ISRO : अंतरिक्ष यान पर भारत का बड़ा प्लान

ब्यूरो — नई दिल्ली
भारत अंतरिक्ष में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। इस सफलता के पीछे इसरो के तमाम वैज्ञानिकों हाथ है। इसरो अब दुनिया को एक बार फिर अपनी ताकत दिखाने के लिए तैयार है। इस वित्तीय वर्ष में सात और लांचिंग की जाएंगी। साथ ही भारत का पहला मानव अंतरिक्ष यान 2027 तक भेजे जाने की योजना पर भी काम चल रहा है। इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने एक इंटरव्यू में यह भी बताया कि इसरो अंतरिक्षयान उत्पादन क्षमता को तीन गुणा तक बढ़ाएगा। इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने बताया कि इसरो विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उद्योग क्षमता में तेजी से विस्तार के दौर में है। इसरो सात और लांच की योजना बना रहा है, जिसमें एक कॉमर्सिएल कम्युनिकेशन सैटेलाइट और कई पीएसएलवी और जीएसएलवी मिशन शामिल हैं। एक खास बात यह होगी कि पहला पीएसएलवी पूरी तरह से भारतीय होगा। इसरो चीफ ने यह भी बताया कि सरकार ने चंद्रयान-4 मिशन को भी मंजूरी दे दी है, जो चंद्रमा से सैंपल वापस लाने का एक जटिल मिशन होगा। इसके साथ ही इसरो ने 2028 तक चंद्रयान-4 लांच करने का लक्ष्य रख रहा है। इसके अलावा, जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जेएएक्सए) के साथ मिलकर लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम पर भी काम चल रहा है।
इसरो अगले तीन सालों में अंतरिक्ष यान उत्पादन को तीन गुना करने की कोशिश कर रहा है ताकि बढ़ती मिशन मांगों को पूरा किया जा सके। भारत के पहले मानव-अंतरिक्ष उड़ान मिशन गगनयान को लेकर नारायणन ने स्पष्ट किया कि केवल मानवरहित मिशनों की समय-सीमा बदली है। उन्होंने कहा कि मैं यह स्पष्ट कर दूं कि मानवरहित मिशन 2025 के लिए लक्षित था। मानवयुक्त मिशन की योजना हमेशा से 2027 के लिए बनाई गई थी और इस तिथि में कोई बदलाव नहीं किया गया है। भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के साथ पहली उड़ान से पूर्व तीन मानवरहित परीक्षण मिशन होंगे। नारायणन ने यह भी बताया कि इसरो 2035 तक अपना भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन बनाने पर काम कर रहा है। इसके पांच मॉड्यूल में से पहला 2028 तक कक्षा में स्थापित कर दिया जाएगा। इससे भारत तीसरा ऐसा देश बन जाएगा, जिसके पास अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा, क्योंकि अमरीका के नेतृत्व वाला आईएसएस अपने अंत के करीब है और चीन का तियांगोंग पूरी तरह से चालू हो रहा है। नारायणन ने कहा कि वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी वर्तमान में लगभग दो प्रतिशत है और इसरो 2030 तक इसे बढ़ाकर आठ प्रतिशत करने की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का वर्तमान मूल्य लगभग 8.2 अरब अमरीकी डॉलर है और 2033 तक इसके 44 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढऩे का अनुमान है, जबकि वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था वर्तमान में लगभग 630 अरब अमरीकी डॉलर है और 2035 तक 1.8 लाख करोड़ अमरीकी डॉलर तक पहुंच सकती है।




