संपादकीय

विकास से हारा टैरिफ

अमरीकी राष्ट्रपति टं्रप स्तब्ध और हैरान होंगे! भारत की जिस अर्थव्यवस्था को उन्होंने ‘मृत’ करार दिया था और 27 अगस्त को 50 फीसदी टैरिफ थोपा था, दोनों ही गलत और बेअसर साबित हुए। अमरीका भारत को रूस से भी तोड़ नहीं सका। यह अमरीका को भारत की जबरदस्त चुनौती है, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था की गति जापान, जर्मनी, फ्रांस सरीखे विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाओं की गति से भी तेज साबित हुई है। वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) की आर्थिक विकास दर 8.2 फीसदी रही है। 2023-24 में भी विकास दर 9 फीसदी से अधिक रही थी और वित्त वर्ष का समापन 8.4 फीसदी के साथ हुआ था। भारत की वास्तविक जीडीपी 48.63 लाख करोड़ रुपए है, जबकि एक साल पहले यह 44.94 लाख करोड़ रुपए थी। भारत की नॉमिनल जीडीपी 85.25 लाख करोड़ रुपए है। नॉमिनल जीडीपी के मायने हैं कि एक ही भौगोलिक सीमा के भीतर, एक अर्थव्यवस्था में, एक निश्चित अवधि में, उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का कुल बाजार मूल्य कितना है। उसमें मुद्रास्फीति को समायोजित नहीं किया जाता। भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन का आकलन है चूंकि पहले 6 माह की बढ़ोतरी दर 8 फीसदी से अधिक रही है, नतीजतन अब भारत की कुल अर्थव्यवस्था 4 ट्रिलियन डॉलर के पार होगी और चालू वित्त वर्ष की अंतिम आर्थिक विकास दर करीब 7.5 फीसदी हो सकती है। बजट संसद में पेश करने से पहले जो ‘आर्थिक समीक्षा’ सदन में रखी गई थी, उसमें 2025-26 की विकास दर का अनुमान 6.3-6.8 फीसदी लगाया गया था। अर्थव्यवस्था में यह बढ़ोतरी भारत के सतत आर्थिक विकास को प्रतिबिंबित करती है। चूंकि त्योहारी मौसम की मांग और खरीद के आंकड़े अभी सामने आने हैं। अक्तूबर-दिसंबर की तीसरी तिमाही की बढ़ोतरी दर और भी अच्छी हो सकती है।

जीएसटी की दरों में जो कमी की गई, उनसे आम आदमी ने भी खरीददारी बढ़ाई है। त्योहारी मौसम में तो व्यापक, बंपर खरीददारी होती रही है। भारत में निजी खपत का जीडीपी में योगदान 55-57 फीसदी तक रहा है। यदि विकास दर 8 फीसदी से अधिक है, तो जाहिर है कि निजी खपत बढ़ रही है। लोगों में क्रय-शक्ति है। वे मांग कर रहे हैं और वस्तुओं, सेवाओं का उपभोग कर रहे हैं, लिहाजा बाजार में चमक है और उत्पादन बढ़ रहा है। दूसरी तिमाही के दौरान मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में 9.1 फीसदी, सेवा में 9.2 फीसदी, निर्माण में 7.4 फीसदी (कुछ कम हुआ), कृषि में 3.5 फीसदी, नॉमिनल जीडीपी में 8.7 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। व्यापार, होटल, परिवहन, संचार सेवाओं के क्षेत्र में 7.4 फीसदी, बिजली में 4.4 फीसदी, फाइनेंशियल, रियल एस्टेट, पेशेवर सेवाओं में बढ़ोतरी 10 फीसदी से ज्यादा हुई है। इन क्षेत्रों का जीडीपी में करीब 25 फीसदी योगदान होता है। दरअसल भारतीय कंपनियों ने टैरिफ लगने से पहले ही उत्पादन और निर्यात को बढ़ा दिया था, नतीजतन टैरिफ का जीडीपी और अर्थव्यवस्था पर कोई नकारात्मक असर नहीं दिखा। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक और थोक मूल्य सूचकांक के स्तर पर मुद्रास्फीति इस तिमाही के दौरान कम ही रही। इसी आधार पर महंगाई को नियंत्रित किया जा सका। आर्थिक विकास दर से प्रधानमंत्री मोदी, उद्योगपति, व्यापारी, बाजार और आम उपभोक्ता सभी गदगद होंगे। ऐसे मौकों पर एक बुनियादी सवाल कुरेदता रहा है कि जब हम आर्थिक तौर पर इतने मजबूत हो रहे हैं, बाजार में मांग और व्यापार हैं, तो उसका पूरा लाभ आम आदमी को क्यों नहीं मिल पाता? देश में आज भी 81 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज हर माह बांटा जा रहा है। इसके अलावा, सस्ता गेहूं, चावल की योजना गरीबी-रेखा के नीचे वालों के लिए भी है। हमारा दावा है कि करोड़ों की यह जमात बेरोजगार नहीं है। यदि है, तो सरकार एक अभियान चला कर उन्हें रोजगार मुहैया करा सकती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button