टैरिफ चुनौती के बीच आर्थिक रफ्तार

अब जीएसटी सुधारों के तीन बड़े आधार हैं। एक, स्ट्रक्चरल सुधार। इसमें टैक्स ढांचे को और बेहतर किया गया है। दो, टैक्स दरों को तर्कसंगत बनाया गया है, ताकि जरूरी वस्तुएं सस्ती हों तथा तीन, नए रजिस्ट्रेशन, रिफंड को आसान बनाया गया है। इससे इनपुट और आउटपुट टैक्स रेट्स में संतुलन आएगा। जीएसटी के रजिस्ट्रेशन से लेकर पालन प्रतिवेदन की प्रक्रिया भी आसान की गई है…
यकीनन इस समय टैरिफ की चुनौती के बीच भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है और अब कर सुधारों से अर्थव्यवस्था की गति को पंख लगते हुए दिखाई देंगे। हाल ही में 19 सितंबर को दुनिया की प्रसिद्ध जापान की ग्लोबल रेटिंग एजेंसी रेटिंग एंड इन्वेस्टमेंट इंफार्मेशन (आरएंडआई) ने कहा कि अमेरिका के द्वारा भारत पर ऊंचे टैरिफ लगाने के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था बढऩे की प्रवृत्ति दिखा रही है। ऐसे में भारत की ‘सॉवरेन रेटिंग’ को एक पायदान ऊपर करते हुए बीबीबी प्लस किया गया है। इसके पहले भी पिछले दिनों एसएंडपी और मार्निंग स्टार डीबीआरएस जैसी वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने भारत की क्रेडिट रेटिंग को अपग्रेड किया है। गौरतलब है कि हाल ही में उभरते भारत कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि नए कर सुधार देश के हर नागरिक के लिए एक बड़ा उपहार है। इन दिनों हाल ही में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और इनकम टैक्स में किए गए नए सुधारों और नई व्यवस्थाओं पर प्रकाशित हो रही विभिन्न रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि इन आमूल कर सुधारों से न केवल आम आदमी की जिंदगी आसान होगी, वरन देश विकसित राष्ट्र बनने की डगर पर भी तेजी से आगे बढ़ेगा। जीएसटी और इनकम टैक्स में किए गए बदलाव को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यह आम लोगों के जीवन में खुशहाली का डबल धमाका है।
इनकम टैक्स में मिली 12 लाख तक की छूट के बाद अब जीएसटी की दरों में की गई कटौती से घरों का बजट सुधरेगा, आम लोगों की बचत बढ़ेगी और मध्यम वर्गीय लोगों की क्रयशक्ति में भी बड़ा इजाफा होगा। वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि नए कर सुधारों से इसी वर्ष 2025-26 के अंत तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनते हुए दिखाई दे सकता है। इस परिप्रेक्ष्य में यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 9 सितंबर को वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में कर दरों में कमी किए जाने से निजी उपभोग को बढ़ावा मिलेगा और आर्थिक विकास मजबूत होगा। साथ ही इससे महंगाई में भी कमी आएगी। यह भी कोई छोटी बात नहीं है कि 10 सितंबर को वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की विकास दर के अनुमान को 6.5 फीसदी से बढ़ाकर 6.9 फीसदी कर दिया है। गौरतलब है कि 22 सितंबर से लागू नए ऐतिहासिक जीएसटी सुधारों के तहत मौजूदा चार टैक्स स्लैब 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी में बदलाव करते हुए इन्हें घटाकर 5 फीसदी और 18 फीसदी स्लैब वाले दो-स्तरीय जीएसटी व्यवस्था के रूप में रणनीतिक पूर्वक आगे बढ़ाया गया है। हालांकि अहितकर वस्तुओं की श्रेणी में आने वाली कुछ वस्तुओं पर 40 फीसदी कर स्लैब लागू किया गया है। अब जीएसटी सुधारों के तीन बड़े आधार हैं। एक, स्ट्रक्चरल सुधार। इसमें टैक्स ढांचे को और बेहतर किया गया है। दो, टैक्स दरों को तर्कसंगत बनाया गया है, ताकि जरूरी वस्तुएं सस्ती हों तथा तीन, नए रजिस्ट्रेशन, रिफंड को आसान बनाया गया है। इससे इनपुट और आउटपुट टैक्स रेट्स में संतुलन आएगा। जीएसटी के रजिस्ट्रेशन से लेकर पालन प्रतिवेदन की प्रक्रिया भी आसान की गई है। कारोबारी अब सिर्फ तीन दिन में जीएसटी पोर्टल पर अपना पंजीयन करा सकेंगे। उन्हें 7 दिनों में रिफंड देने की व्यवस्था होगी। कच्चे माल और तैयार माल की दरों में भिन्नता होने के कारण इनपुट टैक्स रिटर्न में होने वाली दिक्कतों को भी समाप्त कर दिया गया है। उल्लेखनीय की जीएसटी के सुधारों से घरेलू खपत में जोरदार तेजी आएगी।
मध्यम वर्ग उत्पादों की खरीदी पर पैसा खर्च करेगा और मांग बढऩे से निजी निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा। सरकार को भी उम्मीद है कि 48000 करोड़ रुपए के सालाना राजस्व नुकसान के बावजूद बाजार की गतिविधियों में तेजी आएगी और अर्थव्यवस्था को जिस तरह रफ्तार मिलेगी, उससे तात्कालिक नुकसान की सरलता से भरपाई हो जाएगी। निश्चित रूप से आम आदमी व मध्यमवर्गीय लोगों को कीमतों में राहत मिलेगी और लोगों की क्रय शक्ति बढग़ी और बाजार में नकदी प्रवाह भी बढ़ेगा। जो छोटे उद्योग ट्रंप टैरिफ के कारण निर्यात घटने को लेकर चिंतित हैं, उन्हें घरेलू उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग से बड़ा सहारा मिलेगा। इतना ही नहीं जीएसटी घटने से औद्योगिक उत्पादन बढ़ेगा और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से लेकर सर्विस सेक्टर तक मांग का बढ़ता हुआ नया अध्याय दिखाई देगा। अनुमान है कि देश में जीएसटी घटने से करीब 2 लाख करोड़ रुपए की खपत बढ़ेगी और निर्यात को भी नई गति मिलेगी। मांग व उत्पादन बढऩे से जीडीपी में भी वृद्धि होगी। रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि होगी। निश्चित रूप से जिस तरह केंद्र सरकार जीएसटी में आमूल बदलाव की डगर पर आगे बढ़ी है, उसी तरह सरकार इनकम टैक्स को आसान और राहतकारी बनाने के लिए भी तेजी से आगे बढ़ी है। इनकम टैक्स बिल 2025 राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब कानून बन गया है। यह कानून मौजूदा इनकम टैक्स कानून 1961 की जगह लेते हुए एक अप्रैल 2026 से लागू किया जाएगा। वस्तुत: नया इनकम टैक्स कानून महज कुछ धाराओं का बदलाव नहीं, बल्कि पूरी टैक्स व्यवस्था का कायापलट होगा। इससे देश में टैक्स सिस्टम के डिजिटल और सरल युग का नया दौर शुरू होगा। इस नए कानून के तहत टैक्स कानूनों के मकडज़ाल को खत्म कर एक ऐसी प्रणाली निर्मित होगी, जो सहज और आम टैक्सपेयर के लिए लाभकारी हो और इससे नए करदाता अपनी आमदनी के मुताबिक इनकम टैक्स देने के लिए तत्पर हों। खास बात यह है कि मौजूदा इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। खास बात यह भी है कि 1961 के इनकम टैक्स कानून में वर्ष 2024 तक 4000 से ज्यादा संशोधन व सुधार हुए हैं और इसमें 5 लाख से ज्यादा शब्द हैं।
ऐसे जटिल हो चुके इनकम टैक्स कानून को सरल और व्यावहारिक बनाने के लिए नया इनकम टैक्स कानून 2025 एक अत्यंत सराहनीय कदम है। नया इनकम टैक्स कानून पुराने कानून को लगभग 50 प्रतिशत तक सरल बनाता है। नया इनकम टैक्स कानून भाषा को आसान बनाने के साथ ही कटौतियों को स्पष्ट करता है और विभिन्न प्रावधानों के बीच क्रॉस रेफरेंसिंग को मजबूत करता है। नया कानून गृह संपत्ति से होने वाली आय, जिसमें मानक कटौती और गृह ऋण पर निर्माण-पूर्व ब्याज शामिल है, से जुड़ी अस्पष्टताओं को दूर करता है। नए कानून के माध्यम से टैक्स कानून को सरल बनाते हुए उसके पेजों की संख्या को आधी कर दिया गया है और अप्रासंगिक हो चुके प्रविधानों को हटा दिया गया है।
उम्मीद करें कि 22 सितंबर से लागू नई जीएसटी व्यवस्था और दो स्लैब वाली कर प्रणाली के साथ-साथ एक अप्रैल 2026 से लागू होने वाले नए इनकम टैक्स कानून के तहत नए बदलाओं के कार्यान्वयन पर सरकार शुरुआत से ही इस तरह ध्यान देगी कि इन कानूनों की सरलता से देश के करोड़ों लोग लाभान्वित हों और भ्रष्टाचार भी नियंत्रित हो। उम्मीद करें कि जीएसटी और इनकम टैक्स के तहत नए अहम कर सुधारों से करदाताओं की संख्या बढ़ाने, टैक्स जटिलता और मुकदमों में कमी लाने और टैक्स संग्रहण बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण उपयोगिता मिलेगी। उम्मीद करें कि जीएसटी और इनकम टैक्स कर कानूनों में सुधारों से देश के उद्योग-कारोबार ट्रंप की टैरिफ चुनौतियों का मुकाबला करते हुए देश को आर्थिक रफ्तार देंगे।-डा. जयंती लाल भंडारी




