर आप किसी गली में ‘बापू’ पुकारें, तो सैकड़ों बापू निकल आएंगे। फिर मोदी के एक समय के ‘गुरु’ आसाराम बापू हैं ही, और इसी तरह कई और भी हैं। शंकरसिंह वाघेला जैसे नेताओं को भी ‘बापू’ कहकर पुकारा जाता है। क्या कहें? ‘नमो’ नाम का जादू खत्म हो जाने के बाद कल अंधभक्त मोदी को ही ‘बापू’ कहकर पुकारेंगे। क्या उसी बापू के लिए देश की सबसे बड़ी योजना का नाम बदला गया है? लेकिन ‘बापू’ पीछे छूट गए और गांधी की जगह ‘रामजी’ ने ले ली।
गांधी सर्वत्र
मोदी स्वयंघोषित विश्वगुरु हैं, लेकिन विश्व ने उन्हें कभी वह सम्मान और गरिमा नहीं दी। दुनिया के ९० देशों में गांधीजी की प्रतिमाएं स्थापित हैं और इतने ही देशों में सड़कों और चौराहों का नाम उनके नाम पर रखा गया है। दुनियाभर के विश्वविद्यालयों में ‘गांधी’ जीवित हैं। इसलिए भले ही भारत में गांधी की हत्या कर दी जाए, वे जीवित ही रहेंगे। जब दुनियाभर के राष्ट्राध्यक्ष दिल्ली आते हैं तो राजघाट जाकर गांधी की समाधि के दर्शन किए बिना उनका भारत दौरा पूरा नहीं होता। गांधी सच्चे देशभक्त थे। गांधीजी कहते थे, ‘देशभक्ति का अर्थ है समस्त जन और समाज का कल्याण। सत्ता प्राप्त करना देशभक्ति या स्वतंत्रता नहीं है, बल्कि लाखों लोगों को स्वशासन का अधिकार दिलाने का प्रयास करना ही सच्ची देशभक्ति है।’ मोदी और उनके समर्थक गांधी की देशभक्ति की परिभाषा को स्वीकार नहीं करेंगे। गांधीजी ने कहा था, ‘अनुभव से मेरा यह दृढ़ मत है कि किसी लोकसेवक को अपने लिए कभी भी चंदा नहीं लेना चाहिए।’ मोदी के कार्यकाल के दौरान भाजपा के खजाने में दस हजार करोड़ रुपए जमा हुए और पीएम केयर फंड में प्राप्त करोड़ों रुपए के दान की गिनती करना असंभव है। पीएम केयर फंड मोदी का निजी कोष है। महात्मा गांधी ने कई ऐसे नेताओं का निर्माण किया, जिन्होंने देश की सेवा में अपने प्राणों का बलिदान दिया। आज सिर्फ दलालों और ठेकेदारों की पैदाइश शुरू है।
‘नाम बदलो’ योजना
प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार ने ‘महात्मा गांधी रोजगार गारंटी’ योजना का नाम बदलकर ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ कर दिया। मोदी की योजना साल में दो करोड़ रोजगार सृजित करने और किसानों की आय दोगुना करने की थी। यह योजना विफल रही। फिर उन्होंने कांग्रेस की ‘मनरेगा’ योजना पर हाथ मारते हुए उसका नाम बदल दिया। मोदी कांग्रेस काल की कई योजनाओं के नाम बदलकर खुद को ‘विकास पुरुष’ साबित कर रहे हैं। जरा देखिए मोदी ने किन-किन योजनाओं के नाम बदले।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना
– ‘जी रामजी’ ग्रामीण रोजगार योजना
बेसिक सेविंग डिपॉजिट अकाउंट
-जन धन योजना
निर्मल भारत अभियान
-स्वच्छ भारत मिशन
राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम)
-दीनदयाल अंत्योदय योजना
नेशनल मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी
– मेक इन इंडिया
इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना
– प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना
स्वावलंबन योजना
-अटल पेंशन योजना
नेशनल स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम
– स्किल इंडिया
गरीब परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन
-प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना
-प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
राजीव आवास योजना
-सरदार पटेल नेशनल मिशन फॉर अर्बन हाउसिंग
नेशनल गर्ल चाइल्ड डे प्रोग्राम
-बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना
जन औषधि योजना
-प्रधानमंत्री जन औषधि योजना
राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना,
-दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण ज्योति योजना
नेशनल मैरिटाइम डेवलपमेंट प्रोग्राम
-सागरमाला
नेशनल सरल लिवलीहुड मिशन (आजीविका)
-दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण योजना
त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम
– प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना
न्यू डील फॉर रूरल इंडिया
– ग्राम उदय से भारत उदय
भारत का सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी)
– मिशन इंद्रधनुष
इंदिरा आवास योजना
– प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना
एकीकृत बाल विकास सेवा योजना (आईसीडीएस)
– राष्ट्रीय पोषण अभियान
अयोध्या में राम मंदिर का श्रेय मोदी खुद लेते हैं और सोचते हैं कि राम ही चुनाव जिताएंगे। इसलिए धर्म के नाम की नई भांग ग्रामीण रोजगार योजना के गरीबों को देने का यह एक नया तरीका है। इनमें खुद कुछ भी बनाने की ताकत और क्षमता नहीं है। इसलिए नेहरू-गांधी ने जो कुछ भी बनाया, उसे अपने उद्योगपति मित्रों को बेच देना या नष्ट कर देना है। उनका विकास केवल कांग्रेस युग की सभी योजनाओं के नाम बदलकर उन्हें अपने नाम देने तक में ही दिखता है। ‘जी रामजी’ के नाम पर इतना ही कहना है, ‘राष्ट्र निर्माण करनेवालों की सूची में मोदी का नाम कभी नहीं आएगा। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर बनवाया, लेकिन उससे दशकों पहले गांधी ने पूरे देश में श्री राम के मंदिर बनवाए थे, लेकिन उन्होंने इसका राजनीतिकरण नहीं किया था। राम मंदिर मेहनतकश लोगों का विश्राम स्थल था। आज श्री राम को द्वेष, तिरस्कार और धार्मिक कट्टरता का प्रतीक बनाकर मोदी और उनके लोगों ने हिंदुत्व को भारी नुकसान पहुंचाया है!’




