छत्तीसगढ़

 हिडमा की आखिरी चिट्ठी में था उसका सीक्रेट ‘प्लान’, पत्रकार से पहले ठिकाने पर पहुंच गए जवान

रायपुर: नक्सली कमांडर मादवी हिडमा मारा गया है। आंध्र प्रदेश में पुलिस ने उसका एनकाउंटर किया है। एनकाउंटर के बाद यह बात सामने आ रही है कि हिडमा तेलंगाना में आत्मसमर्पण करना चाहता था लेकिन उसके साथियों ने इसका विरोध किया था। इसके बाद ही उसने आंध्र प्रदेश में जाकर शरण ली थी। एनकाउंटर से कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ के डेप्युटी सीएम विजय शर्मा ने हिडमा के मां से जाकर मुलाकात की थी। साथ ही कहा था कि वह सरेंडर कर दे।

आंध्र प्रदेश भागने का फैसला किया

मादवी हिडमा की घेराबंदी लगातार चल रही थी। सुरक्षाबल उसकी मूवमेंट पर नजर रख रहे थे। सूत्रों के अनुसार, हिडमा, जो लंबे समय से छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों को चकमा दे रहा था, उसने 16 नवंबर को सुकमा में हुई मुठभेड़ के बाद अपनी योजना बदल दी थी। इस मुठभेड़ में तीन नक्सली मारे गए थे। इस घटना के बाद हिडमा ने आंध्र प्रदेश की ओर भागने का फैसला किया, जहां मारुदुमिल्ली जंगलों में सुरक्षा बलों ने उसे ढेर कर दिया।

सरकार से बाचतीत के लिए था तैयार

एक बस्तर-आधारित पत्रकार ने दावा किया है कि हिडमा ने पिछले हफ्ते ही उसे एक पत्र लिखकर आत्मसमर्पण पर विचार करने और सरकार के साथ बातचीत में मदद मांगने की बात कही थी। पत्रकार, जिसने अपनी पहचान गुप्त रखने का अनुरोध किया है। उन्होंने बताया कि हिडमा ने उससे आंध्र प्रदेश में मिलने के लिए कहा था, जहां वह छिपा हुआ था। यह पत्र 10 नवंबर का है और टाइप किया हुआ है।

पूरी पार्टी आत्मसमर्पण के लिए तैयार नहीं

पत्र में हिडमा ने लिखा है कि जोहार! पूरी पार्टी (आत्मसमर्पण के लिए) तैयार नहीं है क्योंकि बहुत सारी समस्याएं और सुरक्षा जोखिम हैं। हमारी पसंद के आधार पर और आपकी मदद से, सरकार को (आत्मसमर्पण के लिए) स्थान तय करना होगा। यदि हमारी सुरक्षा की गारंटी है, तो हम आपसे मिल सकते हैं। हम किसी से भी मिल सकते हैं। हिडमा ने यह भी कहा था कि वह 4-5 दिनों के भीतर हिंदी और तेलुगु में एक ऑडियो बयान जारी करेगा।

नक्सलियों के आत्मसमर्पण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

पत्रकार ने अफसोस जताते हुए कहा कि मुझे देर हो गई। इस पत्रकार ने हाल ही में जगदलपुर में 210 नक्सलियों के आत्मसमर्पण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

वहीं, तेलंगाना पुलिस के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि हिडमा ने आत्मसमर्पण करने के संकेत दिए थे और वे इस पर काम कर रहे थे। लेकिन उसके साथियों का विरोध और सुरक्षा जोखिमों ने उसकी योजना को बदल दिया। यह घटना सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है। हिडमा कई सालों से सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ था। उसकी मौत से नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ आने की उम्मीद है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button