संपादकीय

लालू परिवार की मुश्किलें

बिहार चुनाव तपने लगा था, उसी दौरान सीबीआई की विशेष अदालत ने पूर्व रेल मंत्री लालू यादव, पत्नी राबड़ी देवी, पुत्र एवं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव समेत 11 अन्य के खिलाफ आरोप तय कर दिए। अब चुनाव के दौरान ही 27 अक्तूबर से रोजाना अदालत सुनवाई करेगी, साक्ष्य पेश किए जाएंगे, बहस होगी और अंतिम चरण के मतदान 11 नवंबर से एक दिन पहले ही अदालत अपना अंतिम फैसला सुना सकती है। अर्थात लालू यादव और परिजनों को जेल भेजा जाएगा अथवा आरोप-मुक्त किया जाएगा। लालू पहले ही चारा घोटाले में, स्वास्थ्य के आधार पर, जमानत पर हैं। कई साल जेल की सजा भी काट चुके हैं। यह केस लालू यादव के रेलमंत्री कार्यकाल का है, जब केंद्र में कांग्रेस नेतृत्व की यूपीए सरकार थी। लालू 2004-09 के दौरान केंद्रीय रेल मंत्री थे। लालू के उस दौर में जमीन के बदले नौकरियां दी गईं और भूमि के सस्ते हस्तांतरण के बदले आईआरसीटीसी होटल के घोटाले सामने आए। विशेष जज विशाल गोगने ने लालू यादव के आपराधिक साजिश का मुख्य सूत्रधार होने की आशंका जताई है। आपराधिक साजिश के अलावा, धोखाधड़ी, सार्वजनिक पद के दुरुपयोग और जनसेवक द्वारा आपराधिक दुराचरण की धाराओं में आरोप तय किए गए हैं। अदालत ने 244 पन्नों के फैसले में कहा है कि तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने सुजाता होटल, प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी का होटल, के निदेशक विजय और विनय कोचर आदि के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची। रांची और पुरी के बीएनआर होटलों की उप-लीज के अनुबंधों में अनुचित लाभ दिए गए। बदले में कोचर बंधुओं ने पटना की कीमती जमीन लालू के करीबी, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रेमचंद गुप्ता की कंपनी को बेची। वह कंपनी लालू परिवार के नियंत्रण में आ गई। कंपनी के शेयर तेजस्वी और राबड़ी देवी के नाम कर दिए गए। जमीन हस्तांतरण भी मामूली कीमत पर उनके नाम हो गया।

जिस संपत्ति का बाजार-मूल्य 94 करोड़ रुपए था और सर्किल रेट ही 32 करोड़ रुपए से अधिक था, वह 65 लाख रुपए में ही तेजस्वी और राबड़ी देवी के नाम कर दी गई। तब तेजस्वी नाबालिग थे, लेकिन करोड़ों रुपए की कंपनी और संपत्ति के मालिक थे। अदालत में वे कह रहे थे कि वे निर्दोष हैं। तो करोड़ों रुपए का हस्तांतरण उनके नाम कैसे हो गया? देश में किसी अन्य परिवार के साथ ऐसा क्यों नहीं हुआ? अदालत का गंभीर संदेह है कि तत्कालीन रेलमंत्री ने टेंडर प्रक्रिया को भी प्रभावित किया। तेजस्वी यादव इस मामले को ‘सियासी साजिश’ करार दे रहे हैं और लगातार लडऩे की हुंकार भर रहे हैं। भारत सरकार में रेल मंत्री लालू यादव थे, घोटाला परिवार में रचा गया, तो ‘सियासी साजिश’ कौन करेगा? यूपीए सरकार मई, 2014 तक रही। दरअसल यह घोटाला चक्रव्यूह की तरह है। आखिरी लाभार्थी लालू परिवार है। चुनाव के दौरान भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के आरोप और अंतत: कटघरे में जाने की नौबत राजद और ‘इंडिया’ गठबंधन के लिए करारा धक्का साबित हो सकता है। भाजपा-एनडीए लालू परिवार के खिलाफ धुआंधार प्रचार करेंगे और इस घोटाले को ‘जंगल-राज’ तथा ‘चारा घोटाले’ की अगली कड़ी कहेंगे। आरोप किसी राजनीतिक दल के नहीं हैं, बल्कि एक विशेष जज की अदालत में तय किए गए हैं, लिहाजा यह राजनीति करार नहीं दी जा सकती। अलबत्ता लालू परिवार इस अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती जरूर दे सकता है। ‘जमीन के बदले नौकरी’ घोटाले के किरदार लालू की बेटियां-मीसा भारती, हेमा यादव-भी हैं। दरअसल जांच एजेंसियों को लालू परिवार के आर्थिक संसाधनों की सम्यक जांच करनी चाहिए। राबड़ी देवी और बच्चों ने न तो अच्छी नौकरी की और न ही उद्योग स्थापित किए, लेकिन उनके पास फॉर्म हाउस, घर, संपत्तियां कहां से आईं? कमोबेश देश को इस भ्रष्ट चक्रव्यूह की जानकारी मिलनी चाहिए। सबसे संवेदनशील मामला तो तेजस्वी के लिए है। यदि अदालत ने उन्हें दो साल या अधिक की सजा सुना दी, तो उनका राजनीतिक करियर ही खत्म हो जाएगा, क्योंकि वह चुनाव लडऩे या किसी सरकारी पद पर रहने के योग्य ही नहीं रहेंगे। लालू को चारा घोटाले में इतनी सजाएं सुनाई गई हैं कि वह चुनाव लडऩे के लायक ही नहीं रहे हैं। हालांकि विपक्ष आरोप लगा रहा है कि चुनाव के ऐन मौके पर लालू परिवार की छवि धूमिल करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। किंतु सत्ता पक्ष की ओर से यह प्रचार किया जा रहा है कि इस तरह के मामलों की सुनवाई काफी समय से चल रही है, इसलिए विपक्ष के आरोप में दम नहीं है। उसका मानना है कि जानबूझ कर ऐसा नहीं किया जा रहा, बल्कि इसके लिए लालू परिवार स्वयं जिम्मेवार है जिसने भ्रष्टाचार को अनके बार अंजाम दिया।

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