हाथी प्रभावित उपार्जन केंद्रों में अतिरिक्त सुरक्षा, तेजी से उठाव की कवायद

कोरबा: 15 नवंबर से धान खरीदी शुरू हो चुकी है. दुर्गम क्षेत्र में उपार्जन के दौरान उठाव को लेकर सबसे ज्यादा समस्या हाथी प्रभावित क्षेत्र में होती है. जिससे निपटने के लिए इस बार बफर लिमिट में धान की खरीदी की जाएगी. निर्धारित खरीदी का उठाव होने के बाद आगे की खरीदी करने की रणनीति बनाई गई है. इससे उपार्जन केंद्र में धान जाम नहीं होगा और हाथी से धान के नुकसान को काफी हद तक बचाया जा सकता है. उपार्जन केंद्रों की निगरानी वन विभाग द्वारा तैयार किए गए सतर्कता एप से होगी. जिससे हाथियों के लोकेशन की रियल टाइम जानकारी मिलेगी.
जिले में बीते वर्ष की तरह इस वर्ष भी 65 उपार्जन केंद्रों से धान खरीदी की जाएगी. इनमें केंदई, एतमानगर, कुदमुरा वन परिक्षेत्र से जुड़े चचिया, गुरमा, मदवानी, चिर्रा, केरवाद्वारी आदि ऐसे गांव हैं, जहां केंद्र तो खोले गए हैं. लेकिन गोदाम की सुविधा नहीं होने की वजह से हाथी धान के करीब पहुंच जाते हैं और धान को नुकसान पहुंचाते हैं. प्रशासन ने इस समस्या से बचने के लिए यह रणनीति बनाई है कि उतने ही किसानों के टोकन काटे जाएंगे, जितने धान को उपार्जन केंद्र में सुरक्षित रखा जा सके.
पिछले वर्ष धान को पहुंची थी क्षति : बीते वर्ष विभिन्न उपार्जन केंद्रों से 14 क्विंटल धान क्षति दर्ज किया गया था. कोरबा व कटघोरा दोनों वन मंडलों में हाथी विचरण का दायरा बढ़ता जा रहा है. हाथियों से ना केवल धान उपार्जन केंद्रों में धान को नुकसान होने की आंशंका बनी रहती है बल्कि लोगों को जान जोखिम में डालकर धान की रखवाली करनी पड़ती है. वर्तमान में कटघोरा व कोरबा वनमंडल में हाथी बड़ी संख्या में विचरण कर रह हैं. हाथियों के विचरण की वजह से फसल कटाई का काम प्रभावित गांवों में अभी बंद है. बफर लिमिट में धान खरीदी से प्रभावित उपार्जन केंद्र के प्रभारियों को धान की सुरक्षा को लेकर राहत मिलेगी. पारदर्शितापूर्ण धान खरीदी के लिए पीडीएस से प्रशासन ने बारदानों का संग्रहण के साथ उपार्जन केंद्रों में आपूर्ति भी शुरू कर दी गई है.
निरीक्षण के लिए 12 उडनदस्ता टीम गठित : धान खरीदी में बिचौलियों की दखल, फर्जी धान बिक्री को रोकने के लिए जिला प्रशासन की ओर से 12 उड़नदस्ता टीम का गठन किया गया है. टीम के माध्यम केंद्रों में जाकर सूखती तौल, धान का रखरखाव, उठाव और शेषधान आदि की जानकारी ली जाएगी। साथ ही डीओ कटने के बाद उठाव की स्थिति का जायजा लेकर लेकर मामले की रिपोर्टिंग जिला प्रशासन को करेंगे.
21 उपार्जन केंद्र संवेदनशील घोषित : जिला प्रशासन की ओर से इस बार 65 उपार्जन केंद्रों में 22 को संवेदनशील घोषित किया गया है. कुल्हरिया, उतरदा, अखरापाली आदि ऐसे गांव हैं, जहां बीते वर्ष क्षेत्र के निर्धारित रकबा से अधिक धान खरीदी के मामले आने से खरीदी कार्य विवादों में रहा। साथ ही समय पर धान का उठाव नहीं हुआ. संवेदनशील उपार्जन केंद्रों में उड़नदस्ता टीम की सतत निगरानी रहेगी.
हाथी प्रभावित धान केंद्रों में खास फोकस : कोरबा वन मंडल के एसडीओ आशीष खेलवार ने बताया कि हाथी प्रभावित केंद्रों पर हमारु खास नजर है. इनकी निगरानी की जाती है, सतर्कता के उपाय किए जाते हैं.खास तौर पर कुछ केंद्र ऐसे हैं जहां हाथी आ जाते हैं. पिछले वर्ष भी ही रहता है कि हाथी और मानव द्वंद कम हो, धान को नुकसान ना हो और हाथियों को भी किसी प्रकार का कोई नुकसान न होने पाए.




