ज्योतिष

कब है होली, जानें नए साल में किस दिन मनाया जाएगा रंगों का त्योहार

Holi 2026 Date: हिंदू धर्म में होली का पर्व उल्लास और आस्था का प्रतीक माना जाता है. यह त्योहार फाल्गुन पूर्णिमा को मनाया जाता है और बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है. वर्ष 2026 में होलिका दहन और होली की तिथियों को लेकर लोगों में असमंजस है, जिसे पंचांग के आधार पर स्पष्ट किया जा रहा है.

Holi 2026 Date: हिंदू धर्म में होली को उल्लास, रंग और सामाजिक समरसता का प्रतीक माना जाता है. यह पर्व हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. शास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन रंगों वाली होली, जिसे धुलेंडी भी कहा जाता है, खेली जाती है. यह पर्व भक्त प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की कथा से जुड़ा है, जहां बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश मिलता है.

इस वर्ष 2026 में पूर्णिमा तिथि दो दिन पड़ने के कारण लोगों के मन में होलिका दहन और होली की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है. वैदिक पंचांग के अनुसार इस असमंजस को स्पष्ट किया गया है.

होलिका दहन 2026 की सही तिथि और मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, वर्ष 2026 में होलिका दहन 3 मार्च, मंगलवार को किया जाएगा. इस दिन होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 22 मिनट से रात 8 बजकर 50 मिनट तक रहेगा. शास्त्रों में बताया गया है कि होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा के दिन सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में किया जाना चाहिए, बशर्ते उस समय भद्रा न हो.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि भद्रा पूर्णिमा तिथि के पूर्वार्ध में हो, तो होलिका दहन वर्जित माना जाता है. इसी कारण सही मुहूर्त का विशेष ध्यान रखना आवश्यक होता है. होलिका दहन को ‘छोटी होली’ भी कहा जाता है.

होली 2026 की तिथि

होलिका दहन के अगले दिन यानी 4 मार्च 2026, बुधवार को पूरे देश में रंगों का पर्व होली मनाया जाएगा. इस दिन लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाकर, रंगों से सराबोर होकर खुशियां मनाते हैं.

होलिका दहन की राख से नजर दोष का उपाय

धार्मिक मान्यता के अनुसार, होलिका दहन की राख में विशेष शक्ति मानी जाती है. यदि किसी व्यक्ति पर नजर दोष का प्रभाव हो, तो होलिका दहन की राख को उसके सिर से सात बार उतारकर किसी चौराहे पर फेंक देने से लाभ मिलता है. ऐसा माना जाता है कि इस उपाय से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. इस तरह होली न केवल रंगों का, बल्कि आस्था, परंपरा और सकारात्मकता का पर्व भी है.

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