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 संतान की लंबी उम्र के लिए इस दिन रखा जाएगा सकट चौथ का व्रत, जानें पूजा विधि और चंद्रोदय समय

Sakat Chauth 2026 : विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित सकट चौथ का व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य और जीवन की सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं। साल 2026 में भी यह व्रत पूरी श्रद्धा और उल्लास के…

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Sakat Chauth 2026 : विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित सकट चौथ का व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य और जीवन की सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं। साल 2026 में भी यह व्रत पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाएगा।

सकट चौथ तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ मनाया जाता है। इसे संकष्टी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ या माघी चौथ के नाम से भी जाना जाता है।

सकट चौथ तिथि: 6 जनवरी 2026, मंगलवार
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 6 जनवरी 2026 को सुबह से
चतुर्थी तिथि समाप्त: 7 जनवरी 2026 की सुबह

साल 2026 में सकट चौथ मंगलवार के दिन पड़ रही है। मंगलवार के दिन चतुर्थी होने के कारण इसे अंगारकी चतुर्थी का अत्यंत शुभ संयोग भी माना जाएगा, जो ऋण मुक्ति और संकटों के नाश के लिए विशेष फलदायी होता है।

Pooja Vidhi पूजा विधि 
सकट चौथ की पूजा विधि विधान से करने पर मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। संभव हो तो लाल रंग के वस्त्र पहनें क्योंकि गणेश जी को लाल रंग प्रिय है।

हाथ में जल और अक्षत लेकर संतान की खुशहाली के लिए निर्जला या फलाहार व्रत का संकल्प लें।

 शाम के समय एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। उनके साथ मां लक्ष्मी की मूर्ति भी रखें।

गणेश जी को गंगाजल से स्नान कराएं। उन्हें रिद्धि-सिद्धि के रूप में दो सुपारी अर्पित करें। गणेश जी को सिंदूर, दूर्वा, अक्षत, फूल और माला चढ़ाएं।

इस दिन तिल और गुड़ से बने तिलकुटा का भोग लगाना अनिवार्य है। साथ ही मोदक और मौसमी फलों का अर्घ्य भी दें।

पूजा के दौरान सकट चौथ की व्रत कथा अवश्य सुनें या पढ़ें। बिना कथा के पूजा अधूरी मानी जाती है।

रात को जब चंद्रमा उदय हो, तब एक लोटे में जल, दूध, चंदन, अक्षत और फूल मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय अपनी संतान की रक्षा की कामना करें।

चंद्र दर्शन और अर्घ्य के बाद प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण करें।

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