महाराष्ट्र

पुणे लैंड डील की स्टैंप ड्यूटी बचाने 10 वकीलों की फौज मैदान में, बच पाएंगे अजित पवार के बेटे पार्थ?

मुंबई : फडणवीस सरकार के उपमुख्यमत्री व राज्य के वित्त मंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार के भूखंड मामले में जुर्माना सहित 42 करोड़ रुपये की स्टैंप ड्यूटी बचाने के लिए 10 वकीलों की फौज मैदान में उतारी है। मंगलवार को पवार की कंपनी ने नोटिस के जवाब के लिए 15 दिन का समय मांगा है।

पुणे के मुंढवा भूखंड मामले में स्टैंप ड्यूटी का भुगतान करने के निर्देश वाले नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का और समय मांगा है। पार्थ पवार की बड़ी भागीदारी वाली अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी ने सोवार को नोटिस की समाप्ति के अंतिम दिन निबंधन महानिरीक्षक (आईजीआर) कार्यालय से संपर्क किया, जिसने फर्म को जवाब देने के लिए सात दिन का समय दिया था।

IGR दफ्तर के अफसर क्या बोले?

आईजीआर कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ‘फर्म और उसके हिस्सेदार, दिग्विजय पाटील का प्रतिनिधित्व करने के लिए वकीलों का एक दल अधिकृत पत्र के साथ आईजीआर कार्यालय पहुंचा। उन्होंने नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का अतिरिक्त समय मांगने वाला एक आवेदन जमा किया। इस नोटिस में फर्म को स्टैंप ड्यूटी के रूप में 21 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था। उन्होंने कहा कि आवेदन स्वीकार कर लिया गया है और समय बढ़ाने का निर्णय वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लिया जाएगा।

प्राथमिकी में पार्थ पवार का नाम नहीं

मुंढवा के प्रमुख इलाके में 40 एकड़ का भूखंड फर्म को बेचने का 300 करोड़ रुपये का यह सौदा, जमीन सरकार की होने और खरीद पर फर्म को स्टाम्प शुल्क से छूट दिए जाने की बात सामने आने के बाद जांच के दायरे में आ गया था। विवाद के बाद दिग्विजय पाटील और एक सरकारी अधिकारी समेत अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। प्राथमिकी में पार्थ पवार का नाम नहीं था। राजनीतिक विवाद के बीच अजित पवार ने घोषणा की कि यह सौदा रद्द कर दिया जाएगा। आईजीआर कार्यालय द्वारा की गई जांच

में पाटील, शीतल तेजवानी (जिनके पास पॉवर ऑफ अटॉर्नी थी) तथा उप-निबंधक रवीद्र तरू (जिन्होंने जमीन का बैनामा कराया था) को अनियमितताओं के लिए अभ्यारोपित किया गया था।

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