स्टार्मर का मुंबई दौरा!

ब्रिटिश प्रधानमंत्री स्टार्मर दो दिनों के लिए मुंबई में थे। लंबे समय के बाद कोई राष्ट्राध्यक्ष मुंबई आया और शहर में रुका। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से उनकी सरकार ने मुंबई के अंतर्राष्ट्रीय महत्व को कम करने की कोशिश की है। यानी जब भी किसी देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति आदि भारत आते थे, वे सबसे पहले मुंबई आते थे। वे यहां के प्रमुख लोगों से मिलते थे। उनके स्वागत समारोह होते थे। उनके सम्मान में सांस्कृतिक समारोह आयोजित किए जाते थे। अपने समय में, मोदी ने विदेशी मेहमानों को मुंबई के बजाय गुजरात में उतारना शुरू किया। ट्रंप, ओबामा, जापानी प्रधानमंत्री, चीनी राष्ट्रपति आदि के विमान अमदाबाद में उतरवाए और गुजरात की प्रशंसा की। बेशक, किसी के पास गुजरात के प्रति द्वेष रखने का कोई कारण नहीं है। गुजरात और महाराष्ट्र का घनिष्ठ संबंध है ही। उन्हें तोड़ने का मोदी-शाह के दौर में एक प्रयास किया गया। कुछ लोगों का यह मानना है कि बड़े विदेशी मेहमानों को मुंबई में नहीं उतरना चाहिए और इसके बजाय गुजरात की यात्रा करनी चाहिए, संकीर्ण सोच है। जो लोग सोचते थे कि ऐसा करने से मुंबई का वैश्विक महत्व कम हो जाएगा, उनके लिए ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की मुंबई यात्रा अध्ययन का विषय है। स्टार्मर मुंबई पहुंचे। उनके स्वागत में ‘मिंधे’ गुट के नेताओं ने पूरे मुंबई में पोस्टर और होर्डिंग लगा दिए। ऐसा लग रहा था मानो स्टार्मर बीकेसी में किसी समारोह में मिंधे गुट में शामिल होकर विभागाध्यक्ष नियुक्त होनेवाले हों। अंतर्राष्ट्रीय शिष्टाचार की जरा भी समझ न रखनेवाले लोगों का यह कृत्य हास्यास्पद है। स्टारमर को भी ये
पोस्टरबाजी देखकर मजा
आया होगा। उन्होंने देखा होगा कि जिस मुंबई को वे पीछे छोड़ गए थे, वह वैâसे विद्रूप हो गई है। अब स्टार्मर मुंबई आए हैं और उन्होंने मुंबई में प्रधानमंत्री मोदी से सलाह-मशविरा किया। प्रधानमंत्री मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री के बीच मुंबई के राजभवन में बातचीत हुई और कई समझौते हुए। हमेशा की तरह निवेश, रक्षा, व्यापार, शिक्षा, विज्ञान के क्षेत्र में समझौते हुए। नौ ब्रिटिश विश्वविद्यालय भारत में अपने वैंâपस खोलेंगे। भारत और ब्रिटेन के बीच ४,२०० करोड़ रुपए के ‘मिसाइल सौदे’, यानी एक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर हुए। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की विकास यात्रा में ब्रिटेन की भागीदारी की शुरुआत का स्वागत किया। बदले में स्टार्मर से बुलवाया गया कि भारत २०२८ तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। बेशक, महाराष्ट्र जहां मुंबई में दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच व्यापार समझौतों की शुरुआत हुई थी, पर इस समय लगभग साढ़े नौ लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। मराठवाड़ा बाढ़ से घिरा हुआ है और किसान हर दिन आत्महत्या कर रहे हैं। एक ही प्रांत में चार महीनों में ३,७०० किसान आत्महत्या कर लें, यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए शोभा नहीं देता। मुंबई में स्टार्मर का स्वागत करनेवाली सरकार भ्रष्ट तरीकों से, काले धन के बल पर चुनी गई थी। तो फिर भारत तीसरी दुनिया की अर्थव्यवस्था वैâसे बन सकता है, जैसा कि स्टार्मर कहते हैं? ट्रंप ने भारत पर भारी टैरिफ लगाए। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ। तब से, मोदी
‘स्वदेशी’ और ‘आत्मनिर्भरता’ का नारा
दे रहे हैं। अमित शाह ने तो अंग्रेजी की जगह हिंदी को बढ़ावा दिया। भाजपा का रुख यह है कि हिंदी ही देश में रहेगी, लेकिन नौ ब्रिटिश विश्वविद्यालय भारत में अपने परिसर खोल रहे हैं। अब ब्रिटेन मोदी के आत्मनिर्भर भारत को अंतरराष्ट्रीय शिक्षा प्रदान करेगा। स्टार्मर कहते हैं, ‘भारत में उच्च-गुणवत्ता वाली शिक्षा की भारी मांग है।’ इसका मतलब है कि पिछले दस वर्षों में भारत में शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट आई है। ईस्ट इंडिया कंपनी व्यापार के लिए भारत आई और देश की मालिक बन गई। इस बार भी ब्रिटिश प्रधानमंत्री स्टार्मर १२५ से ज्यादा उद्योगपतियों के प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत आए। स्टार्मर का भारत दौरा मुंबई में शुरू और वहीं खत्म हुआ। यही मुंबई का महत्व है। स्टार्मर समझ गए कि मुंबई में ही भारत समाहित है और मुंबई भारत की पालनहार है, लेकिन भारतीय शासक कब समझेंगे? भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार को लेकर एक समझौता हुआ है। इसके अनुसार, दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में उद्योग और व्यापार होते रहेंगे। सवाल यह है कि ब्रिटेन और भारत एक-दूसरे के स्वाभाविक साझेदार हैं, लेकिन क्या इस स्वाभाविक साझेदार ने संकट के समय भारत के साथ मजबूती से खड़े रहने का अपना वादा निभाया है? वे भारत को एक व्यापारी की नजर से देखते हैं। उन्हें व्यापार के लिए भारत की जनसंख्या, जमीन और वन संपदा चाहिए और हम भी ‘आत्मनिर्भर’ और ‘स्वदेशी’ का नारा देकर अंग्रेजों के लिए कालीन बिछा रहे हैं। बस इतना ही है कि इस बार प्रधानमंत्री मोदी ने कालीन बिछाने के लिए महाराष्ट्र की धरती को चुना है!




