क्यों लोग इस जंगल में कर लेते हैं आत्महत्या? पेड़ों पर लटकते हैं शव, आती हैं चीखने की आवाजें

Mysterious Forest: जापान में एक ऐसा जंगल है जिसकी गिनती दुनिया के सबसे भुतिया जंगलों में होती है। इसका नाम ऑकिगहरा है। बताया जाता है कि हर साल इस जंगल में 50 से 100 लोग सुसाइड कर लेते हैं।
दुनिया में कुछ ऐसी अजीबोगरीब घटनाएं होतीं, जिनकी लोगों के बीच चर्चा होने लगती है। जापान में एक इसी तरह की जगह है, जो दुनियाभर में ‘सुसाइड फॉरेस्ट’ यानी आत्महत्या करने वाला जंगल के नाम से मशहूर है। यह हरा-भरा और सुंदर दिखने वाला जंगल मॉर्निंग वॉक के लिए नहीं बल्कि अपनी डरावनी कहानियों के लिए प्रसिद्ध है। इस जंगल का नाम ऑकिगहरा फॉरेस्ट है।
इस जंगल में अभी तक कई लोगों ने आत्महत्या कर ली है। वहीं इस जंगल को लेकर लोगों में कई तरह की मान्यताएं भी हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इस जगह पर भूतों का वास है, जो लोगों को आत्महत्या करने पर मजबूर करते हैं। ये जंगल दुनिया के सबसे पॉप्युलर सुसाइड प्लेसेज में दूसरे नंबर पर है। यह जंगल जापान की राजधानी टोक्यो से सिर्फ कुछ ही घंटे की दूरी पर स्थित है। आइये इस जंगल के बारे में जानते हैं…
कहां है जगंल?
जैसे ही आप ऑकिगहरा जंगल में प्रवेश करेंगे तो आपको चेतावनियां पढ़ने को मिलेंगी। जैसे कि ‘अपने बच्चों और परिवार के बारे में ध्यान से सोचें’, ‘आपका जीवन आपके माता-पिता द्वारा दिया हुआ कीमती तोहफा है’। यह जंगल जापान के टोक्यो से दो घंटे की दूरी पर स्थित माउंट फूजी के नॉर्थवेस्ट में स्थित है और 35 स्क्वेयर किमी के बड़े एरिया में फैला हुआ है। इतना ही नहीं ये जंगल इतना घना है कि इसे पेड़ों का सागर भी कहा जाता है। यह जंगल इतना घना है कि यहां से निकलकर आना बेहद मुश्किल है।
जंगल से जुड़ी डरावनी कहानियां
कहा जाता है कि इस जंगल में आत्माओं का वास है। आधिकारिक रिकॉर्ड्स के अनुसार, साल 2003 से इस जंगल में करीब 105 डेडबॉडीज खोजी जा चुकी हैं। इनमें से ज्यादतर बुरी-तरह सड़ चुकी थीं, वहीं कुछ को जंगली जानवरों ने खा लिया था। साथ ही ये भी माना जाता है कि जंगल इतना घना है कि लोग रास्ता भूल जाते हैं और फिर डर की वजह से वो खुद से ही अपनी जान ले लेते हैं।
सबसे ज्यादा हैरान कर देने वाली ये है कि जंगल में कंपास या मोबाइल जैसे उपकरण भी काम नहीं करते हैं। इतना ही नहीं कंपास की सुई भी यहां कभी सही रास्ता नहीं दिखाती। इसका कारण ये बताया जाता है कि ज्वालामुखी से निकलने वाले लावा ने मिट्टी का रूप ले लिया है, जिसमें आयरन भारी मात्रा में होता है। मैग्नेटिक आयरन के चलते कंपास की सुई हर वक्त हिलती रहती है और सही मार्ग नहीं दिखा पाती है।
वहीं मोबाइल में भी नेटवर्क नहीं आता है। इस वजह से अगर कोई फंस जाता है तो जंगल के बाहर संपर्क साधना मुश्किल हो जाता है। जंगल के पास रहने वाले लोगों का कहना है कि रात में जंगल से चीखने की आवाजें आती हैं। कहा जाता है कि इस जंगल में अलग-अलग प्रजातियों के कई पेड़ हैं, जो 300 साल से भी पुराने हैं।




