हसीना को सजा से धर्मसंकट में भारत, पूर्व PM को शरण देने-प्रत्यर्पण को लेकर असमंजस की स्थिति में देश

ब्यूरो— नई दिल्ली
शेख हसीना के खिलाफ आये फैसले ने भारत के लिए भी बड़ा ‘धर्मसंकट’ खड़ा कर दिया है। शेख हसीना को मौत की सज़ा दक्षिण एशिया की राजनीति का वह मोड़ है जहां न्याय, राजनीति और शक्ति की लड़ाई एक-दूसरे में उलझ गई है। कुल मिलाकर देखें तो यह फैसला न्याय से अधिक राजनीति है और राजनीति जब प्रतिशोध बन जाती है, तो वह राष्ट्र को घाव ही देती है, समाधान नहीं। दूसरी ओर, भारत के लिए भी यह फैसला अत्यंत जटिल स्थिति पैदा कर गया है क्योंकि शेख हसीना भारत में ही रह रही हैं। अंतरिम सरकार पहले ही नई दिल्ली से उनकी वापसी की मांग कर चुकी है, लेकिन भारत एक ऐसी स्थिति में फंस चुका है, जहां हर कदम जोखिम से भरा है। यदि भारत हसीना को ढाका की अंतरिम सरकार के हवाले कर देता है, तो वह न केवल एक ऐसे फैसले को वैधता देगा, जिसे व्यापक रूप से राजनीतिक प्रतिशोध माना जा रहा है, बल्कि बांग्लादेश में भारत समर्थक भावना को भी चोट पहुंचाएगा। अवामी लीग, जो वर्षों से भारत की सबसे विश्वसनीय साझेदार रही है, वह इससे भारत से मोहभंग महसूस करेगी और भारत-विरोधी ताकतों को राजनीतिक ईंधन मिल जाएगा। वहीं यदि भारत हसीना को शरण देना जारी रखता है, तो अंतरिम सरकार और कट्टरपंथी समूह भारत पर ‘हस्तक्षेपकारी’ और ‘लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बाधा डालने वाला’ देश होने का आरोप लगाएंगे।
ससे दोनों देशों के राजनयिक संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं। सीमा प्रबंधन, व्यापार समझौते और सुरक्षा सहयोग जैसे क्षेत्रों में रुकावटें बढ़ सकती हैं। भारत-विरोधी उग्र समूह इस स्थिति का फायदा उठाकर भारत के खिलाफ नफऱत का माहौल बना सकते हैं जो सीधे तौर पर सुरक्षा चुनौतियों को जन्म देगा। अब भारत के सामने सीधा सवाल है कि क्या वह मानवाधिकार और विधिक प्रक्रिया के नाम पर हसीना को प्रतिद्वंद्वी सरकार के हवाले कर दे, या क्षेत्रीय स्थिरता और दीर्घकालिक सामरिक हितों को देखते हुए उन्हें सुरक्षित रखे? यह दुविधा केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि रणनीतिक भी है। हसीना भारत के लिए वह नेता रही हैं, जिन्होंने बांग्लादेश को चीन की गोद में पूरी तरह गिरने नहीं दिया। बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाई गई है। इसके बाद ढाका में हिंसा भडक़ उठी है। इसको लेकर यूनुस सरकार ऐक्शन में है और विभिन्न जगहों पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।




